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अन्नदाता पर दोहरी मार, बारिश से फसलें तबाह, तो समितियां नहीं दे रहीं यूरिया - sheopur

श्योपुर जिले में करीब 9 हजार किसानों का कर्जमाफी की सूची में नाम न होने के चलते उनको सेवा सहकारी समितियों से न तो यूरिया मिल रहा है और न ही वे किसान क्रेडिट बनवा पा रहे हैं. ऐसे में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बेहाल किसान
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Published : Sep 30, 2019, 12:21 PM IST

श्योपुर। एक तरफ प्रदेश सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की है. तो दूसरी तरफ गांव-कस्बों की सेवा सहकारी समितियां किसानों को कर्ज न चुकाने के चलते यूरिया देने से मना कर रहीं हैं. श्योपुर जिले की फिलोजपुरा सहकारी समिति से भी इसी तरह का मामला सामने आया है. जहां किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है.

फिलोजपुरा सहकारी समिति में एक किसान का 50 हजार रुपये का कर्ज बकाया था. जिसके चलते समिति प्रबंधक ने किसान को यूरिया देने से मना कर दिया. जब किसान ने जिद की तो कर्ज न भरने की बात कागज पर लिख कर दे दी. फिर क्या, किसान मायूस होकर वापिस लौट गया. लेकिन यह परेशानी सिर्फ एक किसान की नहीं है. बल्कि जिले में ऐसे किसानों की भरमार है जो सरकार के वादों की सियासत का शिकार है.

जिले के हजारों किसान ऐसे है जो खाद और किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए समितियों के चक्कर काट रहे हैं. कांग्रेस नेता रामलखन हिरणीखेडा ने सरकार का बचाव करते नजर आए, उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी किसानों को खाद देने की व्यवस्था की है. चाहे उसका खाता ओवरड्यू ही क्यों न हो. ये कुछ भाजपा के ऐजेंट हैं जो कमलनाथ सरकार के बारे में झूठ फैला रहे हैं.

वहीं सेवा सहकारी समिति के जिला नोडल अधिकारी मातादीन शर्मा ने बताया कि जिले के 29 हजार किसानों में से 18 हजार के करीब किसानों के कर्जमाफ हो गया है. जबकि बचे हुए किसानों को जल्द ही दूसरी सूची शामिल कर खाद देने की बात कही. अब देखना होगा कि दूसरी लिस्ट में 9 हजार किसान कब शामिल किए जाएंगे. खाद की जरूरत किसानों का अभी है बाद में समय निकल जाने के बाद देने से क्या फायदा.

श्योपुर। एक तरफ प्रदेश सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की है. तो दूसरी तरफ गांव-कस्बों की सेवा सहकारी समितियां किसानों को कर्ज न चुकाने के चलते यूरिया देने से मना कर रहीं हैं. श्योपुर जिले की फिलोजपुरा सहकारी समिति से भी इसी तरह का मामला सामने आया है. जहां किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है.

फिलोजपुरा सहकारी समिति में एक किसान का 50 हजार रुपये का कर्ज बकाया था. जिसके चलते समिति प्रबंधक ने किसान को यूरिया देने से मना कर दिया. जब किसान ने जिद की तो कर्ज न भरने की बात कागज पर लिख कर दे दी. फिर क्या, किसान मायूस होकर वापिस लौट गया. लेकिन यह परेशानी सिर्फ एक किसान की नहीं है. बल्कि जिले में ऐसे किसानों की भरमार है जो सरकार के वादों की सियासत का शिकार है.

जिले के हजारों किसान ऐसे है जो खाद और किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए समितियों के चक्कर काट रहे हैं. कांग्रेस नेता रामलखन हिरणीखेडा ने सरकार का बचाव करते नजर आए, उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी किसानों को खाद देने की व्यवस्था की है. चाहे उसका खाता ओवरड्यू ही क्यों न हो. ये कुछ भाजपा के ऐजेंट हैं जो कमलनाथ सरकार के बारे में झूठ फैला रहे हैं.

वहीं सेवा सहकारी समिति के जिला नोडल अधिकारी मातादीन शर्मा ने बताया कि जिले के 29 हजार किसानों में से 18 हजार के करीब किसानों के कर्जमाफ हो गया है. जबकि बचे हुए किसानों को जल्द ही दूसरी सूची शामिल कर खाद देने की बात कही. अब देखना होगा कि दूसरी लिस्ट में 9 हजार किसान कब शामिल किए जाएंगे. खाद की जरूरत किसानों का अभी है बाद में समय निकल जाने के बाद देने से क्या फायदा.

Intro:ऐंकर
श्योपुर-जिले के किसानों का कर्जा तो मांफ नहीं हुआ लेकिन सुसाइटियों द्वारा उन्हे पिछला कर्ज बकाया होने की वजह से खाद न दिए जाने की बात को कागज पर लिखकर दे दिया है और कर्जदार किसानों को यूरिया खाद देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। जिससे कर्जे के बोझ के तले दबे किसान यूरिया खाद के लिए परेशान है। Body:विओ-1
पिछले कर्ज को कर्जमांफी में चुक जाने की आस लगाकर बैठे जिले के किसानों को सरकारी सुसाइटी द्वारा खाद न देने की बात को कागज पर लिखकर और संस्था की सील लगाकर दे दिया है। जिससे कर्ज में डूबे हुए जिले के हजारों किसानों को यूरिया खाद के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है। मामला फिलोजपुरा सुसाइटी का है जहां हलगावडां खुर्द गांव के किसान जयराम नागर को पिछला 50 हजार 580 रुपए बकाया होने की वजह से सरकारी सुसाइटी के प्रबंधक द्वारा खाद देने से साफ इनकार कर दिया। जब किसान ने जिद की तो संस्था के प्रबंधक ने उसे कागज पर लिखकर खाद न देने की बात लिखी और उसपर संस्था की सील लगाकर किसान को थमा दिया। जिससे परेशान किसान मजबूर होकर खाद लिए बगैर ही सुसाइटी से बापस लौटने को मजबूर हो गया। अकेला यही किसान नहीं बल्कि जिले भर में ऐसे हजारों किसान है जो केसीसी बनवाने से लेकर यूरिया खाद के लिए सुसाइटियों के चक्कर काट रहे है। लेकिन सुसाइटियां उनपर पिछला कर्ज बकाया होने की बात कहकर उन्हे न यूरिया खाद दे रही है और नहीं नई केसीसी बना रही है। किसानों का कहना है कि कर्जमांफी के बादे तो हुए लेकिन कुछ भी नहीं हुआ इस वजह से वह केसीसी से लेकर यूरिया खाद के लिए परेशान है.... वीओ-2 कांग्रेश के नेता रामलखन हिरणीखेडा ने सरकार के बचन को दोहराते हुए जिले के 29 हजार किसानों में से 18 हजार से अधिक किसानों का कर्जा मांफ होने की बात कहते हुए कहा कि सरकार कर्जमांफी को लेकर काम कर रही है। किन्ही कारणों से देरी जरुर हुई है लेकिन किसानों को परेशान होने जैसी कोई बात नहीं है... Conclusion:विओ-3
कर्जधारी किसानों को सुसाइटियों द्वारा यूरिया खाद न दिए जाने के मामले को लेकर जब सेवा सहकारी समिति के जिला नोडल अधिकारी से etv bharat की टीम ने बात की तो वह भी 29 हजार किसानों में से 18 हजार के करीब किसानों के कर्जमांफ होने की बात कहते हुए 09 हजार के करीब किसानों के जल्द ही कर्जमांफ होने की बात कहकर लिस्ट में नाम जुडते ही कर्जधारी किसानों को यूरिया खाद देने की बात कहते नजर आए...
वीओ-4
कर्जमांफी हो तब हो लेकिन किसानों को यूरिया खाद दिया जाना उनकी सबसे बडी जरुरतों में से एक है। जिसे देखते हुए प्रशासन और सरकार को इतना तो कर देना चाहिए कि उन्हे सुसाइटियां उधारी पर यूरिया खाद देना तो बंद न करें..अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या एक्शन लेती है।
बाइट- मातादीन शर्मा जिला नोडल अधिकारी सेवा सहकारी समिति जिला श्योपुर।
बाइट-रामलखन हिरणीखेडा कांग्रेस नेता श्योपुर
बाइट-बाईट संभू रावत किसान
बाइट-दीपू रावत किसान
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