सिंगरौली। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति है. जिन्होंने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, कठोर तपस्या के कारण ही इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है. ये ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी मानी जाती है. ब्रह्मचारिणी देवी को छात्रों, व्यवसायियों और सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, इस रूप की पूजा-अर्चना करने से ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप देवी पार्वती का वह रुप है, जब उन्होंने शिव जी को साधने के लिए कठोर तप किया था.
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लाभ-
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा खासकर शिक्षा जगत से जुड़े लोग बौद्धिक क्षमता, विद्या-बुद्धि की प्राप्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी सरस्वती के स्वरुप की पूजा-अर्चना करते है. जिससे ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि-
मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण किए रहती है इसलिए पूजा में सफेद वस्त्र चढ़ाने का विधान है, साथ ही सफेद फूल और दूध से बनी हुई वस्तुओं को चढ़ाने का भी विधान है. मंत्रों का उच्चारण करते हुए सच्चे मन से मां की पूजा करने से ज्ञान स्वरुपी देवी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है.
नौ दिनों में मां दुर्गा के किन-किन रूपों की होती है पूजा-
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करें. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजा अर्चना विधि-विधान पूर्वक करें, चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं पांचवे दिन मां स्कंद की, छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना विधि-विधान से और साफ-सफाई से करें, ताकि मां नाराज ना हो. सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजा की जाती है, तो वहीं 6 अक्टूबर को अष्टमी और 9 अक्टूबर नवमी दिन मनाई जाएगी. इस दिन मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. 6 अक्टूबर को अष्टमी मनाई जाएगी और इस दिन मां महागौरी की पूजा होगी. जिसके बाद महानवमी होगी और इस दिन मां सिद्धदात्री की पूजा और कन्या पूजन कर मां को विदाई दी जाती है.
कन्या पूजन और महत्व-
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार नौ कन्या को नौ देवियों का रूप माना जाता है. इसी के कारण नवरात्रि की समाप्ति पर नौ कन्याओं को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा दी जाती है, क्योंकि कन्याओं को देवियों का रूप माना जाता है. कहां जाता है कि कन्याएं त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, कालिका, चंडिका, शाम्भवी, दुर्गा और सुभद्रा का स्वरूप होती हैं. जिन्हें देवी का रूप मानकर पूजा-अर्चना किया जाता है.