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छतों के प्लास्टर उखड़े, टपक रहा पानी, दीवारों पर सीलन, डर के साए में पढ़ने को मजबूर छात्र

सीधी में छात्र-छात्राओं को डर के साए में स्कूल आना पड़ रहा है. स्कूल की छत इतनी जर्जर हो गई है कि यहां कभी भी हादसा हो सकता है.

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Published : Dec 8, 2019, 11:01 AM IST

Updated : Dec 8, 2019, 2:42 PM IST

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स्कूल भवन की जर्जर छत

सीधी। सरकार बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जर्जर छत के नीचे बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ता है. आए दिन किसी न किसी कारण से स्कूली बच्चे हादसों का शिकार हो जाते हैं. बावजूद इसके अधिकारी लापरवाही बरतने से बाज नहीं आ रहे हैं.

डर के साए में पढ़ने को मजबूर छात्र

मामला जनपद पंचायत सिहावल के शासकीय हाई स्कूल फुलवारी का है. जहां बच्चों को डर के साए में बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है. फुलवारी में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल भवनों की हालत खराब है. माध्यमिक विद्यालय के भवन की छत का प्लास्टर आए दिन गिरता रहता है, जिससे किसी भी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है.

शिक्षकों का कहना है कि बारिश के दिनों में हालात बद से बदतर हो जाते हैं. बारिश में छत से पानी टपकने के चलते कक्षाएं प्रभावित होती हैं. स्कूल के शिक्षकों ने कई बार इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की, लेकिन अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे हैं. अधिकारियों की ये लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है. बता दें कि स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक 281 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, वहीं हाई स्कूल में 158 छात्र-छात्राएं अध्ययन हैं.

सीधी। सरकार बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जर्जर छत के नीचे बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ता है. आए दिन किसी न किसी कारण से स्कूली बच्चे हादसों का शिकार हो जाते हैं. बावजूद इसके अधिकारी लापरवाही बरतने से बाज नहीं आ रहे हैं.

डर के साए में पढ़ने को मजबूर छात्र

मामला जनपद पंचायत सिहावल के शासकीय हाई स्कूल फुलवारी का है. जहां बच्चों को डर के साए में बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है. फुलवारी में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल भवनों की हालत खराब है. माध्यमिक विद्यालय के भवन की छत का प्लास्टर आए दिन गिरता रहता है, जिससे किसी भी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है.

शिक्षकों का कहना है कि बारिश के दिनों में हालात बद से बदतर हो जाते हैं. बारिश में छत से पानी टपकने के चलते कक्षाएं प्रभावित होती हैं. स्कूल के शिक्षकों ने कई बार इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की, लेकिन अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे हैं. अधिकारियों की ये लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है. बता दें कि स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक 281 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, वहीं हाई स्कूल में 158 छात्र-छात्राएं अध्ययन हैं.

Intro:सीधी जिले के सिहावल जनपद पंचायत के फुलवारी गांव में माध्यमिक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को जर्जर छत के नीचे बैठ कर पढ़ाई करने में मजबूर हैं, वही शासकीय हाई स्कूल में शौचालय का अभाव।Body:मामला शास.हाई स्कूल फुलवारी का
माध्यमिक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को जर्जर छत के नीचे बैठ कर पढ़ाई करने में मजबूर , कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, वही शासकीय हाई स्कूल में शौचालय का अभाव

,सीधी। जिले में कई शासकीय विद्यालयो का संचालन जर्जर भवन में होने से छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को जोखिम के बीच पठन-पाठन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लिहाजा जर्जर भवनों में ही पठन-पाठन का सिलसिला चल रहा है। ऐसा ही मामला जनपद पंचायत सिहावल अन्तर्गत शासकीय हाई स्कूल फुलवारी का सामने आया है। यहां के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने समस्याओं की जानकारी देते हुए बताया कि शासकीय हाई स्कूल फुलवारी परिसर में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयो का संचालन भी अलग भवनों में हो रहा है। यहां के प्राथमिक कक्षाओं में कक्षा 1 से 8 तक में 281 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है वहीं हाई स्कूल में 158 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रही है। प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय के भवनों की स्थिती काफी खस्ताहाल है। खासतौर से माध्यमिक विद्यालय के भवन की छत का प्लास्टर गिरने का सिलसिला चलने से छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षक भी बड़े हादसे की संभावना से खौफ में रहते है। बरसात के दिनो की स्थिती और भी खराब हो जाती है। जर्जर छतों से पानी टपकना शुरू हो जाने के बाद कक्षाओं का संचालन करने में भारी दिक्कतें आती है। शिक्षकों का कहना था कि स्कूल भवनों की खस्ताहालत की जानकारी कई बार विभाग के बड़े अधिकारियों को दी गई। बावजूद इसके उनके द्वारा जर्जर भवन एवं छत की मरम्मत कराने की आवश्यकता अभी तक नही समझी गई है। ऐसे मे यदि कोई हादसा विद्यालय भवन होता है तो इसके जिममेदार बड़े अधिकारी ही माने जायेगें। विद्यार्थियों का कहना था कि बरसात के दिनो में ज्यादातर दिन पानी बरसने पर पढ़ाई ही नही हो पाती। स्थिती यह हो जाती है कि छत के रिसाव से लोगों को अंदर खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है। छत गिरने के अंदेशे में बरसात के दिनो में कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भी नही भेजते। वहीं हाई स्कूल में शौंचालय तक की सुविधा नही है
हाई स्कूल फुलवारी में व्यवस्थाओं का पूरी तरह से अभाव बना हुआ है। स्थिती यह है कि हाई स्कूल कक्षाओं में छात्रों के साथ ही छात्राएं भी काफी समस्याओ में आती है। लेकिन जिममेदार अधिकारियों की मनमानी से यहां शौंचालय का निर्माण तक करने की जरूरत अभी तक नही समझी जा रही है। लिहाजा छात्राओं को सबसे ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ रही है। शिक्षकों कहना था कि कक्षा-1 से 10 तक में 439 छात्र-छात्राएं यहां अध्ययनरत है। फिर भी जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा यहां के हाई स्कूल के लिए अलग से शौंचालय निर्माण की मंजूरी अभी तक प्रदान करने की जरूरत नही समझी जा रही है।Conclusion: बहरहाल जिला शिक्षा केंद्र का बड़ी लापरवाही सामने देखने को आई है है अगर इस जर्जर छत को रिपेयर नहीं कराया गया तो आने बाले समय में कोई बड़ा हादसा हो सकता है
Last Updated : Dec 8, 2019, 2:42 PM IST
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