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MP उपचुनाव: जातीय समीकरण ने बिगाड़ा चुनावी गणित, आखिर पोहरी में किसकी जड़े 'गहरी' ?

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Published : Oct 27, 2020, 7:14 PM IST

मध्य प्रदेश में उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. 28 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में शिवपुरी की पोहरी विधानसभा सीट भी शामिल है. ये सीट बाकी सीटों से अलग है, क्योंकि यहां का चुनाव जातिगत फैक्टर पर डिपेंड है.पढ़ें, कौन-सी जाति बिगाड़ सकती है चुनावी खेल...

pohari assembly seat
पोहरी में किसकी जड़े 'गहरी'

शिवपुरी। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है, और जोर-शोर से अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. इन 28 विधानसभा सीटों में शिवपुरी की पोहरी सीट भी शामिल है, जहां सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपनी चुनावी रैलियां और जनसंपर्क शुरू कर दिया है. जानें पोहरी विधानसभा सीट के बारे में-

पोहरी में किसकी जड़े 'गहरी'

धाकड़ और ब्राह्मण उम्मीदवारों का रहा दबदबा

पोहरी विधानसभा सीट में पिछले 43 सालों से सिर्फ धाकड़ या ब्राह्मण उम्मीदवारों ने ही जीत का स्वाद चखा है. इस बार उपचुनाव में भी मुख्य मुकाबला इन दोनों जातियों के ही उम्मीदवारों के बीच है. बीजेपी की ओर से जहां सुरेश राठखेड़ा चुनवी मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से हरिवल्लभ शुक्ला मैदान में हैं.इसके अलावा बसपा ने कैलाश कुशवाह को चुनावी मैदान में खड़ा किया गया है. पोहरी विधानसभा के चुनाव में साल 1977 के बाद से हमेशा ही इन दोनों जातियों के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला रहा है. हालांकि यहां पर धाकड़ जाति के वोट ब्राह्मण जाति के मुकाबले कई ज्यादा हैं.

दूसरी जातियां भी निभाती अहम रोल

धाकड़ और ब्राह्मणों के अलावा यहां दूसरी जातियां भी अहम भूमिका निभाती हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है आदिवासी और आदिवासी जनजाति वोट. इन दोनों ही जातियों को साधने वाली पार्टी के लिए चुनावी राह सरल हो जाती है, लेकिन पिछले 40 सालों से किसी लीडिंग पार्टी ने कोई भी आदिवासी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. इस बार के उपचुनाव में अब इसी जाति के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

कौन-कौन है प्रत्याशी

प्रत्याशी पार्टी
सुरेश राठखेड़ाबीजेपी
हरिवल्लभ शुक्ला कांग्रेस
कैलाश कुशवाहबसपा
पारम सिंह रावत निर्दलीय

वोट बटोरने के लिए पुत्रों का ले रहे सहारा

पोहरी सीट को जीतने के लिए पार्टियां जी-जान लगाकर मेहनत कर रही हैं. यही वजह है कि जातिगत वोटों को बटोरने के लिए नेताओं के पुत्रों का भी सहारा लिया जा रहा है. सीएम शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय के जरिए धाकड़ वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही है. वर्तमान विधायकों से जनता असंतुष्ट है, जिसके नतीजे में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले इन प्रत्याशियों को पुरजोर आजमाइश का सामना करना पड़ रहा है.

Suresh Rathkheda
सुरेश राठखेड़ा

कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट पर लगाया दांव

कांग्रेस ने हरिवल्लभ पर अपना दांव खेला है. ब्राम्हण वोट बैंक के सहारे कांग्रेस अपनी नैया को पार लगाने में जुटी हुई है. हरिवल्लभ की राह इसलिए आसान नहीं है क्याेंकि वह पहले भी दो बार पोहरी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जिसमें एक बार कांग्रेस के टिकट पर और दूसरी बार समानता दल से विधायक चुने गए. इन्हें भी अपने कार्यकाल के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा था.

ये भी पढ़ें-MP उपचुनाव: प्रत्याशी वही पार्टी नई, अजब चुनाव की गजब कहानी !

पारम सिंह रावत बने हरिवल्लभ और राठखेड़ा की राह का रोड़ा

कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक आदिवासी और ब्राह्मण वोटों को लेकर चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हरिवल्लभ के लिए इस बार का चुनावी राह आसान नहीं है, क्योंकि कांग्रेस में ही रहे पूर्व जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में कूद गए हैं. पोहरी विधानसभा में रावत समुदाय के 12 हजार मतदाता हैं, जो कि इस बार के विधानसभा उप चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी पारम सिहं रावत कांग्रेस के साथ बीजेपी प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा की राह में भी रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे पारम से हरिवल्लभ और राठखेड़ा दोनों को ही नुकसान होगा.

Harivallabh Shukla
हरिवल्लभ शुक्ला

हाथी और कुशवाह वोट बैंक के सहारे कैलाश

बहुजन समाज पार्टी से पोहरी विधानसभा में दूसरी बार भाग्य आजमा रहे कैलाश कुशवाह की राह इस बार भी चुनाव में आसान नहीं हैं. हालांकि कैलाश कुशवाह बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत वोट बैंक और कुशवाह मतदाताओं के भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं. क्षेत्र के छर्च इलाके में स्थित कुशवाह बाहुल्य गांवों में वे सघन जनसंपर्क में जुटे हुए हैं, लेकिन इस बार विधानसभा उप चुनाव में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा. यह कहना फिलहाल मुश्किल है.

Kailash Kushwaha
कैलाश कुशवाह

कितने हैं मतदाता-

जाति मतदाता
ब्राह्मण15-18 हजार
धाकड़35 हजार
आदिवासी40 हजार
रावत12 हजार
कुशवाह22 हजार
जाटव22 हजार
यादव15 हजार
ठाकुर5 हजार
ठाकुर5 हजार
वै्श्य3 हजार
बघेल8 हजार

बीजेपी-कांग्रेस की ताकत-कमजोरी

कांग्रेस की ताकत

पिछली बार कांग्रेस से जीत दर्ज करने वाले सुरेश धाकड़ से जनता अपने पिछले काम का हिसाब मांग रही है. इसी को मोहरा बनाकर कांग्रेस अपने उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला के लिए वोट निकाल सकती है.

कांग्रेस की कमजोरी

कांग्रेस की कमजोरी भी हरिवल्लभ शुक्ला ही हो सकते हैं. क्योंकि धाकड़ बाहुल्य वोटर्स से ब्राह्मण उम्मीदवार के लिए वोट जुटाना एक चुनौती साबित हो सकती है.

ये भी पढ़ें- दतिया में 'भैय्या जी का अड्डा', किसान हैं नाराज, युवाओं को रोजगार का आस

बीजेपी की ताकत

पोहरी सीट धाकड़ बाहुल्य होने की वजह से बीजेपी के नए उम्मीदवार सुरेश धाकड़ को सफलता मिल सकती है. पोहरी की सीट पर इससे पहले भी बीजेपी ही हावी रही है, एक तरह से इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी कह सकते हैं.

बीजेपी के लिए चुनौती

2018 विधानसभाचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार प्रहलाद भारती पोहरी की सीट पर 2013 और 2008 में विधायक थे. जो इस बार होने वाले उपचुनाव से दूरी बनाए हुए हैं, जिसका नुकसान पार्टी को प्रहलाद भारती के वोट गंवाकर चुकाना पड़ सकता है.

शिवपुरी। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है, और जोर-शोर से अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. इन 28 विधानसभा सीटों में शिवपुरी की पोहरी सीट भी शामिल है, जहां सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपनी चुनावी रैलियां और जनसंपर्क शुरू कर दिया है. जानें पोहरी विधानसभा सीट के बारे में-

पोहरी में किसकी जड़े 'गहरी'

धाकड़ और ब्राह्मण उम्मीदवारों का रहा दबदबा

पोहरी विधानसभा सीट में पिछले 43 सालों से सिर्फ धाकड़ या ब्राह्मण उम्मीदवारों ने ही जीत का स्वाद चखा है. इस बार उपचुनाव में भी मुख्य मुकाबला इन दोनों जातियों के ही उम्मीदवारों के बीच है. बीजेपी की ओर से जहां सुरेश राठखेड़ा चुनवी मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से हरिवल्लभ शुक्ला मैदान में हैं.इसके अलावा बसपा ने कैलाश कुशवाह को चुनावी मैदान में खड़ा किया गया है. पोहरी विधानसभा के चुनाव में साल 1977 के बाद से हमेशा ही इन दोनों जातियों के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला रहा है. हालांकि यहां पर धाकड़ जाति के वोट ब्राह्मण जाति के मुकाबले कई ज्यादा हैं.

दूसरी जातियां भी निभाती अहम रोल

धाकड़ और ब्राह्मणों के अलावा यहां दूसरी जातियां भी अहम भूमिका निभाती हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है आदिवासी और आदिवासी जनजाति वोट. इन दोनों ही जातियों को साधने वाली पार्टी के लिए चुनावी राह सरल हो जाती है, लेकिन पिछले 40 सालों से किसी लीडिंग पार्टी ने कोई भी आदिवासी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. इस बार के उपचुनाव में अब इसी जाति के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

कौन-कौन है प्रत्याशी

प्रत्याशी पार्टी
सुरेश राठखेड़ाबीजेपी
हरिवल्लभ शुक्ला कांग्रेस
कैलाश कुशवाहबसपा
पारम सिंह रावत निर्दलीय

वोट बटोरने के लिए पुत्रों का ले रहे सहारा

पोहरी सीट को जीतने के लिए पार्टियां जी-जान लगाकर मेहनत कर रही हैं. यही वजह है कि जातिगत वोटों को बटोरने के लिए नेताओं के पुत्रों का भी सहारा लिया जा रहा है. सीएम शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय के जरिए धाकड़ वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही है. वर्तमान विधायकों से जनता असंतुष्ट है, जिसके नतीजे में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले इन प्रत्याशियों को पुरजोर आजमाइश का सामना करना पड़ रहा है.

Suresh Rathkheda
सुरेश राठखेड़ा

कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट पर लगाया दांव

कांग्रेस ने हरिवल्लभ पर अपना दांव खेला है. ब्राम्हण वोट बैंक के सहारे कांग्रेस अपनी नैया को पार लगाने में जुटी हुई है. हरिवल्लभ की राह इसलिए आसान नहीं है क्याेंकि वह पहले भी दो बार पोहरी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जिसमें एक बार कांग्रेस के टिकट पर और दूसरी बार समानता दल से विधायक चुने गए. इन्हें भी अपने कार्यकाल के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा था.

ये भी पढ़ें-MP उपचुनाव: प्रत्याशी वही पार्टी नई, अजब चुनाव की गजब कहानी !

पारम सिंह रावत बने हरिवल्लभ और राठखेड़ा की राह का रोड़ा

कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक आदिवासी और ब्राह्मण वोटों को लेकर चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हरिवल्लभ के लिए इस बार का चुनावी राह आसान नहीं है, क्योंकि कांग्रेस में ही रहे पूर्व जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में कूद गए हैं. पोहरी विधानसभा में रावत समुदाय के 12 हजार मतदाता हैं, जो कि इस बार के विधानसभा उप चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी पारम सिहं रावत कांग्रेस के साथ बीजेपी प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा की राह में भी रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे पारम से हरिवल्लभ और राठखेड़ा दोनों को ही नुकसान होगा.

Harivallabh Shukla
हरिवल्लभ शुक्ला

हाथी और कुशवाह वोट बैंक के सहारे कैलाश

बहुजन समाज पार्टी से पोहरी विधानसभा में दूसरी बार भाग्य आजमा रहे कैलाश कुशवाह की राह इस बार भी चुनाव में आसान नहीं हैं. हालांकि कैलाश कुशवाह बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत वोट बैंक और कुशवाह मतदाताओं के भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं. क्षेत्र के छर्च इलाके में स्थित कुशवाह बाहुल्य गांवों में वे सघन जनसंपर्क में जुटे हुए हैं, लेकिन इस बार विधानसभा उप चुनाव में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा. यह कहना फिलहाल मुश्किल है.

Kailash Kushwaha
कैलाश कुशवाह

कितने हैं मतदाता-

जाति मतदाता
ब्राह्मण15-18 हजार
धाकड़35 हजार
आदिवासी40 हजार
रावत12 हजार
कुशवाह22 हजार
जाटव22 हजार
यादव15 हजार
ठाकुर5 हजार
ठाकुर5 हजार
वै्श्य3 हजार
बघेल8 हजार

बीजेपी-कांग्रेस की ताकत-कमजोरी

कांग्रेस की ताकत

पिछली बार कांग्रेस से जीत दर्ज करने वाले सुरेश धाकड़ से जनता अपने पिछले काम का हिसाब मांग रही है. इसी को मोहरा बनाकर कांग्रेस अपने उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला के लिए वोट निकाल सकती है.

कांग्रेस की कमजोरी

कांग्रेस की कमजोरी भी हरिवल्लभ शुक्ला ही हो सकते हैं. क्योंकि धाकड़ बाहुल्य वोटर्स से ब्राह्मण उम्मीदवार के लिए वोट जुटाना एक चुनौती साबित हो सकती है.

ये भी पढ़ें- दतिया में 'भैय्या जी का अड्डा', किसान हैं नाराज, युवाओं को रोजगार का आस

बीजेपी की ताकत

पोहरी सीट धाकड़ बाहुल्य होने की वजह से बीजेपी के नए उम्मीदवार सुरेश धाकड़ को सफलता मिल सकती है. पोहरी की सीट पर इससे पहले भी बीजेपी ही हावी रही है, एक तरह से इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी कह सकते हैं.

बीजेपी के लिए चुनौती

2018 विधानसभाचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार प्रहलाद भारती पोहरी की सीट पर 2013 और 2008 में विधायक थे. जो इस बार होने वाले उपचुनाव से दूरी बनाए हुए हैं, जिसका नुकसान पार्टी को प्रहलाद भारती के वोट गंवाकर चुकाना पड़ सकता है.

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