शिवपुरी। कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा के तहत भले ही लाखों रुपए के विकास कार्य मंजूर किए गए हैं और बाहर से आने वाले मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए लाखों की राशि भी स्वीकृत की है, लेकिन पोहरी क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में सरपंच व सचिव की मनमानी से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. स्थिति यह है कि पोहरी क्षेत्र पंचायतों के दबंग सरपंच-सचिव सहित सब-इंजीनियर और अफसरों की सांठगांठ से मनरेगा में जमकर गड़बड़ी की जा रही है. यही वजह है कि कोरोनाकाल में मजदूर बगैर रोजगार के अपने घर पर हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे हुए हैं.
खास बात यह है कि मामले की जानकारी बड़े अफसरों को होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और जिम्मेदार मौन हैं. ऐसे में पोहरी क्षेत्र की ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिव मनरेगा की राशि को ठिकाने लगाने में लगे हुए हैं. जिले की पोहरी जनपद पंचायत में सरपंच-सचिवों की मनमानी के चलते मनरेगा सहित शासन की अन्य योजनाओं में जमकर घालमेल किया जा रहा है.
कोरोनाकाल में प्रदेश शासन ने जिला पंचायत व जनपद पंचायत के अफसरों को साफ निर्देश दिए थे कि बाहर से आए मजदूरों को अपने गांव में ही मनरेगा योजना के तहत रोजगार दिया जाए, जिससे कि कोरोनाकाल में उनको रोजगार के लिए न भटकना पड़े, लेकिन पोहरी जनपद की ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिवों ने ब्लॉक के सब इंजीनियरों के साथ मिलकर न सिर्फ मशीन से काम कराकर मजदूरों को रोजगार नहीं दिया बल्कि सरकार द्वारा जारी की गई राशि में जमकर घालमेल करते हुए शासन की मंशा पर पलीता लगा दिया.
सब इंजीनियरों ने कमीशन के फेर में कर दिया मूल्यांकन
ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच-सचिवों ने सब इंजीनियरों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत मनरेगा के तहत आने वाले पूरे बजट को ठिकाने लगा दिया. पोहरी क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में सब इंजीनियरों ने कमीशन के फेर में ग्राम पंचायत के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए मोहर लगा दी. पोहरी की पंचायतों में सरपंच-सचिवों ने सब इंजीनियरों के साथ मिलकर जो घोटाला किया है, उसकी गूंज कलेक्टर और जिला पंचायत तक पहुंच गई है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी भी जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हुए हैं. इन मामलों में सिर्फ कार्रवाई का आश्वासन देकर भ्रष्ट अफसरों को पनाह दी जा रही है. ऐसे में सरपंच-सचिव मनरेगा की राशि को खुर्दबुर्द करने में जुटे हुए हैं.
ऐसवाया पंचायत में मजदूरों की जगह मशीनों से कराया काम
कोरोना काल में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पंचायतों के माध्यम से मजदूरों को मजदूरी दिलाने के लिए मनरेगा में लाखों रुपए की राशि मंजूर कर दी, लेकिन पोहरी की ग्राम पंचायत ऐसवाया में मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराया गया, जिससे मजदूरों को रोजगार नहीं मिल सका. वहीं ग्राम पंचायत के नारायण आदिवासी, जगदीश आदिवासी, हरचरण आदि ग्रामीणों का कहना है कि 200 रुपए देकर हमारे खातों में डाली गई राशि निकाल ली गई. यह अकेला ऐसवाया पंचायत का हाल नहीं है, पोहरी क्षेत्र में दर्जनों ग्राम पंचायत ऐसी हैं, जहां मनरेगा की राशि मजदूरों की बजाए सरपंच-सचिव सहित अधिकारियों की जेब में जा रही है.
इनका कहना है
पोहरी के सब इंजीनियर, अजय बंसल का कहना है पोहरी की ग्राम पंचायतों में मैंने खुद सर्वे किया है, ऐसा किसी भी ग्राम पंचायत का मामला नहीं है, जहां मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराया गया हो. मनरेगा के तहत मजदूरों को सभी जगह काम मिल रहा है.