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Sidhi Sanskrit Kautilya यूं ही नहीं कहते 6 साल के इस दिव्यांग बच्चे को संस्कृत का कौटिल्य, कंठस्थ हैं 400 श्लोक,स्वस्ति वाचन सहित वेद

सीधी जिले के एक 6 वर्षीय बालक को 400 श्लोक और स्वस्ति वाचन सहित वेद कंठस्थ है. जन्म से ही दिव्यांग इस बालक को उसकी प्रतिभा के चलते संस्कृत का कौटिल्य कहा जाता है.आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रूचि रही है. Sidhi Sanskrit Kautilya,Aradhya remembers 400 verses hymns

Aaradhya Tiwari
आराध्य तिवारी
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Published : Sep 1, 2022, 11:19 AM IST

Updated : Sep 1, 2022, 12:59 PM IST

सीधी। कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है. आप में प्रतिभा है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है, कुछ इसी तरह की प्रतिभा सीधी जिले में देखने मिली. जहां एक 6 साल के बच्चे ने दोनों पैर से दिव्यांग होने के बाद भी अपने कदम नहीं रोके. हम बात कर रहे हैं सीधी के संस्कृत के छोटे कौटिल्य कहे जाने वाले अराध्य तिवारी की. महज 6 वर्ष की उम्र में अराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक और स्वस्ति वाचन सहित वेद याद हैं. इतना ही नहीं छोटे कौटिल्य अपने से बड़े उम्र के बच्चों को स्कूल में पढ़ाने का भी कारनामा करते हैं.

इस बच्चे को कहते हैं संस्कृत का कौटिल्य

जन्म से ही दिव्यांग हैं आराध्य

सीधी जिले के संस्कृत के कौटिल्य कहे जाने वाले आराध्य तिवारी का जन्म 15 जुलाई 2015 को ग्राम फुलवारी तहसील बहरी जिला सीधी में हुआ था. आराध्य के जन्म लेते ही परिवार में खुशियां आई और सभी ने आराध्य का स्वागत किया. आराध्य जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग थे. दोनों पैर आपस में मुड़े हुए थे. बातचीत के दौरान उनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला बताते हैं की बालक के जन्म लेते ही पता चला था कि वह दोनों पैर से दिव्यांग हैं. मूल रूप से आराध्य कंदुई वाराणसी के रहने वाले हैं, उनके पिता भास्कर तिवारी गुजरात में प्राइवेट नौकरी करते हैं तो माता आराधना देवी गृहणी हैं. आराध्य अपने माता-पिता के अकेले संतान हैं.

सनातन धर्म की ओर है विशेष झुकाव

आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रूचि रही है. जिसे उनके नाना ने पढ़ाया. नाना के मार्गदर्शन में ही पूजा पाठ के दौरान आराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक, स्तुति वाचन गणेश वंदना सहित कई संस्कृत के ज्ञान कंठस्थ हुए.

Sidhi Sanskrit Kautilya
बच्चों को पढ़ाते आराध्य

करते हैं शुद्ध उच्चारण

जब आराध्य तिवारी से स्वस्ति वाचन पढ़ने के लिए बोला गया तो वह बिना किसी झिझक के स्पष्ट शब्दों में ऐसे उच्चारण करने लगे, जैसे काशी का कोई प्रकांड विद्वान मंत्रोच्चारण कर रहा हो. विलक्षण प्रतिभा के धनी इस बालक के मामा वेद प्रकाश शुक्ला जो पेशे से ग्राम पंचायत फुलवारी के रोजगार सहायक हैं, उन्होंने बताया की आराध्य अपने नाना के साथ पूजा पाठ करते हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में यह सब सीखे हैं.

शहडोल का Google Boy Devesh, ढाई साल की बच्चे की प्रतिभा देख दंग है हर कोई


नाना ने अपने शासकीय स्कूल में इन्हें पढ़ाया

आराध्य नाना के यहां ग्राम फुलवारी में रहते हैं. इनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ल पेशे से शिक्षक तथा शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य हैं. इन्हीं के मार्गदर्शन में आराध्य कक्षा दो में अध्ययनरत हैं.

Sidhi Sanskrit Kautilya
स्वस्ति वाचन करते आराध्य

क्लास टीचर रखते हैं विशेष रूचि

बच्चे के कक्षाचार्य हरीश पांडेय आराध्य के वातावरण के अनुकूल शिक्षा देते हुए उनके मन को नई उड़ान देते हैं. उनके द्वारा बताया गया कि यह बच्चा विलक्षण प्रतिभा का धनी है, यह आने वाले समय में अपने गांव, परिवार, समाज, क्षेत्र सहित संस्कृत के क्षेत्र में व सनातन धर्म के क्षेत्र में यशस्वी होने का पताका लहराएगा. Sidhi Sanskrit Kautilya,Aradhya remembers 400 verses hymns

सीधी। कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है. आप में प्रतिभा है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है, कुछ इसी तरह की प्रतिभा सीधी जिले में देखने मिली. जहां एक 6 साल के बच्चे ने दोनों पैर से दिव्यांग होने के बाद भी अपने कदम नहीं रोके. हम बात कर रहे हैं सीधी के संस्कृत के छोटे कौटिल्य कहे जाने वाले अराध्य तिवारी की. महज 6 वर्ष की उम्र में अराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक और स्वस्ति वाचन सहित वेद याद हैं. इतना ही नहीं छोटे कौटिल्य अपने से बड़े उम्र के बच्चों को स्कूल में पढ़ाने का भी कारनामा करते हैं.

इस बच्चे को कहते हैं संस्कृत का कौटिल्य

जन्म से ही दिव्यांग हैं आराध्य

सीधी जिले के संस्कृत के कौटिल्य कहे जाने वाले आराध्य तिवारी का जन्म 15 जुलाई 2015 को ग्राम फुलवारी तहसील बहरी जिला सीधी में हुआ था. आराध्य के जन्म लेते ही परिवार में खुशियां आई और सभी ने आराध्य का स्वागत किया. आराध्य जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग थे. दोनों पैर आपस में मुड़े हुए थे. बातचीत के दौरान उनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला बताते हैं की बालक के जन्म लेते ही पता चला था कि वह दोनों पैर से दिव्यांग हैं. मूल रूप से आराध्य कंदुई वाराणसी के रहने वाले हैं, उनके पिता भास्कर तिवारी गुजरात में प्राइवेट नौकरी करते हैं तो माता आराधना देवी गृहणी हैं. आराध्य अपने माता-पिता के अकेले संतान हैं.

सनातन धर्म की ओर है विशेष झुकाव

आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रूचि रही है. जिसे उनके नाना ने पढ़ाया. नाना के मार्गदर्शन में ही पूजा पाठ के दौरान आराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक, स्तुति वाचन गणेश वंदना सहित कई संस्कृत के ज्ञान कंठस्थ हुए.

Sidhi Sanskrit Kautilya
बच्चों को पढ़ाते आराध्य

करते हैं शुद्ध उच्चारण

जब आराध्य तिवारी से स्वस्ति वाचन पढ़ने के लिए बोला गया तो वह बिना किसी झिझक के स्पष्ट शब्दों में ऐसे उच्चारण करने लगे, जैसे काशी का कोई प्रकांड विद्वान मंत्रोच्चारण कर रहा हो. विलक्षण प्रतिभा के धनी इस बालक के मामा वेद प्रकाश शुक्ला जो पेशे से ग्राम पंचायत फुलवारी के रोजगार सहायक हैं, उन्होंने बताया की आराध्य अपने नाना के साथ पूजा पाठ करते हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में यह सब सीखे हैं.

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नाना ने अपने शासकीय स्कूल में इन्हें पढ़ाया

आराध्य नाना के यहां ग्राम फुलवारी में रहते हैं. इनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ल पेशे से शिक्षक तथा शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य हैं. इन्हीं के मार्गदर्शन में आराध्य कक्षा दो में अध्ययनरत हैं.

Sidhi Sanskrit Kautilya
स्वस्ति वाचन करते आराध्य

क्लास टीचर रखते हैं विशेष रूचि

बच्चे के कक्षाचार्य हरीश पांडेय आराध्य के वातावरण के अनुकूल शिक्षा देते हुए उनके मन को नई उड़ान देते हैं. उनके द्वारा बताया गया कि यह बच्चा विलक्षण प्रतिभा का धनी है, यह आने वाले समय में अपने गांव, परिवार, समाज, क्षेत्र सहित संस्कृत के क्षेत्र में व सनातन धर्म के क्षेत्र में यशस्वी होने का पताका लहराएगा. Sidhi Sanskrit Kautilya,Aradhya remembers 400 verses hymns

Last Updated : Sep 1, 2022, 12:59 PM IST
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