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दीपावली के दूसरे दिन यहां पसरा रहता है सन्नाटा, जानिए इसके पीछे की कथा

आखिर दीपावली के दूसरे दिन यानि परीबा को ऐसा क्या होता है कि बाजारें बंद रहती हैं, ऐसा कौन सा योग है कि इस दिन कोई नया काम भी शुरू नहीं किया जाता, आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी.

दीपावली के दूसरे दिन पसरा सन्नाटा
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Published : Oct 28, 2019, 10:22 AM IST

Updated : Oct 28, 2019, 12:25 PM IST

शहडोल। दीपावली के त्योहार को हर किसी ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया, हर जगह माता लक्ष्मी की पूजा की गई, दीप दान किए गए और पटाखे जलाए गए, लेकिन दीपावली के दूसरे दिन ऐसा क्या होता है कि सन्नाटा पसरा रहता है, बाजारें बंद रहती हैं, लोग कोई नया काम शुरू नहीं करते और यात्रा पर जाने से बचते हैं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह आइए जानते हैं.

दीपावली के दूसरे दिन पसरा सन्नाटा
बदलते वक्त के साथ वैसे तो बहुत सी परंपराएं बदल रही हैं, लेकिन आज भी कुछ मान्यताएं ऐसी हैं, जो पूरी तरह से नहीं बदली हैं. आज भी उनका वैसे ही पालन किया जाता है, जैसे हमारे पूर्वज करते थे. ऐसी ही एक मान्यता दीपावली के दूसरे दिन यानि परीबा को लेकर है. इस दिन नए काम की शुरुआत नहीं की जाती और लोग यात्रा से भी बचते हैं.

क्या है पौराणिक मान्यता

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि साल में दो परीबा ऐसी होती हैं, जब कोई भी नया काम शुरू नहीं करते. एक कार्तिक की कृष्ण पक्ष की और एक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की परीबा. इस दिन काल रात्रि का निवास होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन कालभैरव ने कालरात्रि का विनाश किया था.

क्या हो सकता है नुकसान

पंडित सुशील शुक्ला के मुताबिक परीबा के दिन कोई भी यात्रा, शुभ काम या नया काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दिन किसी काम की शुरुआत करने से सफलता नहीं मिलती, साथ ही इस रोज नया और शुभ काम करने से पिछड़ापन और दरिद्रता आती है. इस दिन यात्रा शुरू करने से दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती है.

दीपावली और होली के अगने दिन आने वाली परीबा के दिन बने योग पर ही काल भैरव ने कालरात्रि का विनाश किया था, जिस कारण इस दिन को किसी भी शुभ काम के लिए उचित नहीं माना जाता, इसीलिए इस रोज कारोबार रुका रहता है, लोग यात्राएं नहीं करते और अपने घर में ही रहना सही समझते हैं.

शहडोल। दीपावली के त्योहार को हर किसी ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया, हर जगह माता लक्ष्मी की पूजा की गई, दीप दान किए गए और पटाखे जलाए गए, लेकिन दीपावली के दूसरे दिन ऐसा क्या होता है कि सन्नाटा पसरा रहता है, बाजारें बंद रहती हैं, लोग कोई नया काम शुरू नहीं करते और यात्रा पर जाने से बचते हैं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह आइए जानते हैं.

दीपावली के दूसरे दिन पसरा सन्नाटा
बदलते वक्त के साथ वैसे तो बहुत सी परंपराएं बदल रही हैं, लेकिन आज भी कुछ मान्यताएं ऐसी हैं, जो पूरी तरह से नहीं बदली हैं. आज भी उनका वैसे ही पालन किया जाता है, जैसे हमारे पूर्वज करते थे. ऐसी ही एक मान्यता दीपावली के दूसरे दिन यानि परीबा को लेकर है. इस दिन नए काम की शुरुआत नहीं की जाती और लोग यात्रा से भी बचते हैं.

क्या है पौराणिक मान्यता

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि साल में दो परीबा ऐसी होती हैं, जब कोई भी नया काम शुरू नहीं करते. एक कार्तिक की कृष्ण पक्ष की और एक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की परीबा. इस दिन काल रात्रि का निवास होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन कालभैरव ने कालरात्रि का विनाश किया था.

क्या हो सकता है नुकसान

पंडित सुशील शुक्ला के मुताबिक परीबा के दिन कोई भी यात्रा, शुभ काम या नया काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दिन किसी काम की शुरुआत करने से सफलता नहीं मिलती, साथ ही इस रोज नया और शुभ काम करने से पिछड़ापन और दरिद्रता आती है. इस दिन यात्रा शुरू करने से दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती है.

दीपावली और होली के अगने दिन आने वाली परीबा के दिन बने योग पर ही काल भैरव ने कालरात्रि का विनाश किया था, जिस कारण इस दिन को किसी भी शुभ काम के लिए उचित नहीं माना जाता, इसीलिए इस रोज कारोबार रुका रहता है, लोग यात्राएं नहीं करते और अपने घर में ही रहना सही समझते हैं.

Intro:Note_ mp_sha_01_preeba_byte_7203529 इसमें पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री का वर्जन है।

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ये कैसी परंपरा दीपावली के दूसरे दिन आखिर क्यों कोई नया कार्य नहीं करता, बाजार तक बंद रहते हैं, यात्रा करने से भी लोग बचते हैं, जानिए इसके पीछे का रहस्य

शहडोल- दीपावली के त्योहार को हर किसी ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया हर जगह दीप दान किये गए, माता लक्ष्मी की पूजा की गई, पटाखे जलाए गए, लेकिन दीवाली के दूसरे दिन ही ऐसा कौन सा योग होता है ये कैसा दिन होता है जिस दिन कोई भी नया कार्य नहीं करता, यात्रा से बचता है दुकानें भी नहीं खुलती हैं यहां तक कि बाजारों की गलियों में सन्नाटा पसरा रहता है तो इसके पीछे बड़ी वजह है।


Body:बदलते वक्त के साथ वैसे तो बहुत कुछ बदल रहा है लेकिन इस 21वीं सदी में आज भी कुछ चीजें ऐसी है जो पूरी तरह से नहीं बदली हैं आज भी अधिकतर लोग उसका वैसा ही पालन कर रहे हैं जैसा पहले उनके पूर्वज करते आये हैं।

दीपावली के दिन के बाद दूसरे दिन को परीबा का दिन माना जाता है। और इस दिन कोई भी व्यक्ति कोई भी शुभ कार्य, यात्रा, या फिर अपनी दुकान, आफिस खोलने से बचता है एक तरह से कहा जाए तो बाजार बंद रहते हैं हर जगह सन्नाटा पसरा रहता है।

जानिए इसके पीछे की वजह

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि साल में दो परीबा ऐसी होती हैं, एक कार्तिक की कृष्ण पक्ष की और एक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की परीबा इस दिन काल रात्रि का निवास होता है, पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि ऐसा माना जाता है कि इस दिन कालभैरव ने कालरात्रि का विनाश किया था।

शास्त्री के मुताबिक परीवा के दिन कोई भी यात्रा, या शुभ काम या नया काम नहीं किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन अगर कोई कुछ भी करता है तो ऐसा करने से कोई भी शुभ काम सफल नहीं होता है, वो हमेशा पिछड़ा रहता है, और दलिद्रता आती है।



Conclusion:पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि इसीलिये परीबा के दिन घरों में कोई नया काम नहीं किया जाता, यात्रा करने से लोग बचते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन यात्रा अशुभ होता है कोई भी दुर्घटना होने की संभावना होती है इसलिए लोग यात्राओं से बचते हैं, बाज़ार बंद रहते हैं। एक तरह से कहा जाए तो परीबा के दिन हर जगह गली मोहल्ले में सन्नाटा पसरा रहता है।
और लोग अपने घरों में ही रहना उचित समझते हैं।
Last Updated : Oct 28, 2019, 12:25 PM IST
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