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हड़ताल पर आशा कार्यकर्ता, 12 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल, सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

श्योपुर जिले में अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा, ऊषा और आशा सहयोगियों ने प्रदर्शन किया. और कहा कि सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है.

हड़ताल पर आशा कार्यकर्ता
हड़ताल पर आशा कार्यकर्ता
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Published : Jun 16, 2021, 10:22 PM IST

श्योपुर।जिले में अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा, ऊषा और आशा सहयोगियों ने प्रदर्शन किया. और कहा कि सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है.दरअसल जिला अस्पताल के सामने आशा, ऊषा और आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा की यूनियन महिला कर्मचारी इकट्ठा हुईं और प्रदेश व्यापी हड़ताल के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर दूसरे दिन धरना दिया. इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने नियमितीकरण की मांग, भविष्य निधि और ईएसआई सेवानिवृत्ति पर पेंशन लागू किए जाने समेत 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आवाज बुलंद की और सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया.

हड़ताल पर आशा कार्यकर्ता
कोरोना काल में दी सेवाएं, सरकार कर रही अनदेखी
प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे अधिक काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर हुंकार भरते हुए अस्पताल के सामने जमकर नारेबाजी की और सरकार को साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए हड़ताल की. उनका कहना है कि अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना काल में हमने सेवाएं दी हैं, इतना ही नहीं बल्कि कई बार तो कोरोना मरीजों को लेकर और वैक्सीनेशन को लेकर हमले भी हुए, लेकिन फिर भी डटे रहे. वहीं सरकार ने असंवेदनशीलता दिखाते हुए पेंशन खत्म कर दी. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जन विरोधी नीतियों से बाज नहीं आ रही है. और ऐसा ही चलता रहा तो हम भी आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे.
18 हजार मासिक वेतन की मांग
12 सूत्रीय मांगों को लेकर दूसरे दिन बुधवार को जिला अस्पताल के मुख्य द्वार के सामने धरने पर बैठी रहीं. इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए और कहा कि सरकार उनको 18000 हजार का न्यूनतम मासिक मानदेय दे और योग्यता धारी आशाओं को नर्सिंग ट्रेनिंग देकर एएनएम के लिए प्रमोट करे.अब देखना होगा कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं की मांगों पर कब तक ध्यान देती है.

श्योपुर।जिले में अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा, ऊषा और आशा सहयोगियों ने प्रदर्शन किया. और कहा कि सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है.दरअसल जिला अस्पताल के सामने आशा, ऊषा और आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा की यूनियन महिला कर्मचारी इकट्ठा हुईं और प्रदेश व्यापी हड़ताल के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर दूसरे दिन धरना दिया. इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने नियमितीकरण की मांग, भविष्य निधि और ईएसआई सेवानिवृत्ति पर पेंशन लागू किए जाने समेत 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आवाज बुलंद की और सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया.

हड़ताल पर आशा कार्यकर्ता
कोरोना काल में दी सेवाएं, सरकार कर रही अनदेखी
प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे अधिक काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर हुंकार भरते हुए अस्पताल के सामने जमकर नारेबाजी की और सरकार को साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए हड़ताल की. उनका कहना है कि अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना काल में हमने सेवाएं दी हैं, इतना ही नहीं बल्कि कई बार तो कोरोना मरीजों को लेकर और वैक्सीनेशन को लेकर हमले भी हुए, लेकिन फिर भी डटे रहे. वहीं सरकार ने असंवेदनशीलता दिखाते हुए पेंशन खत्म कर दी. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जन विरोधी नीतियों से बाज नहीं आ रही है. और ऐसा ही चलता रहा तो हम भी आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे.
18 हजार मासिक वेतन की मांग
12 सूत्रीय मांगों को लेकर दूसरे दिन बुधवार को जिला अस्पताल के मुख्य द्वार के सामने धरने पर बैठी रहीं. इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए और कहा कि सरकार उनको 18000 हजार का न्यूनतम मासिक मानदेय दे और योग्यता धारी आशाओं को नर्सिंग ट्रेनिंग देकर एएनएम के लिए प्रमोट करे.अब देखना होगा कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं की मांगों पर कब तक ध्यान देती है.
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