शिवपुरी। भारत में सरकार आधुनिकता की ओर कदम बढ़ा रही है, जिसके तहत डिजिटल इंडिया की शुरूआत की गई. इस योजना का उद्देश्य है कि देशभर में पेपर लेस काम हो और सब डिजिटल हो, इलेक्ट्रिक गैजेट्स के जरिए. वहीं कोरोना महामारी के कारण लंबे समय से चल रहे लॉकडाउन के दौरान स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लासेस लग रही हैं. लेकिन ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों के दिमाग पर उल्टा ही असर पड़ रहा है और उन्हें स्कूल जैसे शिक्षा ऑनलाइन क्लास में नहीं मिल पा रही है.
डाउट क्लीयर करने में हो रही परेशानी
ऑनलाइन क्लास में छोटे-छोटे बच्चों की मुसीबत और बढ़ा दी है. छोटे-छोटे बच्चों के डाउट क्लियर नहीं हो पा रहे हैं. बच्चों का कहना है कि और डाउट होने पर उनका डाउट क्लीयर नहीं हो पाता. ऑनलाइन क्लास में डाउट क्लीयर नहीं हो रहा है, जबकि वह जब स्कूल जाते थे तो ज्यादा बेहतर तरीके से पढ़ पाते थे. वहीं इन दिनों ट्यूशन बंद होने से उनकी समस्या और भी बढ़ गई है.
अभिभावकों की अपनी समस्या
अभिभावकों ने बताया कि स्कूल की तरफ से ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं लेकिन इन ऑनलाइन क्लासेस से छोटे बच्चों के दिमाग पर उल्टा ही असर हो रहा है. 4 से 5 घंटे तक चलने वाली ऑनलाइन क्लासेज के बाद बच्चों में एक अलग ही बदलाव देखने को मिल रहा है. वहीं नौकरी पेशा अभिभावकों के लिए बच्चों की अतिरिक्त जिम्मेदारी आ गई है, जिससे न तो वह बच्चों पर ध्यान दे पा रहे हैं, न ही अपने काम पर.
बच्चों में बढ़ रही मोबाइल की लत
बच्चे पूरा दिन मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए अभिभावक हर वक्त भी उन पर नजर नहीं रख पाते, जिससे यह पता चलना मुश्किल होता है कि वह गेम खेल रहे हैं या पढ़ाई कर रहे हैं. इस दौरान बच्चों का अश्लील वेबसाइट पर जाना भी काफी बढ़ गया है. साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट प्रवीण कुमार जंजुआ ने भी माना कि बच्चों और युवाओं का बढ़ता स्क्रीन टाइम चिंता की बात है.