सिंगरौली। सरकारें विकास और शिक्षा को लेकर लाख दावे कर लें, लेकिन कई स्थान ऐसे भी हैं जहां पर शिक्षा और विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. ऐसा ही एक मामला सिंगरौली में सामने आया है. जहां आदिवासी छात्रावास में छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं.
यह पूरा मामला जिले के आदिवासी छात्रों से जुड़ा हुआ है. दरअसल जिले के बैढ़न के बलियारी के आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, छात्रावास में छात्र मूलभूत सुविधाओं के अभाव में रहने और पढ़ने के लिए मजबूर हैं.
बता दें कि, आदिवासी छात्रावास में न तो नास्ता दिया जाता है औ न ही खाना मिल पा रहा है. जिसके चलते छात्रावास में रहने वाले छात्र पिछले दो महीने से स्वयं पैसे इकट्ठा करके खाने की व्यवस्था कर रहे हैं. और जब छात्र इसकी शिकायत छात्रावास अधीक्षक करते हैं तो उनका कहते है कि बजट नहीं आया है. जबकि विभाग द्वारा हर साल करोड़ों रूपए की राशि जारी की जाती है. इसके अलावा DMF से भी छात्रों के सुविधाओं के लिए राशि दी जाती है.