सीधी। मध्य प्रदेश के सीधी का संजय दुबरी नेशनल पार्क इन दिनों चर्चाओं में है और खूब सुर्खियां बटोर रहा है. जहां बाघिन टी-28 अपनी बहन की मौत के बाद उसके शावकों को सहारा देने के साथ ही अब अपने शावकों के साथ उन्हें शिकार करने की ट्रेनिंग भी दे रही है. दरअसल कुछ समय पहले बाघिन टी-18 की ट्रेन से टकरा जाने से मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद उनकी मौसी टी -28 ने उन्हें अपनाया और सहारा दिया. Tigress T28 taking care of T18 cubs
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शावकों में कुछ माह का अंतर: एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, बाघिन टी-28 अपने शावकों के साथ ही गोद लिए शावकों को सिखा रही है कि जंगल में कैसे रहना है, साथ ही किस तरह शिकार करना है. ये सभी शावक साथ-साथ ही खेलते हैं और शिकार का अभ्यास करते देखे जाते हैं. दोनों बाघिनों के शावकों में कुछ माह का अंतर है. टी-18 बाघिन के शावक 1 साल 1 महीने के हैं, जबकि टी-28 के खुद के चार शावक 9 माह के हैं. जिस समय बाघिन टी-28 ने उनकी जिम्मेदारी संभाली थी, तब वे शावक 9 माह के थे. MP Sanjay Dubri Tiger Reserve
ममता की मिसाल बनी बाघिन टी-28: सीधी स्थित संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर वाईपी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि, 16 मार्च को उन्हें सूचना मिली थी कि रेलवे ट्रैक के नजदीक एक बाघिन की लाश पड़ी हुई है. जांच करने पर पता चला कि शव बाघिन टी-18 का है, जिसके बाद टाइगर रिजर्व के लोग परेशान हो गए कि अब उसके शिशु शावकों का क्या होगा. अंत में तय हुआ कि शावकों की सुरक्षा बाघिन टी-28 को दी जाए, जोकि सही निर्णय साबित हुआ. अब सभी शावकों की जिम्मेदारी बाघिन टी-28 बखूबी उठा रही है. Tigress T28 taking care of T18 cubs
बाघिन टी-28 ने कभी नहीं किया भेदभाव: संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के लोग बताते हैं कि, बाघिन टी-28 में गोद लिए सभी शावकों को मां जैसा दुलार दिया है. उसने टी-18 के शावकों को बिल्कुल वैसे ही दुलार दिया, जैसे अपने शावकों को करती है. उसने सभी शावकों को ऐसे ही पाला है, जैसे मां अपने बच्चों को पालती है और सभी शावकों को साथ में ही जंगल में रहने की ट्रेनिंग, शिकार करने के तौर-तरीके और सुरक्षा के दांव-पेंच सिखा रही है. बाघिन टी-28 ने कभी भी शावकों में भेदभाव नहीं किया. टी-18 और टी-28 के शावक साथ में खाते-पीते, खेलते और अभ्यास करते हैं. MP Sanjay Dubri Tiger Reserve