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टीकमगढ़ः वनाधिकार उत्सव के तहत 162 आदिवासियों को मिला जमीन का मालिकाना हक

टीकमगढ़ जिले के 162 आदिवासियों को वनाधिकार उत्सव के तहत जमीन का मालिकाना हक दिया गया. बताया जा रहा है कि इन आदिवासियों को तालाब, कपिल धारा सहित शासन की तमाम योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा.

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162 आदिवासियों को मिला जमीन का मालिकाना हक
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Published : Sep 20, 2020, 6:34 AM IST

टीकमगढ़। जिले के आदिवासियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मसप्ताह खुशियों की सौगात लेकर आया है. बता दें कि सालों से वन विभाग की जमीन पर खेती कर रहे आदिवासियों को बीते दिनों बेदखल कर दिया था, जिसे लेकर आदिवासी सड़क पर भी आ गए थे. हालांकि तब उन्हें जमीन वापस नहीं मिली थी. वहीं शनिवार को विधायक राकेश गिरी की उपस्थिति में जिले के 162 गरीब आदिवासियों को जिला प्रशासन ने पट्टे देकर उस जमीन का मालिकाना हक दिया.

162 आदिवासियों को मिला जमीन का मालिकाना हक

बता दें कि साल 2008 में भी आदिवासियों को जमीन का पट्टा दिया गया था. लेकिन उसे अपात्र घोषित कर दिया गया था. जिसके चलते जिले के 162 आदिवासी परिवार परेशान हो रहे थे. अब फिर आदिवासियों को जमीन का मालिकाना हक दिया गया है. वहीं बताया जा रहा है कि इन आदिवासियों को तालाब, कपिल धारा कुआं सहित शासन की तमाम योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा. यह आदिवासी टीकमगढ जिले के जतारा, पलेरा, बल्देवगढ़, खरगापुर, मोहनगढ़, बड़ागांव, टीकमगढ़, लिधोरा के निवासी है. जो 2005 इस जमीन पर खेती कर रहे थे.

टीकमगढ़। जिले के आदिवासियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मसप्ताह खुशियों की सौगात लेकर आया है. बता दें कि सालों से वन विभाग की जमीन पर खेती कर रहे आदिवासियों को बीते दिनों बेदखल कर दिया था, जिसे लेकर आदिवासी सड़क पर भी आ गए थे. हालांकि तब उन्हें जमीन वापस नहीं मिली थी. वहीं शनिवार को विधायक राकेश गिरी की उपस्थिति में जिले के 162 गरीब आदिवासियों को जिला प्रशासन ने पट्टे देकर उस जमीन का मालिकाना हक दिया.

162 आदिवासियों को मिला जमीन का मालिकाना हक

बता दें कि साल 2008 में भी आदिवासियों को जमीन का पट्टा दिया गया था. लेकिन उसे अपात्र घोषित कर दिया गया था. जिसके चलते जिले के 162 आदिवासी परिवार परेशान हो रहे थे. अब फिर आदिवासियों को जमीन का मालिकाना हक दिया गया है. वहीं बताया जा रहा है कि इन आदिवासियों को तालाब, कपिल धारा कुआं सहित शासन की तमाम योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा. यह आदिवासी टीकमगढ जिले के जतारा, पलेरा, बल्देवगढ़, खरगापुर, मोहनगढ़, बड़ागांव, टीकमगढ़, लिधोरा के निवासी है. जो 2005 इस जमीन पर खेती कर रहे थे.

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