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बुरहानपुर में आदिवासी समाज ने मिशन D3 को दिया मूर्त रूप, जानिए क्या है D3 - BURHANPUR TRIBAL CONFERENCE

आदिवासी समाज ने प्रदेश स्तरीय महापंचायत सम्मेलन का आयोजन किया. इसमें मिशन D3 यानी डीजे, दारू और दहेज पर अहम फैसला लिया गया.

BURHANPUR TRIBAL CONFERENCE
आदिवासी समाज का महापंचायत सम्मेलन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 12, 2025, 10:07 PM IST

Updated : Feb 12, 2025, 10:46 PM IST

बुरहानपुर: जिले के रेणुका कृषि उपज मंडी परिसर में बुधवार को संत रविदास जंयती के अवसर पर सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश स्तरीय महापंचायत सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन में भील, भिलाला, बारेला सहित कोटवार समाज के करीब 5 हजार लोग शामिल हुए. जिसमें आदिवासी समाज ने डी थ्री यानि डीजे, दारू और दहेज पर अहम फैसला लिया है. समाज ने कहा कि डीजे, दारू और दहेज के नाम पर काफी खर्च होता है, इस पर लगाम लगाना जरूरी है.

डीजे, दारू और दहेज पर लगाया अंकुश

इस आयोजन में पहुंचे एसआई बिलर सिंह जमरा ने बताया कि "शादी में डीजे, दारू और दहेज पर अंकुश लगाने के मकसद से महापंचायत बुलाई गई. इस महापंचायत में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के आदिवासी समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने शिरकत की. भील, भिलाला, बारेला और कोटवार चारों समाजों के प्रमुखों ने पुरखों से चली आ रही दहेज प्रथा में रियायत का फैसला लिया है."

डीजे दारू और दहेज पर आदिवासी समाज ने लगाया अंकुश (ETV Bharat)

इसके साथ ही शादी में दारू पूरी तरह बंद रखने का निर्णय लिया गया. वहीं, डीजे पर अंकुश लगाकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए अहम फैसला लिया गया है. समाज जनों ने कहा कि दहेज की राशि चुकाने में गरीब परिवारों को खेती और मकान तक बेचना पड़ता है. इस समस्या को देखते हुए समाज के प्रमुख लोगों की सहमति से दहेज की राशि निर्धारित की गई है.

किस समाज में कितना होगा दहेज राशि

बता दें कि समाज स्तर पर अब बारेला समाज में दहेज की राशि 25 हजार 525 रुपये, भिलाला समाज में 81 हजार, भील समाज में 1 लाख 25 हजार रुपये निर्धारित की गई हैं. इसके अलावा कोटवार समाज में भी नाम मात्र का दहेज लेने का निर्णय लिया गया. इस पर सभी समाज के प्रमुखों ने सहमति जताई है. अब आदिवासी समाज के शादी-ब्याह, जन्म और मरण कार्यक्रम में शराब के सेवन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है. इसके अलावा समाज में प्रचलित कुप्रथाओं को खत्म किया है. समाज के किसी भी कार्यक्रम में शराब नहीं परोसी जाएगी.

ढोल, मांदल पर खूब थिरके आदिवासी

गौरतलब है कि सर्व आदिवासी समाज ने स्थानीय नेहरू स्टेडियम से भव्य रैली निकाली. इस रैली में नेपानगर विधायक मंजू राजेंद्र दादू सहित समाज के अन्य लोगों ने आदिवासी नृत्य किया और पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर जमकर थिरके. इस दौरान आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली, जहां आदिवासी समाज के लोग बड़े-बड़े ढोल, मांदल लेकर आए. कुछ आदिवासी हाथों में तीर कमान संभाले नजर आए. वहीं, जब रैली रेणुका कृषि मंडी पहुंची तो यहां सम्मेलन आयोजन किया गया.

बुरहानपुर: जिले के रेणुका कृषि उपज मंडी परिसर में बुधवार को संत रविदास जंयती के अवसर पर सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश स्तरीय महापंचायत सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन में भील, भिलाला, बारेला सहित कोटवार समाज के करीब 5 हजार लोग शामिल हुए. जिसमें आदिवासी समाज ने डी थ्री यानि डीजे, दारू और दहेज पर अहम फैसला लिया है. समाज ने कहा कि डीजे, दारू और दहेज के नाम पर काफी खर्च होता है, इस पर लगाम लगाना जरूरी है.

डीजे, दारू और दहेज पर लगाया अंकुश

इस आयोजन में पहुंचे एसआई बिलर सिंह जमरा ने बताया कि "शादी में डीजे, दारू और दहेज पर अंकुश लगाने के मकसद से महापंचायत बुलाई गई. इस महापंचायत में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के आदिवासी समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने शिरकत की. भील, भिलाला, बारेला और कोटवार चारों समाजों के प्रमुखों ने पुरखों से चली आ रही दहेज प्रथा में रियायत का फैसला लिया है."

डीजे दारू और दहेज पर आदिवासी समाज ने लगाया अंकुश (ETV Bharat)

इसके साथ ही शादी में दारू पूरी तरह बंद रखने का निर्णय लिया गया. वहीं, डीजे पर अंकुश लगाकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए अहम फैसला लिया गया है. समाज जनों ने कहा कि दहेज की राशि चुकाने में गरीब परिवारों को खेती और मकान तक बेचना पड़ता है. इस समस्या को देखते हुए समाज के प्रमुख लोगों की सहमति से दहेज की राशि निर्धारित की गई है.

किस समाज में कितना होगा दहेज राशि

बता दें कि समाज स्तर पर अब बारेला समाज में दहेज की राशि 25 हजार 525 रुपये, भिलाला समाज में 81 हजार, भील समाज में 1 लाख 25 हजार रुपये निर्धारित की गई हैं. इसके अलावा कोटवार समाज में भी नाम मात्र का दहेज लेने का निर्णय लिया गया. इस पर सभी समाज के प्रमुखों ने सहमति जताई है. अब आदिवासी समाज के शादी-ब्याह, जन्म और मरण कार्यक्रम में शराब के सेवन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है. इसके अलावा समाज में प्रचलित कुप्रथाओं को खत्म किया है. समाज के किसी भी कार्यक्रम में शराब नहीं परोसी जाएगी.

ढोल, मांदल पर खूब थिरके आदिवासी

गौरतलब है कि सर्व आदिवासी समाज ने स्थानीय नेहरू स्टेडियम से भव्य रैली निकाली. इस रैली में नेपानगर विधायक मंजू राजेंद्र दादू सहित समाज के अन्य लोगों ने आदिवासी नृत्य किया और पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर जमकर थिरके. इस दौरान आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली, जहां आदिवासी समाज के लोग बड़े-बड़े ढोल, मांदल लेकर आए. कुछ आदिवासी हाथों में तीर कमान संभाले नजर आए. वहीं, जब रैली रेणुका कृषि मंडी पहुंची तो यहां सम्मेलन आयोजन किया गया.

Last Updated : Feb 12, 2025, 10:46 PM IST
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