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शासन की तरफ से नहीं मिली कोई मदद, राजस्थान से पैदल भूखे तय किया सफर

लॉकडाउन में राजस्थान बॉर्डर से निकले दर्जनों मजदूर जिन्होंने पैदल ही अपना सफर तय किया. वहीं उन्होनें बताया कि 6 दिन में उन्हें सिर्फ एक दिन खाना नसीब हुआ, प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं की गई थी.

workers came out of Rajasthan on foot, administration did not help
भूखे तय किया 600 किलोमीटर का सफर, प्रशासन ने नहीं की मदद
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Published : Apr 18, 2020, 7:57 PM IST

शिवपुरी। कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन की स्थिति है, मध्यप्रदेश से बाहर काम करने गए मजदूर काम न मिलने के चलते वापस लौट रहे हैं. दो दर्जन मजदूर जबलपुर व टीकमगढ़ के लिए राजस्थान के सवाईमाधोपुर और उसके आसपास के इलाकों से निकले जब पैसे खत्म हो गए तो इन लोगों ने 600 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर लिया और अपने गांव के लिए निकल पड़े. लगातार 6 दिनों से चल रहे मजदूरों के पास न तो खाना खाने के लिए पैसे थे और न ही आने के लिए, 6 दिनों में इन मजदूरों ने सिर्फ दो बार खाना खाया वो भी प्रशासन की तरफ से नहीं बल्कि गुरुद्वारे में जाकर अपने पेट की भूख मिटाई.

राहुल वर्मन निवासी जिला जबलपुर ने बताया कि 20 दिन तक तो उन लोगों ने खाना खा लिया लेकिन जब पैसे खत्म हो गए तो वह अपने गांव के ओर निकल पड़े. शासन-प्रशासन को भी कई बार फोन किया उनका कहना था कि खाना भेज रहें है, लेकिन प्रशासन की तरफ से भी कोई मदद नहीं की गई. चार दिन बाद उन्हें पोहरी में गुरुदेव मिशन संस्था द्वारा भोजन उपलब्ध हुआ.

हरिराम कुशवाह ने भी बताया कि वह टीकमगढ़ के लिए निकला था, 5 दिन में उसे सिर्फ एक समय खाना मिला जिसके चलते उसके मुंह में छाले पड़ गए. शासन लगातार दावे कर रही है कि वह मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल परे है.

शिवपुरी। कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन की स्थिति है, मध्यप्रदेश से बाहर काम करने गए मजदूर काम न मिलने के चलते वापस लौट रहे हैं. दो दर्जन मजदूर जबलपुर व टीकमगढ़ के लिए राजस्थान के सवाईमाधोपुर और उसके आसपास के इलाकों से निकले जब पैसे खत्म हो गए तो इन लोगों ने 600 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर लिया और अपने गांव के लिए निकल पड़े. लगातार 6 दिनों से चल रहे मजदूरों के पास न तो खाना खाने के लिए पैसे थे और न ही आने के लिए, 6 दिनों में इन मजदूरों ने सिर्फ दो बार खाना खाया वो भी प्रशासन की तरफ से नहीं बल्कि गुरुद्वारे में जाकर अपने पेट की भूख मिटाई.

राहुल वर्मन निवासी जिला जबलपुर ने बताया कि 20 दिन तक तो उन लोगों ने खाना खा लिया लेकिन जब पैसे खत्म हो गए तो वह अपने गांव के ओर निकल पड़े. शासन-प्रशासन को भी कई बार फोन किया उनका कहना था कि खाना भेज रहें है, लेकिन प्रशासन की तरफ से भी कोई मदद नहीं की गई. चार दिन बाद उन्हें पोहरी में गुरुदेव मिशन संस्था द्वारा भोजन उपलब्ध हुआ.

हरिराम कुशवाह ने भी बताया कि वह टीकमगढ़ के लिए निकला था, 5 दिन में उसे सिर्फ एक समय खाना मिला जिसके चलते उसके मुंह में छाले पड़ गए. शासन लगातार दावे कर रही है कि वह मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल परे है.

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