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आदिवासी छात्रावास में छात्रों को नहीं मिल रहा खाना, सूखा चावल खाने को मजबूर

सिंगरौली के बैढ़न के बलियरी के आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, छात्रावास में छात्रों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं के अभाव में रहने और पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

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Published : Oct 3, 2019, 3:29 PM IST

Updated : Oct 3, 2019, 5:47 PM IST

छात्रावास में छात्रों को नहीं मिल रहा खाना

सिंगरौली। सरकारें विकास और शिक्षा को लेकर लाख दावे कर लें, लेकिन कई स्थान ऐसे भी हैं जहां पर शिक्षा और विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. ऐसा ही एक मामला सिंगरौली में सामने आया है. जहां आदिवासी छात्रावास में छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं.

छात्रों को नहीं मिल रहा खाना

यह पूरा मामला जिले के आदिवासी छात्रों से जुड़ा हुआ है. दरअसल जिले के बैढ़न के बलियारी के आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, छात्रावास में छात्र मूलभूत सुविधाओं के अभाव में रहने और पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

बता दें कि, आदिवासी छात्रावास में न तो नास्ता दिया जाता है औ न ही खाना मिल पा रहा है. जिसके चलते छात्रावास में रहने वाले छात्र पिछले दो महीने से स्वयं पैसे इकट्ठा करके खाने की व्यवस्था कर रहे हैं. और जब छात्र इसकी शिकायत छात्रावास अधीक्षक करते हैं तो उनका कहते है कि बजट नहीं आया है. जबकि विभाग द्वारा हर साल करोड़ों रूपए की राशि जारी की जाती है. इसके अलावा DMF से भी छात्रों के सुविधाओं के लिए राशि दी जाती है.

सिंगरौली। सरकारें विकास और शिक्षा को लेकर लाख दावे कर लें, लेकिन कई स्थान ऐसे भी हैं जहां पर शिक्षा और विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. ऐसा ही एक मामला सिंगरौली में सामने आया है. जहां आदिवासी छात्रावास में छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं.

छात्रों को नहीं मिल रहा खाना

यह पूरा मामला जिले के आदिवासी छात्रों से जुड़ा हुआ है. दरअसल जिले के बैढ़न के बलियारी के आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्र सूखा चावल खाने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, छात्रावास में छात्र मूलभूत सुविधाओं के अभाव में रहने और पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

बता दें कि, आदिवासी छात्रावास में न तो नास्ता दिया जाता है औ न ही खाना मिल पा रहा है. जिसके चलते छात्रावास में रहने वाले छात्र पिछले दो महीने से स्वयं पैसे इकट्ठा करके खाने की व्यवस्था कर रहे हैं. और जब छात्र इसकी शिकायत छात्रावास अधीक्षक करते हैं तो उनका कहते है कि बजट नहीं आया है. जबकि विभाग द्वारा हर साल करोड़ों रूपए की राशि जारी की जाती है. इसके अलावा DMF से भी छात्रों के सुविधाओं के लिए राशि दी जाती है.

Intro:सिंगरौली जिले के आदिवासी छात्रों के लिए भले ही सरकार कितने भी कोशिश कर ले कितना ही बजट क्यों न दे दे लेकिन जब बारी छात्रों को सुविधा देने की होती है तो जिले के छात्र सुख से चावल खाने को मजबूर हैंBody:दरअसल सिंगरौली जिले के बैगन के आदिवासी छात्रावास में छात्रों को सूखा भोजन खाने को मजबूर हैं तब विभाग इसकी कमी का रोना रोने लगता है ....हम बात कर रहे सिंगरौली बैढन के बलियरी के उस छात्रावास की जिसमें सुविधाओ के अभाव में छात्रों को रहना पड़ रहा है..हॉस्टल में बुनियादी सुविधाएं तक नही है..छात्रों से जब हमने बात की तो उनका दर्द छलक गया .......उन्होंने बताया कि पिछले 2 महीने से छात्रावास में खुद के पैसे एकत्रित कर के खाना की व्यवस्था कर रहे है छात्रावास में न तो नास्ता दिया जाता है न ही खाना सही से मिल रहा है...
और जब भी इसकी शिकायत छात्रावास अधीक्षक से करते है तो कहते है बजट नही आया है ..जबकि विभाग द्वारा हर साल करोड़ो रुपये जारी किए जाते है इसके अलावा DMF से भी इन छात्रों को सुविधा देने के लिए राशि जारी हो रहे हैं।

बाइट - 1.- राजबली सिंह - छात्र

बाइट - 2 - छात्रConclusion:
Last Updated : Oct 3, 2019, 5:47 PM IST
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