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मध्य प्रदेश में थाने और सरकारी दफ्तरों के धार्मिक स्थलों को लेकर बड़ी बहस, कई संगठनों ने लिखे पत्र - JABALPUR MADHYA PRADESH HIGH COURT

मध्य प्रदेश में थाने, न्यायालय, सरकारी दफ्तरों में बने धार्मिक स्थानों को लेकर राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखे गए.

JABALPUR MADHYA PRADESH HIGH COURT
थानों में बने मंदिरों को लेकर जनहित याचिका (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 2, 2025, 10:49 PM IST

Updated : Jan 2, 2025, 11:08 PM IST

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका की वजह से बड़ी बहस खड़ी हो गई है. यह जनहित याचिका पुलिस थानों के भीतर बने मंदिरों को हटाने को लेकर शुरू हुई थी जो अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के भीतर बने मंदिर तक पहुंच गई है. अब यह मांग की जा रही है कि केवल थाने ही क्यों, बाकी न्यायालय, सरकारी दफ्तर और सार्वजनिक स्थलों पर बने धर्म स्थलों को क्यों न हटाया जाए. इस मामले में राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक कई पत्र लिखे गए हैं.

थानों में बने मंदिरों को लेकर जनहित याचिका

सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि "मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसमें थाने के भीतर बने मंदिरों पर आपत्ति जताई गई थी इस याचिका में बताया गया था कि जबलपुर शहर के कई थानों में मंदिर बनाए गए हैं. इनमें कुछ नए थाने भी हैं जिनकी इमारतें नहीं बनी हैं उनके साथ यहां मंदिर बना दिए गए हैं. इसमें यह जानकारी दी गई कि केवल जबलपुर ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के हजारों थाने ऐसे हैं जहां मंदिर बने हुए हैं. कोर्ट ने सरकार से यह पूछा है कि आखिर यह मंदिर किसकी इजाजत से बनाए गए हैं."

सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने दी जानकारी (ETV Bharat)

कई संगठनों ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र

सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि "इसके बाद एक पत्र सामने आया जो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे 6 संगठनों के लेटर हेड पर था. इसमें यह मांग रखी गई की सार्वजनिक स्थलों पर जहां आम आदमी फरियाद लेकर पहुंचता है ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर उनके धर्म और पंथ के देवी देवताओं के पूजा स्थल भी बनाए जाएं. बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने भी राष्ट्रपति के नाम एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें यह कहा गया कि सार्वजनिक स्थल पर वे बौद्ध धर्म की मूर्तियां लगाना चाहते हैं, क्योंकि बौद्ध धर्म के लोग भी सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचते हैं. इसमें खास तौर पर हाईकोर्ट का जिक्र किया गया है. ये सभी पत्र राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक को लिखे गए हैं."

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स काउंसिल ने की मांग

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट काउंसिल के एडवोकेट्स ने मांग कि है कि देश के तमाम कोर्ट परिसर सार्वजनिक स्थल और सरकारी ऑफिस से धार्मिक स्थलों को हटाया जाए क्योंकि हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. बता दें कि जबलपुर हाई कोर्ट में भी कोर्ट परिसर के भीतर हनुमान जी का एक मंदिर है. इसके बारे में यह कहा जाता है कि यह मंदिर हाई कोर्ट बनने के पहले से इस स्थान पर है इसलिए इसे नहीं हटाया गया. हाईकोर्ट के ठीक सामने हाईकोर्ट की ही जमीन पर कचहरी वाले बाबा की दरगाह है.

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका की वजह से बड़ी बहस खड़ी हो गई है. यह जनहित याचिका पुलिस थानों के भीतर बने मंदिरों को हटाने को लेकर शुरू हुई थी जो अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के भीतर बने मंदिर तक पहुंच गई है. अब यह मांग की जा रही है कि केवल थाने ही क्यों, बाकी न्यायालय, सरकारी दफ्तर और सार्वजनिक स्थलों पर बने धर्म स्थलों को क्यों न हटाया जाए. इस मामले में राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक कई पत्र लिखे गए हैं.

थानों में बने मंदिरों को लेकर जनहित याचिका

सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि "मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसमें थाने के भीतर बने मंदिरों पर आपत्ति जताई गई थी इस याचिका में बताया गया था कि जबलपुर शहर के कई थानों में मंदिर बनाए गए हैं. इनमें कुछ नए थाने भी हैं जिनकी इमारतें नहीं बनी हैं उनके साथ यहां मंदिर बना दिए गए हैं. इसमें यह जानकारी दी गई कि केवल जबलपुर ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के हजारों थाने ऐसे हैं जहां मंदिर बने हुए हैं. कोर्ट ने सरकार से यह पूछा है कि आखिर यह मंदिर किसकी इजाजत से बनाए गए हैं."

सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने दी जानकारी (ETV Bharat)

कई संगठनों ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र

सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि "इसके बाद एक पत्र सामने आया जो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे 6 संगठनों के लेटर हेड पर था. इसमें यह मांग रखी गई की सार्वजनिक स्थलों पर जहां आम आदमी फरियाद लेकर पहुंचता है ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर उनके धर्म और पंथ के देवी देवताओं के पूजा स्थल भी बनाए जाएं. बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने भी राष्ट्रपति के नाम एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें यह कहा गया कि सार्वजनिक स्थल पर वे बौद्ध धर्म की मूर्तियां लगाना चाहते हैं, क्योंकि बौद्ध धर्म के लोग भी सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचते हैं. इसमें खास तौर पर हाईकोर्ट का जिक्र किया गया है. ये सभी पत्र राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक को लिखे गए हैं."

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स काउंसिल ने की मांग

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट काउंसिल के एडवोकेट्स ने मांग कि है कि देश के तमाम कोर्ट परिसर सार्वजनिक स्थल और सरकारी ऑफिस से धार्मिक स्थलों को हटाया जाए क्योंकि हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. बता दें कि जबलपुर हाई कोर्ट में भी कोर्ट परिसर के भीतर हनुमान जी का एक मंदिर है. इसके बारे में यह कहा जाता है कि यह मंदिर हाई कोर्ट बनने के पहले से इस स्थान पर है इसलिए इसे नहीं हटाया गया. हाईकोर्ट के ठीक सामने हाईकोर्ट की ही जमीन पर कचहरी वाले बाबा की दरगाह है.

Last Updated : Jan 2, 2025, 11:08 PM IST
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