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सिंगरौली: स्कूटी से घूम-घूम कर ऊषा दुबे बच्चों को दे रही है शिक्षा, ऐसा है चलता फिरता पुस्तकालय - Harai Government Higher Secondary School Singrauli

कोरोना काल में जहां बच्चों की पढ़ाई थम सी गई है. वहीं एक शासकीय स्कूल की शिक्षिका ने खुद की स्कूटी पर चलता फिरता पुस्तकालय बनाकर बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया है.

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चलता फिरता पुस्तकालय
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Published : Sep 25, 2020, 3:06 PM IST

सिंगरौली। कोरोना काल में जहां बच्चों की पढ़ाई थम सी गई है, वहीं एक शासकीय स्कूल की शिक्षिका ने खुद की स्कूटी पर चलता फिरता पुस्तकालय बनाकर बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया है.

चलता फिरता पुस्तकालय

दरअसल सिंगरौली जिले की बैढ़न में स्थित हर्रई शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका उषा दुबे ने कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई के लिए खुद की स्कूटी में चलता फिरता पुस्तकालय बनाकर शिक्षित करने के अभियान छेड़ रखा है.

सुबह 8 बजे से बच्चों के बीच में रहना और चलते फिरते पुस्तकालय के माध्यम से बच्चों को जागरूक करना उनकी दिनचर्या बन गई है. अपनी स्कूटी वाली पुस्तकालय में अंग्रेजी हिंदी विज्ञान सहित कहानियों की किताब लेकर अपने स्कूल पढ़ने वाले मोहल्ले में विद्यार्थियों के बीच में जाती हैं. बच्चे उनका इंतजार करते रहते हैं जैसे ही मैम पहुंची और क्लास शुरू हो जाती है.

एक क्लास में तकरीबन 20 से 25 बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. मोहल्ले-मोहल्ले में पुस्तकालय वाली की दीदी के आने से जहां बच्चे खुश हैं वही उनके अभिभावक भी बच्चों को प्रतिदिन पुस्तकालय वाली क्लास में भेजने में काफी उत्सुक नजर आते हैं.

मैम अपने स्कूटी में एल्मुनियम की पाइप से लाइब्रेरी आकार का बनवाकर रोज मोहल्ले-मोहल्ले जाकर शिक्षा दे रही हैं. सब कुछ वैसे ही पढ़ाती हैं जैसे स्कूलों में चलता है, होमवर्क देना, पढ़ाना टेस्ट लेना आदि चलते फिरते पुस्तकालय की शिक्षिका उषा दुबे की फितरत बन चुकी हैं.

सिंगरौली। कोरोना काल में जहां बच्चों की पढ़ाई थम सी गई है, वहीं एक शासकीय स्कूल की शिक्षिका ने खुद की स्कूटी पर चलता फिरता पुस्तकालय बनाकर बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया है.

चलता फिरता पुस्तकालय

दरअसल सिंगरौली जिले की बैढ़न में स्थित हर्रई शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका उषा दुबे ने कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई के लिए खुद की स्कूटी में चलता फिरता पुस्तकालय बनाकर शिक्षित करने के अभियान छेड़ रखा है.

सुबह 8 बजे से बच्चों के बीच में रहना और चलते फिरते पुस्तकालय के माध्यम से बच्चों को जागरूक करना उनकी दिनचर्या बन गई है. अपनी स्कूटी वाली पुस्तकालय में अंग्रेजी हिंदी विज्ञान सहित कहानियों की किताब लेकर अपने स्कूल पढ़ने वाले मोहल्ले में विद्यार्थियों के बीच में जाती हैं. बच्चे उनका इंतजार करते रहते हैं जैसे ही मैम पहुंची और क्लास शुरू हो जाती है.

एक क्लास में तकरीबन 20 से 25 बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. मोहल्ले-मोहल्ले में पुस्तकालय वाली की दीदी के आने से जहां बच्चे खुश हैं वही उनके अभिभावक भी बच्चों को प्रतिदिन पुस्तकालय वाली क्लास में भेजने में काफी उत्सुक नजर आते हैं.

मैम अपने स्कूटी में एल्मुनियम की पाइप से लाइब्रेरी आकार का बनवाकर रोज मोहल्ले-मोहल्ले जाकर शिक्षा दे रही हैं. सब कुछ वैसे ही पढ़ाती हैं जैसे स्कूलों में चलता है, होमवर्क देना, पढ़ाना टेस्ट लेना आदि चलते फिरते पुस्तकालय की शिक्षिका उषा दुबे की फितरत बन चुकी हैं.

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