ETV Bharat / state

करैरा में महिलाओं ने रखा महालक्ष्मी का व्रत, हाथी पूजा कर मांगा धनसंपदा का आशीर्वाद - हाथी पूजा

श्राद्ध पक्ष में पड़ने वाले महालक्ष्मी व्रत को गुरुवार को शिवपुरी जिले के करैरा में महिलाओं ने विधिविधान से हाथी और महालक्ष्मी की पूजा की और धन धान्य से संपन्नता का आशीर्वाद मांगा.

Women kept Mahalakshmi fast in Karera
करैरा में महिलाओं ने रखा महालक्ष्मी का व्रत
author img

By

Published : Sep 10, 2020, 9:46 PM IST

शिवपुरी। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यानी पितृपक्ष के आठवीं तिथि के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इसे गजलक्ष्‍मी व्रत के अलावा महालक्ष्मी व्रत और हाथी पूजा भी कहते हैं. जिले के करैरा में महिलाओं ने इस व्रत को भक्तिभाव के साथ किया और हाथी के साथ महालक्ष्मी की पूजा घर घर में की गई. श्राद्ध पक्ष में वैसे तो शुभकाम वर्जित माने गए हैं, लेकिन यह व्रत और पूजा इसी दौरान होती है.

महालक्ष्मी व्रत में कथा भी कही जाती है-

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह नियमित रुप से श्रीविष्णु की अराधना करता था. उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्रीविष्णु ने दर्शन दिए और ब्राह्मण से वर मांगने के लिए कहा. तब ब्राह्मण ने लक्ष्मीजी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की. तब श्रीविष्णु ने लक्ष्मीजी की प्राप्ति का मार्ग बताया. उन्‍होंने बताया क‍ि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है, जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना, वही देवी लक्ष्‍मी हैं. श्रीव‍िष्‍णु ने ब्राह्मण से कहा क‍ि देवी लक्ष्मीजी के आने के बाद तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा. यह कहकर श्रीविष्णु जी चले गए. अगले दिन वह सुबह ही मंदिर के सामने बैठ गया. लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मीजी समझ गई, कि यह सब विष्णुजी के कहने से हुआ है. लक्ष्मीजी ने ब्राह्मण से कहा क‍ि मैं चलूंगी तुम्‍हारे घर लेक‍िन पहले तुम महालक्ष्मी व्रत करो. इसके लिए 16 दिनों तक व्रत करने और 16वें दिन रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्‍य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा. ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा. इसके बाद देवी लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया. मान्‍यता है क‍ि उसी दिन से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई.

शिवपुरी। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यानी पितृपक्ष के आठवीं तिथि के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इसे गजलक्ष्‍मी व्रत के अलावा महालक्ष्मी व्रत और हाथी पूजा भी कहते हैं. जिले के करैरा में महिलाओं ने इस व्रत को भक्तिभाव के साथ किया और हाथी के साथ महालक्ष्मी की पूजा घर घर में की गई. श्राद्ध पक्ष में वैसे तो शुभकाम वर्जित माने गए हैं, लेकिन यह व्रत और पूजा इसी दौरान होती है.

महालक्ष्मी व्रत में कथा भी कही जाती है-

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह नियमित रुप से श्रीविष्णु की अराधना करता था. उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्रीविष्णु ने दर्शन दिए और ब्राह्मण से वर मांगने के लिए कहा. तब ब्राह्मण ने लक्ष्मीजी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की. तब श्रीविष्णु ने लक्ष्मीजी की प्राप्ति का मार्ग बताया. उन्‍होंने बताया क‍ि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है, जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना, वही देवी लक्ष्‍मी हैं. श्रीव‍िष्‍णु ने ब्राह्मण से कहा क‍ि देवी लक्ष्मीजी के आने के बाद तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा. यह कहकर श्रीविष्णु जी चले गए. अगले दिन वह सुबह ही मंदिर के सामने बैठ गया. लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मीजी समझ गई, कि यह सब विष्णुजी के कहने से हुआ है. लक्ष्मीजी ने ब्राह्मण से कहा क‍ि मैं चलूंगी तुम्‍हारे घर लेक‍िन पहले तुम महालक्ष्मी व्रत करो. इसके लिए 16 दिनों तक व्रत करने और 16वें दिन रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्‍य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा. ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा. इसके बाद देवी लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया. मान्‍यता है क‍ि उसी दिन से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.