श्योपुर। पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़े हुए दामों की वजह से आमजन के साथ-साथ अब किसानों की भी परेशानियां बढ़ गई हैं. हालात ऐसे हैं कि, पिछले सालों की तुलना में इस साल जुताई से लेकर फसलों की कटाई तक के खर्चे डीजल के बढ़े हुए दामों की वजह से बढ़ गए हैं. जिससे किसानों को खासी परेशानियां उठानी पड़ रही है. बढ़े हुए खर्चों से निजात पाने के लिए छोटे किसान ट्रैक्टर की बजाए एक बार फिर से बैलों से जुताई और खेती करते हुए देखे जाने लगे हैं.
कच्चे तेल के दामों ने किसान की बढ़ाई चिंता पेट्रोल के दामों के साथ-साथ इस बार डीजल के दामों में करीब 12 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि हुई है, जिससे किसानों का बजट बुरी तरह गड़बड़ा गया है. हालात ऐसे हैं कि, पिछले साल एक बीघा जमीन की जुताई 600 से 700 रुपए में हो जाती थी, जो बढ़कर एक हजार रुपए के आसपास पहुंच गई. इसी तरह अन्य उपकरणों से खेती करने में किसानों का खर्चा पिछले साल की तुलना में इस बार 25 फीसदी ज्यादा बढ़ गया है. भाजपा जिला महामंत्री राम लखन नापाखेडली का कहना है कि, 'लॉकडाउन में सभी को परेशानी उठानी पड़ी, ये बात सच है और अब डीजल-पेट्रोल के दाम भी बढ़ रहे हैं, लेकिन 2013 में भी लगभग 82 से 83 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल इसी तरह बिका करता था, लेकिन हमें इस बात से गर्व है कि, आज का पैसा विकास में लगाया जा रहा है और पहले का पैसा घोटालों में खर्च हुआ करता था, तो किसानों को परेशानी तो आ रही है, लेकिन घोटालों में पैसा नहीं खर्च किया जा रहा है'. वहीं कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष चीनी कुरैशी का कहना है कि, 'पहले से ही लोगों की लॉकडाउन ने कमर तोड़कर रख दी है, लेकिन अब सरकार के द्वारा डीजल और पेट्रोल के दामों में दिनों दिन बढ़ोतरी की जा रही है. जिससे किसान पूरी तरह से परेशान हो गए हैं. जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी किसानों को लूटने का कार्य कर रही है, ये पूंजी पतियों की सरकार है, किसानों की सरकार तो कमलनाथ सरकार थी, जिसे भाजपाइयों ने छलावा करके गिरा दिया'.