ग्वालियर: कहते हैं इंसान शरीर से नहीं बल्कि मन से कमजोर होता है, क्योंकि जिन के इरादे मजबूत होते हैं. वे अपनी दबंगई से नहीं बल्कि हौसलों से दम दिखाते हैं. तीन दिसंबर यानी अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस, यह दिन दिव्यांगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने के साथ ही राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
इस अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर हम आपको उन खिलाड़ियों से मिलवा रहे हैं, जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल-अंचल से निकले हैं. जिन्होंने अपनी दिव्यांगता को अपने हौसलों के आड़े नहीं आने दिया. किसी ने इतिहास रचा तो किसी ने अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर देश का नाम गौरवान्वित किया.
सतेन्द्र लोहिया पेरा तैराक खिलाड़ी जिसने रचा इतिहास
जब बात दिव्यांग खिलाड़ी की आती है तो सबसे पहला नाम ग्वालियर चंबल-अंचल में सतेंद्र सिंह लोहिया का आता है. जिन्होंने दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद स्विमिंग जैसे कठिन खेल में दुनिया के आगे अपना लोहा मनवाया, ना सिर्फ तैराकी में आधा सैकड़ा मेडल जीते, बल्कि इंग्लिश चैनल तक पार कर दिखाया. अपनी उपलब्धियों के लिए सतेन्द्र को इस साल पद्म श्री सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.
2007 में शुरू किया था स्विमिंग का सफर
सतेन्द्र सिंह लोहिया मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गाता गांव में पैदा हुए थे. बचपन में ही अपने दोनों पैरों से दिव्यांग हो गए थे. कुछ वर्षों बाद वे ग्वालियर आ गए तो 2007 में यहां उनकी मुलाकात स्विमिंग कोच डॉक्टर डवास से हुई. जिन्होंने सतेंद्र को स्विमिंग सिखायी. जिसके बाद उन्होंने 2009 में कोलकाता में आयोजित हुआ पैरा स्विमिंग का 10वें नेशनल में भाग लिया. दो पहले ही इवेंट में उन्हें कांस्य पदक हासिल हुआ, इसके बाद वह लगातार आगे बढ़ते गए. अब तक राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में 30 मेडल जीते हैं.
टू-वे इंग्लिश चैनल पर करने वाले पहले भारतीय
सत्येन्द्र के लिए ये तो शुरुआत थी, उन्होंने 2017 में मुंबई में 30 किलोमीटर बिना रुके तैराकी की. इसके बाद उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली और उन्होंने 24 जून 2018 को तैर कर 12 घंटे में इंग्लिश चैनल पार किया. सत्येन्द्र ऐसा करने वाले भारत के पहले दिव्यांग खिलाड़ी थे. इसके बाद सतेंद्र सिंह लोहिया ने 2019 में कैटलीना चैनल पार किया. इसके बाद 2022 में नॉर्थ चैनल पार किया और 2023 में उन्होंने उन 24 लोगों में अपना नाम शुमार कर लिया. जिन्होंने आज तक तैर कर टू-वे इंग्लिश चैनल पार किया है.
राष्ट्रपति से मिला पद्म श्री सम्मान
सत्येन्द्र सिंह लोहिया को अब तक कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उनकी मेहनत हौसले और देश को गौरवान्वित करने की इस उपलब्धि को देखते हुए शासन ने भी उनकी सराहना की है. 2014 में उन्हें विक्रम अवार्ड से सम्मानित किया गया था. 2024 में पहली बार मध्य प्रदेश से किसी खिलाड़ी को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया, वह भी सत्येंद्र सिंह लोहिया थे.
दिव्यांग पूजा ने तय किया पैरा ओलंपिक का सफर
सत्येन्द्र सिंह लोहिया की तरह ही दिव्यांग खिलाड़ी पूजा ओझा ने भी देश और दुनिया में ग्वालियर चंबल अंचल का नाम रोशन किया. वे वॉटर स्पोर्ट्स की खिलाड़ी हैं. जो पैरा कैनोइंग में अपना हुनर दिखाती हैं. मध्य प्रदेश के भिंड जिले की रहने वाली पूजा बचपन से ही पैरों से दिव्यांग है. 2017 में पहली बार भिंड के गौरी सरोवर तालाब में पैरा कैनो नेशनल चैंपियन में खेली. इसके बाद हौसला बढ़ा और पूजा ने अपनी मेहनत का डंका अंतरराष्ट्रीय पटल पर बजा दिया. 2018 में पहली बार थाईलैण्ड में आयोजित हुई एशियन पैरा चैंपियनशिप में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता.
2022, 2023 और 2024 में लगातार 3 बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर जीत चुकी हैं. अब तक पूजा ने इंटरनेशनल इवेंट्स में 6 गोल्ड मेडल, 4 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतें हैं. उनकी मेहनत और लगन के बूते खेल में योगदान के लिए 2022 में राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया था. 2024 में पूजा ने पेरिस में आयोजित हुई पैरा ओलंपिक खेलों में पैरा कैनो में सेमी फाइनल तक खेलने का मौका मिला और वे भारत की पैरा ओलंपियन बनी.
देश के लिए खेलना गर्व की बात
पैरा ओलंपियन बनने के बाद पूजा के जीवन में काफी बदलाव आया है. हर जगह उन्हें सम्मान मिल रहा है. पूजा कहती है कि अच्छा लगता है, जब लोग आपकी उपलब्धि की सराहना करते हैं. ये आपको जोश देता है कि दिव्यांग होने के बावजूद अगर हिम्मत दिखाई जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का नाम रोशन करना बहुत ही गर्व की बात होती है.
प्राची ने देश को किया गौरवान्वित
पूजा की तरह प्राची यादव ने भी अपनी मेहनत और लगन से देश विदेश में नाम रोशन किया. इस साल प्राची यादव पैरा ओलंपिक में हिस्सा ले चुकी है. प्राची यादव ने अब तक घरेलू टूर्नामेंट्स में 8 गोल्ड मेडल और 4 सिल्वर मेडल जीते हैं. इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी 7 गोल्ड मेडल, 2 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है. प्राची यादव 2020 में हुए टोक्यो पैराओलिम्पिक गेम्स में भी भाग ले चुकी हैं. 2024 में भी वे पैरा ओलंपिक खेल चुकी हैं. 2020 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विक्रम पुरस्कार दिया जा चुका है. 2023 में भारत सरकार द्वारा उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
हौसलों को बनाया ताकत
पूजा के अलावा संजीव कोटिया, गजेंद्र सिंह और ऐसे ही कई और खिलाड़ी हैं. जो देश विदेश की धरती पर इस क्षेत्र का परचम लहरा रहे हैं. इन खिलाड़ियों का हौसला अपने आप में प्रेरणादायी है. जो आपको सिखाता है कि अब हिम्मत कभी नहीं हारना चाहिए. परिस्थितियां कैसी भी हो अगर शरीर साथ न दें तो मानसिक रूप से अपने आप को मजबूत रखिए, क्योंकि अगर आप ठान लेंगे तो दुनिया को हाथों पर उठा सकते हैं.