सीधी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस लगातार अपने पैर पसारती जा रहा है, जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार कोशिशें कर रही है. बढ़ते कोरोना पॉजिटिव मामलों को देखते हुए, जहां शासन ने निजी अस्पतालों को भी कोरोना के इलाज की अनुमति दे दी है, वहीं सीधी जैसे छोटे शहरों में स्वास्थ्य बीमा का मरीजों को कोई लाभ नहीं मिला रहा है. शहर में बड़े हॉस्पिटल नहीं होने के चलते लोग इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल पर ही निर्भर हैं. हालांकि सीधी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में अधिक इजाफा नहीं हुआ है.
लोग सरकारी तंत्र पर निर्भर
देश में कोरोना वायरस की रोकथाम और इलाज के लिए शासन ने महानगरों में निजी अस्पतालों को इलाज की अनुमति दे दी है, लेकिन छोटे शहरों में ऐसी सुविधाओं के लिए लोग तरसते नजर आ रहे हैं. बात की जाए सीधी शहर की, तो यहां करीब एक लाख आबादी के बीच जिला अस्पताल ही एक विकल्प बचता है. अधिक तबीयत खराब होने पर लोग दूसरे बड़े शहरों में जाने की मजबूर हो जाते हैं. सीधी शहर में निजी अस्पतालों का अभाव है. हालांकि शहर के एक निजी अस्पताल में पांच कोरोना मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था की गई है, लेकिन वहां भी संक्रमण फैलने के खतरे को लेकर सरकारी तंत्र पर निर्भर होना पड़ रहा है.
इस मामले में कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी का कहना है कि, शहर छोटा होने की वजह से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या नहीं बढ़ी है. इसी के चलते यहां निजी हॉस्पिटल को कोविड के इलाज की अनुमति नहीं दी गई है, ऐसे में स्वास्थ्य बीमा का लाभ कोविड मरीजों को नहीं मिलता.
छोटे शहरों में इलाज के साधनों की कमी
कोविड-19 की जंग आज पूरा देश लड़ रहा है, इस जंग में लगातार संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में सीधी जैसे छोटे शहरों में कोरोना मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि, सीधी जिले में आठ हजार से अधिक कोविड की जांच की गई है. इसके बावजूद यहां पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम है.