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मुख्यमंत्री जिस कॉलेज का करने वाले थे भूमिपूजन, उससे पहले माफियाओं ने बेची जमीन - कॉलेज का भूमिपूजन

छह दिन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस कॉलेज की बिल्डिंग के लिए भूमिपूजन करने आने वाले थे. लेकिन इससे पहले ही बड़ा खुलासा हुआ है. कॉलेज के लिए आवंटित जमीन काे भूमाफिया ने बेच दिया है.

Shivpuri
मुख्यमंत्री से जिस कॉलेज का भूमिपूजन कराने की तैयारी
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Published : Sep 7, 2020, 1:47 AM IST

शिवपुरी। बैराड़ तहसील के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए कस्बे से बाहर न जाना पड़े इसलिए लंबी समय तक चली मांग के बाद प्रदेश सरकार से कॉलेज मंजूर हुआ था. छह दिन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस कॉलेज की बिल्डिंग के लिए भूमिपूजन करने आने वाले थे. लेकिन इससे पहले ही बड़ा खुलासा हुआ है. कॉलेज के लिए आवंटित जमीन काे भूमाफिया ने बेच दिया है. कॉलेज बिल्डिंग के लिए कालामगढ़ हल्के में सरकारी जमीन पर पचास से अधिक कब्जे हैं. जमीन को खुर्दबुर्द कराने में तत्कालीन पटवारी व राजस्व अधिकारी जिम्मेदार हैं. नोटरियों के आधार पर भूमाफियाओं ने जमीनें बेची हैं.

खासबात यह है कि कॉलेज सहित अन्य सरकारी जमीनों को बेचने वाले भू माफिया और जिम्मेदार पटवारी व तहसील के बाबू के खिलाफ साल 2012 में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी प्रशासन अभी तक कॉलेज की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटा पाया है. पाेहरी उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 12 सितंबर का दौरा कार्यक्रम बना है. लोगाें को कॉलेज की सौगात दिलाने की मंशा से भूमिपूजन की तैयारी चल रही है. ऐसे में भले ही भूमिपूजन हो जाएगा, लेकिन बिना अतिक्रमण हटाए कॉलेज बिल्डिंग बनना मुश्किल है.

खसरे में जमीन शासकीय चारागाह, कैफियत में बारह लोगों के नाम दर्ज

कॉलेज के लिए साल 2007-08 में कालामगढ़ हल्के में सर्वे नंबर 571/1 में 2 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई. उक्त समय दस्तावेजों में जमीन पर कब्जा ना होने का जिक्र भी किया था. लेकिन बाद में अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. पटवारी व तहसील बाबू से मिलकर भू माफियाओं ने जमीन नोटरी कराकर दूसरे लोगों को बेच दी.

वर्तमान पटवारी को नहीं है जानकारी

कॉलेज के लिए करीब दस बीघा जमीन आवंटित कर 29 फरवरी 2008 को उच्च शिक्षा विभाग को दे दी. लेकिन बैराड़ नगर परिषद बनने के बाद भू-माफिया की नजर खाली पड़ी जमीन पर पड़ी और निजी बताकर प्लाटिंग कर दी. एक-एक करके दूसरे लोगों को नोटरी कराकर जमीन बेच दी, जहां लोग मकान बनाकर रहने लगे. वर्तमान में दस में से लगभग दो बीघा जमीन ही बची है. वर्तमान में पदस्थ पटवारी अभिषेक मिश्रा का कहना है कि कॉलेज के लिए आवंटित जमीन संबंधी उनके पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. तहसीलदार राजेंद्र जोशी जानकारी जुटाने की बात कहते नजर आए. जमीन पर कितने लोगों का कब्जा है, इस बारे में तहसीलदार बता पाएंगे. हालांकि अभियान के दौरान कुछ अतिक्रमण हटाए भी गए थे. कॉलेज के लिए आवंटित जमीन मामले में जांच चल रही है.

शिवपुरी। बैराड़ तहसील के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए कस्बे से बाहर न जाना पड़े इसलिए लंबी समय तक चली मांग के बाद प्रदेश सरकार से कॉलेज मंजूर हुआ था. छह दिन बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस कॉलेज की बिल्डिंग के लिए भूमिपूजन करने आने वाले थे. लेकिन इससे पहले ही बड़ा खुलासा हुआ है. कॉलेज के लिए आवंटित जमीन काे भूमाफिया ने बेच दिया है. कॉलेज बिल्डिंग के लिए कालामगढ़ हल्के में सरकारी जमीन पर पचास से अधिक कब्जे हैं. जमीन को खुर्दबुर्द कराने में तत्कालीन पटवारी व राजस्व अधिकारी जिम्मेदार हैं. नोटरियों के आधार पर भूमाफियाओं ने जमीनें बेची हैं.

खासबात यह है कि कॉलेज सहित अन्य सरकारी जमीनों को बेचने वाले भू माफिया और जिम्मेदार पटवारी व तहसील के बाबू के खिलाफ साल 2012 में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी प्रशासन अभी तक कॉलेज की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटा पाया है. पाेहरी उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 12 सितंबर का दौरा कार्यक्रम बना है. लोगाें को कॉलेज की सौगात दिलाने की मंशा से भूमिपूजन की तैयारी चल रही है. ऐसे में भले ही भूमिपूजन हो जाएगा, लेकिन बिना अतिक्रमण हटाए कॉलेज बिल्डिंग बनना मुश्किल है.

खसरे में जमीन शासकीय चारागाह, कैफियत में बारह लोगों के नाम दर्ज

कॉलेज के लिए साल 2007-08 में कालामगढ़ हल्के में सर्वे नंबर 571/1 में 2 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई. उक्त समय दस्तावेजों में जमीन पर कब्जा ना होने का जिक्र भी किया था. लेकिन बाद में अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. पटवारी व तहसील बाबू से मिलकर भू माफियाओं ने जमीन नोटरी कराकर दूसरे लोगों को बेच दी.

वर्तमान पटवारी को नहीं है जानकारी

कॉलेज के लिए करीब दस बीघा जमीन आवंटित कर 29 फरवरी 2008 को उच्च शिक्षा विभाग को दे दी. लेकिन बैराड़ नगर परिषद बनने के बाद भू-माफिया की नजर खाली पड़ी जमीन पर पड़ी और निजी बताकर प्लाटिंग कर दी. एक-एक करके दूसरे लोगों को नोटरी कराकर जमीन बेच दी, जहां लोग मकान बनाकर रहने लगे. वर्तमान में दस में से लगभग दो बीघा जमीन ही बची है. वर्तमान में पदस्थ पटवारी अभिषेक मिश्रा का कहना है कि कॉलेज के लिए आवंटित जमीन संबंधी उनके पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. तहसीलदार राजेंद्र जोशी जानकारी जुटाने की बात कहते नजर आए. जमीन पर कितने लोगों का कब्जा है, इस बारे में तहसीलदार बता पाएंगे. हालांकि अभियान के दौरान कुछ अतिक्रमण हटाए भी गए थे. कॉलेज के लिए आवंटित जमीन मामले में जांच चल रही है.

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