शिवपुरी. मध्यप्रदेश में इस बार सोलवीं लोकसभा चुनाव के साथ ही सत्ता बदल जाएगी. यानि मुख्यमंत्री वर्तमान हो, या कोई और चेहरा लेकिन पदग्रहण से लेकर पदभार नया होगा, नई पारी होगी. इसी मौके को भुनाने सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों के साथ इस प्रादेशिक चुनावी रण में उतर गए हैं. तैयारियां जोरों पर है. जिस सीट की हम बात कर रहे हैं, वो शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा है. चुनाव के लिहाज ये सीट महत्वपूर्ण है. सीट पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेंद्र राठखेड़ा का विधानसभा क्षेत्र है.
विधानसभा चुनाव में शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. यहां से बीजेपी प्रत्याशी सुरेश धाकड़ तो कांग्रेस प्रत्याशी कैलाश कुशवाह हैं.
(आइए जानते हैं, इस सीट को लेकर क्या चुनाव के समीकरण बन रहे हैं, ETV भारत की इलेक्शन सीरीज MP के महाराज में डालते हैं, एक नज़र...)
किसको मिलेगा जनता का आशीर्वाद: साल के आखिर में जब चुनाव होंगे, तो पोहरी विधानसभा की जनता के पास होगा, अपना भाग्य चुनना. इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. यहां से चुने हुए विधायक को महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट का कहा जाता है.
कांग्रेस छोड़ महाराज के पदचिन्हों पर चलकर बीजेपी कैबिनेट का हिस्सा बने सुरेंद्र धाकड़ राठखेड़ा प्रदेश के राज्यमंत्री भी हैं. ऐसे में कांग्रेस को यहां मेहनत कर राजनीतिक तस्वीर का गठजोड़ बदलना है, जो उसके लिए काफी चुनौती पूर्ण है.
अब पोहरी का भविष्य किस विधायक की जीत की मुहर पर दर्ज होगा, यह तो वक्त बताएगा. लेकिन हम आपको इलाके की सियासी हलचल और बनते बिगड़ते समीकरण की जानकारी दे देते हैं.
पोहरी की खासियत: ब्राह्मण और धाकड़ विधायकों के दब दबे की सीट मानी जाने वाली पोहरी विधानसभा पर इन दो ही जातियों के विधायकों का कब्जा रहा है. अपने प्राकृतिक खूबसूरती, झरनों, दार्शनिक स्थल के फेमस पोहरी के इस हिस्से पर भी नजर डाल लेते हैं.
यहाँ कई दार्शनिक स्थल हैं. इनमें केदारेश्वर, जल मंदिर पोहरी, गणेश मंदिर, परकोटे वाली माता जैसे धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के साथ पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं.
इनके साथ ही पावा झरना, किला पर्यटन के मुख्य आकर्षण हैं. कूनो नेशनल पार्क से इस क्षेत्र में भी पर्यटन का फ़ायदा मिलेगा. कूनो का एक गेट पोहरी का अहेरा गेट है. पोहरी का अहेरा गेट ग्वालियर-भोपाल-आगरा से आने वाले सैलानियों के लिए बेहतर मार्ग है.
यहां स्थानीय रोजगार की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं. करीबन 300 करोड़ की सर्कुला सिंचाई परियोजना को हरी झंडी भी हाल में मिली है. इससे करीबन 56 गांव को फायदा होगा.
विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: निर्वाचन क्षेत्र के क्रमांक 24 पर दर्ज पोहरी विधानसभा के मतदाताओं पर नजर डाली जाए तो 2 अगस्त 2023 तक कुल 2 लाख 34 हजार 781 मतदाता हैं. इनमें पुरुष की संख्या 1,23,007 है. महिला मतदाता 1,08,764 है. साथ ही ट्रासजेंडर मतदाता सिर्फ 6 हैं.
पोहरी का राजनीतिक समीकरण: इस सीट से विधायक और सरकार में राज्यमंत्री सुरेंद्र राठखेड़ा धाकड़ विधायक हैं. यहां के सियासी समीकरणों की बात की जाए, यह उन सीटों में शामिल हैं, जहां 2020 कांग्रेस विधायकों ने पद और पार्टी छोड़कर सत्ता दल में एंट्री ली थी.
उस दौरान पोहरी विधानसभा में कांग्रेस के सुरेंद्र राठखेड़ा धाकड़ विधायक थे. जो सिंधिया समर्थक होने के चलते अन्य 21 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे.
इसके बाद उपचुनाव में भी बीजेपी के बैनर तले उन्होंने अपनी योग्यता हासिल की. 22 हजार वोट से जीते और कैबिनेट में पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री का दर्जा हासिल किया.
लेकिन अब उससे भी बड़ी चुनौती आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर है. यहां बीजेपी को लेकर प्रदेश में बनती एंटी इनकम्बेंसी के बीच, मूड इसे भुनाने में बैठा है.यहां बीजेपी को प्रत्याशी चुनने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
इस बार टिकट के दावेदारों में सुरेंद्र राठखेड़ा धाकड़, पूर्व विधायक प्रहलाद भारती (2008, 2013 विधानसभा), पूर्व विधायक नरेंद्र विरथरे, पूर्व विधायक रणवीर सिंह रावत जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं. इधर, कांग्रेस भी सभी समीकरण बैठाने में जुटी है.
कांग्रेस से पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला, विनोद धाकड़ और प्रधुम वर्मा टिकट दावेदारों में शामिल हैं. हालांकि उपचुनाव में कांग्रेस का तीसरे पायदान पर फिसल गई थी.
पोहरी का जातिगत समीकरण: पोहरी के जातिगत समीकरण की बात करें, तो चार दशक से धाकड़ और ब्राह्मण समाज यहां से विधायक चुनते आ रहे हैं. लेकिन वक्त के साथ यहां ब्राह्मण वोटर कम हुआ है. इसके अलावा धाकड़ वोटर दोगुने से ज्यादा हैं. इससे धाकड़ प्रत्याशी को लाभ मिलेगा. इसका फायदा उन्हें उपचुनाव में मिला था, जहां शिवराज की वजह से किरार समाज का वोट भी सुरेंद्र राठखेड़ा धाकड़ को मिला था.
अगर पीडब्ल्यूडी मंत्री को यहां से पार्टी मैदान में उतारती है, तो उनकी राह आसान हो सकती है. क्योंकि विधानसभा का जातिगत समीकरण भी इसी ओर इंगित कर रहा है.
2020 क्या थे चुनावी नतीजे: 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए सुरेंद्र राठखेड़ा को बीजेपी ने मैदान में उतारा था. उन्हें दोबारा जनता ने भरोसा दिया और 66,344 वोट दिए, इसके अलावा उनसे कम 43,848 वोट बसपा के कैलाश कुशवाह को मिले.
इस चुनाव में कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला तीसरे स्थान पर रहे, उन्हें 22,638 वोट हासिल हुए. जीत का मार्जिन कुल मिलाकर 22,496 वोट का रहा था.
विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे: 2018 के विधानसभा चुनाव में मुक़ाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच था, यहां से बीजेपी ने सिटिंग विधायक प्रहलाद भारती को मैदान में उतारा. जनता ने उन्हें 37,268 वोट दिए. इस दौरान बीजेपी में नाराजगी देखने को भी मिली थी. वहीं, उनके अलावा इस चुनाव में बसपा के कैलाश कुशवाह को 52,736 वोट मिले. कांग्रेस के सुरेंद्र धाकड़ को 60,554 वोट देकर जनता ने करीबन 8 हजार के अंतर से जिताया था.
विधानसभा चुनाव 2008 के नतीजे: बीजेपी ने 2008 के चुनाव में प्रह्लाद भारती को टिकट दिया, जिन्हें जनता ने चुनाव में 45,209 वोट दिये थे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला को 25819 वोट मिले, जिसकी वजह बीजेपी को जीत मिली. तब जीत का मार्जिन 19390 वोटों का रहा था.
विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: ज़िले की पोहरी विधानसभा में आज भी कई समस्याएं जस की तस बनी हुईं है. यहां पीने के पानी का संकट, किसानों के लिए सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था न होना, कुपोषण का दंश, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे हैं.