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पिता-पुत्र की जोड़ी ने इंजीनियरों को छोड़ा पीछे, बनाई ईंट बनाने वाली मशीन

पिता-पुत्र की जोड़ी ने ईंट बनाने की एक ऐसी मशीन बनाई है, जो कम मजदूरों के साथ महज एक घंटे में 1200 से ज्यादा ईंट बना सकती है. यह मशीन अब ईंट व्यापारियों की पहली जरूरत बन रही है. ये जोड़ी अब ईंट के साथ-साथ ईंट बनाने वाली मशीन भी ऑर्डर पर तैयार कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित मध्यप्रदेश के कई शहरों से लोग इस मशीन को खरीदने और देखने शाजापुर आ रहे हैं.

Father-son making brick machine
ईंट बनाते मजदूर
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Published : Feb 24, 2021, 2:50 PM IST

शाजापुर। प्रदेश में रहने वाले एक पिता-पुत्र की जोड़ी ने ईंट बनाने की एक ऐसी मशीन बनाई है, जो कम मजदूरों के साथ महज एक घंटे में 1200 से ज्यादा ईंट बना सकती है. यह मशीन अब ईंट व्यापारियों की पहली जरूरत बन रही है. ये जोड़ीअब ईंट के साथ-साथ ईंट बनाने वाली मशीन भी ऑर्डर पर तैयार कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित मध्यप्रदेश के कई शहरों से लोग इस मशीन को खरीदने और देखने शाजापुर आ रहे हैं.

पिता-पुत्र ने बानाई ईंट बनाने की मशीन
  • पिता-पुत्र की इस जोड़ी का कमाल

पिता गंगाराम और उनके बेट राधेश्याम का मुख्य व्यवसाय ईंट बनाना है. राधेश्याम का कहना है कि लॉकडाउन में मजदूरों की परेशानियों और उनकी महंगी मजदूरी के कारण उत्पादन की लागत बढ़ती जा रही थी. ऐसे में मिट्टी को गूंथने से लेकर फिक्स साइज के आकर की ईंटें बनाने के लिए हमें किसी सस्ते विकल्प की तलाश थी. फिर हमने रेल के पुराने इंजन को देखकर एक आइडिया आया, जिसकी मदद से हमने ईंट बनाने की ऑटोमेटिक मशीन जुगाड़ से ही बना ली. इस जुगाड़ की मशीन में लोहे की एक रॉड फिक्स कर मिट्टी गूंथने का चेंबर बनाया गया, तो नीचे वाले हिस्से में ईंटों के सांचे लगाए. यह मशीन कम मजदूरों की मदद से अब एक घंटे में करीब 1200 ईंट बना देती है.

कांग्रेस ने जैसा बोया वैसा काटेगी- हरदीप सिंह डंग

एक दिन में बनती थी 800 से 1000 ईंट

उन्होंने आगे बताया कि इस मशीन को बनाने से पहले हम एक मजदूर मिट्टी के लिए, तो दूसरा सांचे से ईंट बनाने के लिए रखते हैं. ये मजदूर पूरे दिन में 800 से 1000 ईंट ही बना पाते थे. लॉकडाउन में मजदूरों की मजदूरी एकदम बढ़ गई, जिससे उत्पादन की लागत बढ़ने लगी. कुछ मजदूर लॉकडाउन के कारण काम पर भी नहीं आ रहे थे. ऐसे में काम भी प्रभावित हो रहा था, लेकिन इस मशीन के आविष्कार से हमारा काम अब बेहद आसान हो गया है.

इस तरह हो रहा ईंट का निर्माण

अब मशीन से ईंट बनाने के लिए केवल मिट्टी को भिगोकर रखा जाता है. बाद में इस गिली मिट्टी को सीधे मशीन में डाल दिया जाता है. जहां मिक्सर में मिट्टी और पानी अच्छी तरह से मिश्रित हो जाते हैं. इसके बाद मशीन से निकलकर मिट्टी सीधे ईंट बनाने के लिए लगाए जाने वाले सांचे में पहुंचती है. इस सांचे को निकालकर मजदूर ईंट सीधे जमीन पर सूखाने के लिए रख देते हैं. इस प्रक्रिया में कम मेहनत में हजारों ईंट प्रतिघंटे बनने लगी है. राधेश्याम ने बताया कि मशीन में जो इंजन लगाया गया है उसको बिजली की मदद से भी चलाया जा सकता है और ईंधन की मदद से भी. इससे ईंट निर्माण की लागत भी कम हो गई और ईंट भी अच्छी कवालिटी की बनने लगी है.

शाजापुर। प्रदेश में रहने वाले एक पिता-पुत्र की जोड़ी ने ईंट बनाने की एक ऐसी मशीन बनाई है, जो कम मजदूरों के साथ महज एक घंटे में 1200 से ज्यादा ईंट बना सकती है. यह मशीन अब ईंट व्यापारियों की पहली जरूरत बन रही है. ये जोड़ीअब ईंट के साथ-साथ ईंट बनाने वाली मशीन भी ऑर्डर पर तैयार कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित मध्यप्रदेश के कई शहरों से लोग इस मशीन को खरीदने और देखने शाजापुर आ रहे हैं.

पिता-पुत्र ने बानाई ईंट बनाने की मशीन
  • पिता-पुत्र की इस जोड़ी का कमाल

पिता गंगाराम और उनके बेट राधेश्याम का मुख्य व्यवसाय ईंट बनाना है. राधेश्याम का कहना है कि लॉकडाउन में मजदूरों की परेशानियों और उनकी महंगी मजदूरी के कारण उत्पादन की लागत बढ़ती जा रही थी. ऐसे में मिट्टी को गूंथने से लेकर फिक्स साइज के आकर की ईंटें बनाने के लिए हमें किसी सस्ते विकल्प की तलाश थी. फिर हमने रेल के पुराने इंजन को देखकर एक आइडिया आया, जिसकी मदद से हमने ईंट बनाने की ऑटोमेटिक मशीन जुगाड़ से ही बना ली. इस जुगाड़ की मशीन में लोहे की एक रॉड फिक्स कर मिट्टी गूंथने का चेंबर बनाया गया, तो नीचे वाले हिस्से में ईंटों के सांचे लगाए. यह मशीन कम मजदूरों की मदद से अब एक घंटे में करीब 1200 ईंट बना देती है.

कांग्रेस ने जैसा बोया वैसा काटेगी- हरदीप सिंह डंग

एक दिन में बनती थी 800 से 1000 ईंट

उन्होंने आगे बताया कि इस मशीन को बनाने से पहले हम एक मजदूर मिट्टी के लिए, तो दूसरा सांचे से ईंट बनाने के लिए रखते हैं. ये मजदूर पूरे दिन में 800 से 1000 ईंट ही बना पाते थे. लॉकडाउन में मजदूरों की मजदूरी एकदम बढ़ गई, जिससे उत्पादन की लागत बढ़ने लगी. कुछ मजदूर लॉकडाउन के कारण काम पर भी नहीं आ रहे थे. ऐसे में काम भी प्रभावित हो रहा था, लेकिन इस मशीन के आविष्कार से हमारा काम अब बेहद आसान हो गया है.

इस तरह हो रहा ईंट का निर्माण

अब मशीन से ईंट बनाने के लिए केवल मिट्टी को भिगोकर रखा जाता है. बाद में इस गिली मिट्टी को सीधे मशीन में डाल दिया जाता है. जहां मिक्सर में मिट्टी और पानी अच्छी तरह से मिश्रित हो जाते हैं. इसके बाद मशीन से निकलकर मिट्टी सीधे ईंट बनाने के लिए लगाए जाने वाले सांचे में पहुंचती है. इस सांचे को निकालकर मजदूर ईंट सीधे जमीन पर सूखाने के लिए रख देते हैं. इस प्रक्रिया में कम मेहनत में हजारों ईंट प्रतिघंटे बनने लगी है. राधेश्याम ने बताया कि मशीन में जो इंजन लगाया गया है उसको बिजली की मदद से भी चलाया जा सकता है और ईंधन की मदद से भी. इससे ईंट निर्माण की लागत भी कम हो गई और ईंट भी अच्छी कवालिटी की बनने लगी है.

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