शाजापुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका जागरूकता अभिविन्यास चुनौतियां व प्रतिउत्तर नीति आयोग के अंतर्गत सहयोगी राष्ट्रीय शिक्षण मंडल के द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया. शिक्षा विभाग जिला प्रशासन के सहयोग से उत्कृष्ट विद्यालय के नवीन हाल में किया गया.
नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित करते हुए उक्त कार्यक्रम में 194 शिक्षक-शिक्षिकाएं, प्राचार्य, सस्था प्रधान मौजूद रहे. कार्यक्रम में शासकीय एवं अशासकीय विभिन्न विद्यालयों द्वारा सहभागिता की गई. कार्यक्रम की मुख्य वक्ता अरुणा सारस्वत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय शिक्षा मंडल और प्रसिद्ध शिक्षाविद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति बच्चों के सर्वांगीण विकास और वैश्विक स्तर पर भारतीय शिक्षा की उन्नति और विद्यार्थियों को आगामी बेहतर भविष्य को बनाने की दिशा में एक उत्कृष्ट कदम है.
64 कलाओं की संस्कृति और विभिन्न व्यावसायिक दृष्टिकोण उनके कैरियर रोजगार कौशल विकास व्यक्तित्व विकास की दिशा में अभी तक की नीतियों से सर्वश्रेष्ठ साबित होगी. उक्त नीति की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज का दर्पण है. सांस्कृतिक मूल्यों की धरोहर है. शिक्षा केवल अक्षर ज्ञान नहीं है, यह अंतर्निहित विशेषताओं का प्रकृति करण है और शिक्षा नीति की विस्तारपूर्वक व्याख्या करते हुए शिक्षकों से समर्पण के साथ उक्त नीति के तहत शिक्षण कार्य करें. डॉ. मनु गौराहा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा इस कार्य को संचालित किया गया.