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खरीदी केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे किसान, पंजीयन में पटवारियों की गड़बड़ी से अन्नदाता परेशान

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Published : Apr 17, 2020, 9:15 PM IST

कोरोना के कहर से लॉकडाउन के चलते किसानों से समर्थन मूल्य पर सरकार ने 15 अप्रैल से खरीदी शुरू की. शाजापुर में गेहूं की फसल को खरीदी केंद्र तक ले जाने के लिए किसानों को एसएमएस भेजे गए, लेकिन इस बार किसानों को बुलाने के बाद भी किसान खरीदी केंद्र तक नहीं जा रहा. इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की तो एक बार फिर अन्नदाता अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है, राजस्व विभाग की लापरवाही का खामियाजा किसान भुगत रहा है, देखिए इस खास रिपोर्ट को.

Farmers not reaching support price purchase centers in Shajapur
समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे किसान

शाजापुर। जिले में 60,000 पंजीकृत किसानों से 15 अप्रैल से 77 केंद्रों पर गेहूं की खरीदी शुरू की गई. खरीदी के पहले दिन 15 अप्रैल को ऐसा कोई भी केंद्र नहीं था जिस पर सभी किसान पहुंचे हों, वहीं दूसरे दिन और तीसरे दिन भी यही स्थिति रही. किसानों को एसएमएस भेजे जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी किसान खरीदी केंद्र तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा, जब इसकी पड़ताल की गई तो किसानों के साथ राजस्व विभाग द्वारा गड़बड़ी का मामला सामने आया.

हर किसान के खेत में कितनी गेहूं की उपज है, कितनी चने की या अन्य फसलों की, इसकी जानकारी हल्का पटवारी को देनी थी. लेकिन जल्दबाजी में पटवारियों ने बिना किसानों के खेत देखे ही कंप्यूटर पर जानकारी अपलोड कर दी. जिसके चलते आज अन्नदाता एक बार फिर से परेशान हो रहा है.

गेहूं खरीदी केंद्र से जब उन्हें एसएमएस मिल रहा है और उसमें बताया गया कि 5 क्विंटल, 6 क्विंटल, 10 क्विंटल गेहूं लेकर बेचने के लिए आना है. जिस किसान के खेत में 100 क्विंटल गेहूं या 50 क्विंटल गेहूं की पैदावर हुई है और हर साल समर्थन मूल्य पर इतना गेहूं वह बेच रहा है, लेकिन इस बार उसे केवल 10 क्विंटल गेहूं का एसएमएस मिल रहा है.

ऐसे में वह इतने से गेहूं को लेकर कैसे खरीदी केंद्र तक पहुंचे. इससे ज्यादा खर्च तो उसका परिवहन पर हो रहा है. ऐसे में किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए नहीं जा रहा. मजबूर किसान जरूर खरीदी केन्द्र पर गेहूं को बेच रहा है और अधिकांश किसान खरीदी केंद्र तक पहुंच भी नहीं रहे.

अधिकारी मान रहे हुई लापरवाही

इस संबंध में खरीदी केंद्र के जिम्मेदार भी मान रहे हैं राजस्व विभाग की लापरवाही से किसान परेशान हो रहे हैं. समर्थन मूल्य की खरीदी होती थी तो किसानों की लंबी कतारें लग जाती थीं, लेकिन अब किसान एसएमएस के बाद भी खरीदी केंद्र तक नहीं पहुंच रहा.

खरीदी केंद्र के जिम्मेदारों ने किसानों से फोन लगाकर बात की तो उन्हें बताया गया कि इतनी कम उपज को लेकर वह कैसे बेचने आएं, इससे ज्यादा तो उनका परिवहन खर्च हो रहा है.

तहसीलदार ने कही जांच की बात

तहसीलदार सत्येंद्र बेरवा ने पूरे मामले में जांच की बात कही है, पटवारियों ने घर बैठकर ऑनलाइन जानकारी किसानों की अपलोड कर दी. जानकारी भेजते समय पटवारियों ने जमीनी हकीकत देखने का प्रयास नहीं किया, किसानों के खेतों को देखा नहीं और उनकी फसल की जानकारी अपलोड कर दी.

शाजापुर। जिले में 60,000 पंजीकृत किसानों से 15 अप्रैल से 77 केंद्रों पर गेहूं की खरीदी शुरू की गई. खरीदी के पहले दिन 15 अप्रैल को ऐसा कोई भी केंद्र नहीं था जिस पर सभी किसान पहुंचे हों, वहीं दूसरे दिन और तीसरे दिन भी यही स्थिति रही. किसानों को एसएमएस भेजे जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी किसान खरीदी केंद्र तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा, जब इसकी पड़ताल की गई तो किसानों के साथ राजस्व विभाग द्वारा गड़बड़ी का मामला सामने आया.

हर किसान के खेत में कितनी गेहूं की उपज है, कितनी चने की या अन्य फसलों की, इसकी जानकारी हल्का पटवारी को देनी थी. लेकिन जल्दबाजी में पटवारियों ने बिना किसानों के खेत देखे ही कंप्यूटर पर जानकारी अपलोड कर दी. जिसके चलते आज अन्नदाता एक बार फिर से परेशान हो रहा है.

गेहूं खरीदी केंद्र से जब उन्हें एसएमएस मिल रहा है और उसमें बताया गया कि 5 क्विंटल, 6 क्विंटल, 10 क्विंटल गेहूं लेकर बेचने के लिए आना है. जिस किसान के खेत में 100 क्विंटल गेहूं या 50 क्विंटल गेहूं की पैदावर हुई है और हर साल समर्थन मूल्य पर इतना गेहूं वह बेच रहा है, लेकिन इस बार उसे केवल 10 क्विंटल गेहूं का एसएमएस मिल रहा है.

ऐसे में वह इतने से गेहूं को लेकर कैसे खरीदी केंद्र तक पहुंचे. इससे ज्यादा खर्च तो उसका परिवहन पर हो रहा है. ऐसे में किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए नहीं जा रहा. मजबूर किसान जरूर खरीदी केन्द्र पर गेहूं को बेच रहा है और अधिकांश किसान खरीदी केंद्र तक पहुंच भी नहीं रहे.

अधिकारी मान रहे हुई लापरवाही

इस संबंध में खरीदी केंद्र के जिम्मेदार भी मान रहे हैं राजस्व विभाग की लापरवाही से किसान परेशान हो रहे हैं. समर्थन मूल्य की खरीदी होती थी तो किसानों की लंबी कतारें लग जाती थीं, लेकिन अब किसान एसएमएस के बाद भी खरीदी केंद्र तक नहीं पहुंच रहा.

खरीदी केंद्र के जिम्मेदारों ने किसानों से फोन लगाकर बात की तो उन्हें बताया गया कि इतनी कम उपज को लेकर वह कैसे बेचने आएं, इससे ज्यादा तो उनका परिवहन खर्च हो रहा है.

तहसीलदार ने कही जांच की बात

तहसीलदार सत्येंद्र बेरवा ने पूरे मामले में जांच की बात कही है, पटवारियों ने घर बैठकर ऑनलाइन जानकारी किसानों की अपलोड कर दी. जानकारी भेजते समय पटवारियों ने जमीनी हकीकत देखने का प्रयास नहीं किया, किसानों के खेतों को देखा नहीं और उनकी फसल की जानकारी अपलोड कर दी.

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