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रामबाण साबित हो रही प्लाज्मा थेरेपी

एमपी के शिवपुरी में कोरोना से मददगार प्लाज्मा थेरेपी अभी तक शुरू नहीं हो सकी है. जबकि जिले में लगातार कोरोना के केस आ रहे हैं. बताया जाता है कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना से लड़ने के लिए रामबाण साबित हो रही है.

shivpuri hospital
शिवपुरी चिकित्सालय
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Published : May 4, 2021, 2:51 AM IST

शिवपुरी। कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी की मदद से मरीजों की जान बचाई जा सकती है. खासकर उन मरीजों की, जो अधिक गंभीर हैं. मेडीकल कॉलेज सहित जिला अस्पताल में अनुभवी डॉक्टरों की कमी नहीं है. बावजूद इसके मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी न दिया जाना कहां तक उचित है.

लाइंस क्लब ने की थी घोषणा
दिल्ली सहित कई राज्यों में प्लाज्मा थैरेपी से कई कोरोना मरीजों को जीवन दान मिला है. ऐसे में शिवपुरी जिले में भी मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया जा सकता है. शिवपुरी में भी लाइंस क्लब ने भी प्लाज्मा कैंप लगवाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह संभव नही हुआ है.

क्या है प्लाज्मा
प्लाज्मा रक्त में उपलब्ध एक तरल पदार्थ होता है. इसका 92 फीसदी भाग पानी होता है. प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोज मिनरल, हार्मोन, कार्बनडाइऑक्साइड होते हैं. कोरोना के अटैक के समय शरीर वायरस से लड़ता है और यह लड़ाई एंटीबॉडी लड़ती हैं, जो प्लाज्मा की मदद से ही बनती हैं. कोरोना मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बनाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर है.

किन-किन राज्यों में हुआ ट्रायल
कोरोना थेरेपी का सबसे पहले ट्रायल दिल्ली में शुरू हुआ. उसके बाद कर्नाटक, केरल सहित महाराष्ट्र और देश के कई अन्य राज्यों ने इस थेरेपी को अपनाकर कई गंभीर कोरोना मरीजों को स्वस्थ किया है. कोरोना मरीज जब स्वस्थ होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं. यही एंटीबॉडी उसे स्वस्थ होने में मदद करती हैं. जब यह मरीज स्वस्थ हो जाता है तो वह रक्तदान कर सकता है. उसके रक्त से प्लाज्मा निकालकर गंभीर मरीजों को दिया जा सकता है, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडी का बन सकें और वह कोरोना से लड़कर स्वस्थ हो सकें.

क्या है एंटीबॉडी
एंटीबॉडी हमारे शरीर में पाया जाने वाले एक प्रोटीन है, जो एंटीजिन नामक बाहरी हानिकारक चीजों से लड़ने में मदद करता है.

दो हफ्ते बाद कर सकते हैं रक्तदान
कोरोना मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद वह दो हफ्ते के बाद रक्तदान कर सकता है. उसके रक्त से प्लाज्मा निकालकर गंभीर मरीजों का उपचार किया जा सकता है. एक कोरोना मरीज के प्लाज्मा से करीब दो मरीजों का उपचार किया जा सकता है.

कोरोना संक्रमितों के लिए डॉक्टरों ने उठायी प्लाज्मा थैरेपी की मांग

कौन कर सकता है प्लाज्मा दान
कोरोना मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद रक्तदान कर प्लाज्मा डोनेट कर सकता है. उसकी उम्र 18 से 60 साल होना चाहिए और वजन 50 किलो से कम नहीं होना चाहिए।.डायबिटीज और शुगर सहित हार्ट पेंशेंट व हाईपरटेंशन के शिकार लोग प्जाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं. साथ ही ब्लड प्रेशर के मरीज भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा लिवर व किडनी की बीमारी से पीडित लोग भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं.

शिवपुरी। कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी की मदद से मरीजों की जान बचाई जा सकती है. खासकर उन मरीजों की, जो अधिक गंभीर हैं. मेडीकल कॉलेज सहित जिला अस्पताल में अनुभवी डॉक्टरों की कमी नहीं है. बावजूद इसके मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी न दिया जाना कहां तक उचित है.

लाइंस क्लब ने की थी घोषणा
दिल्ली सहित कई राज्यों में प्लाज्मा थैरेपी से कई कोरोना मरीजों को जीवन दान मिला है. ऐसे में शिवपुरी जिले में भी मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया जा सकता है. शिवपुरी में भी लाइंस क्लब ने भी प्लाज्मा कैंप लगवाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह संभव नही हुआ है.

क्या है प्लाज्मा
प्लाज्मा रक्त में उपलब्ध एक तरल पदार्थ होता है. इसका 92 फीसदी भाग पानी होता है. प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोज मिनरल, हार्मोन, कार्बनडाइऑक्साइड होते हैं. कोरोना के अटैक के समय शरीर वायरस से लड़ता है और यह लड़ाई एंटीबॉडी लड़ती हैं, जो प्लाज्मा की मदद से ही बनती हैं. कोरोना मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बनाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर है.

किन-किन राज्यों में हुआ ट्रायल
कोरोना थेरेपी का सबसे पहले ट्रायल दिल्ली में शुरू हुआ. उसके बाद कर्नाटक, केरल सहित महाराष्ट्र और देश के कई अन्य राज्यों ने इस थेरेपी को अपनाकर कई गंभीर कोरोना मरीजों को स्वस्थ किया है. कोरोना मरीज जब स्वस्थ होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं. यही एंटीबॉडी उसे स्वस्थ होने में मदद करती हैं. जब यह मरीज स्वस्थ हो जाता है तो वह रक्तदान कर सकता है. उसके रक्त से प्लाज्मा निकालकर गंभीर मरीजों को दिया जा सकता है, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडी का बन सकें और वह कोरोना से लड़कर स्वस्थ हो सकें.

क्या है एंटीबॉडी
एंटीबॉडी हमारे शरीर में पाया जाने वाले एक प्रोटीन है, जो एंटीजिन नामक बाहरी हानिकारक चीजों से लड़ने में मदद करता है.

दो हफ्ते बाद कर सकते हैं रक्तदान
कोरोना मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद वह दो हफ्ते के बाद रक्तदान कर सकता है. उसके रक्त से प्लाज्मा निकालकर गंभीर मरीजों का उपचार किया जा सकता है. एक कोरोना मरीज के प्लाज्मा से करीब दो मरीजों का उपचार किया जा सकता है.

कोरोना संक्रमितों के लिए डॉक्टरों ने उठायी प्लाज्मा थैरेपी की मांग

कौन कर सकता है प्लाज्मा दान
कोरोना मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद रक्तदान कर प्लाज्मा डोनेट कर सकता है. उसकी उम्र 18 से 60 साल होना चाहिए और वजन 50 किलो से कम नहीं होना चाहिए।.डायबिटीज और शुगर सहित हार्ट पेंशेंट व हाईपरटेंशन के शिकार लोग प्जाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं. साथ ही ब्लड प्रेशर के मरीज भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा लिवर व किडनी की बीमारी से पीडित लोग भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं.

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