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भगवान शिव के पसीने की बूंद है नर्मदा, नदी की डुबकी से धुलते पाप, परिक्रमा से मिलता पुण्य - INTERESTING FACTS ABOUT NARMADA

नर्मदा जयंती पर जानें भगवान शिव की पुत्री कही जाने वाली इस पवित्र नदी की कहानी और यह भी जानें कि लोग क्यों, कब और कैसे करते हैं इस पवित्र नदी की परिक्रमा.

NARMADA PARIKRAMA facts narmada jayanti 2025
भगवान शिव के पसीने की बूंद है ये नदी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 4, 2025, 11:11 AM IST

Updated : Feb 4, 2025, 12:46 PM IST

शहडोल (अखिलेश शुक्ला) : नर्मदा नदी का उद्गम स्थल भले ही अमरकंटक हो पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था. यह दुनिया की एकमात्र ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है. आज नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर जानें भगवान शिव की पुत्री कही जाने वाली नर्मदा नदी के जन्म और इसकी परिक्रमा से जुड़े रोचक तथ्य.

उल्टी बहती है नर्मदा नदी

शहडोल संभाग के अनुपपुर जिले में नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है. जहां नर्मदा जयंती बड़े भव्य तरीके से हर वर्ष मनाई जाती है. इस वर्ष भी इसका आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जा रहा है. अमरकंटक से अवतरित हुई नर्मदा बाकी नदियों के ठीक विपरीत पश्चिम दिशा की ओर उल्टी बहती है और विपरीत दिशा में बहने वाली देश की सबसे बड़ी नदी है.

narmada river bhedaghat
भेड़ाघाट में संगमरमरीय वादियों के बीच से बहती नर्मदा (MPT)

क्यों कहते हैं नर्मदा को जीवनदायिनी?

प्राचीनकाल से नर्मदा नदी को 'रेवा' के नाम से भी जाना जाता है. जिन-जिन क्षेत्रों से यह नदी गुजरती रही है, वहां मानव जीवन का अस्तित्व बचा रहा है. वर्तमान में यह नदी मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों की भी प्यास बुझाती है. यही कारण है कि इसे जीवन दायिनी भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश से निकलने वाली नर्मदा पश्चिम दिशा में बहते हुए खंभात की खाड़ी में जाकर गिरती है.

Narmada origin place amarkantak
नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक (Etv Bharat)

नर्मदा नदी का जन्म कैसे हुआ?

नर्मदा नदी के जन्म को लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, '' पुराणों में ऐसा वर्णन है और ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव एक समय मैकल पर्वत पर तपस्या कर रहे थे. तपस्या के दौरान उनके पसीने की जो बूंद धरती पर गिरी थी, उसी से नर्मदा का जन्म हुआ था, और इसलिए नर्मदा को भगवान भोलेनाथ की पुत्री भी कहा जाता है. अमरकंटक में जिस जगह से नर्मदा निकली हुई है, वहां एक कुंड बना हुआ है. कुंड के बाद से ही नर्मदा इतना विशाल रूप धारण कर लेती है, जिसे देखर यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता है.''

Narmada parikrama importance hindu dharm
हिंदू धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व (Etv Bharat)

नर्मदा की परिक्रमा क्यों की जाती है?

इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं, '' नर्मदा दुनिया की इकलौती ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है. अभी तक आपने देवी-देवताओं और मंदिरों की परिक्रमा करते हुए सुना होगा लेकिन मां नर्मदा की परिक्रमा अद्भुत है. मान्यता है कि नर्मदा जी को दाहिनी ओर रखते हुए उनकी परिक्रमा की शुरुआत की जाती है और जो भी व्यक्ति मां नर्मदा की परिक्रमा कर लेता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. काफी संख्या में हर वर्ष लोग मां नर्मदा की परिक्रमा करते आपको मिल जाएंगे.''

Narmada river facts ancient name history hindi
तीर्थ यात्राओं से कई गुना ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में (Etv Bharat)

तीर्थ यात्राओं से कई गुना ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, '' नर्मदा परिक्रमा का काफी धार्मिक महत्व है. इसमें लोगों की बड़ी आस्था रहती है और एक तीर्थ यात्रा में जितना पुण्य मिलता है उससे कहीं ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में मिलता है. पुराणों में इसका वर्णन भी मिलता है, और उसमें ऐसा कहा गया है कि एक बार नर्मदा यात्रा कर लेने से जिंदगी बदल जाती है, व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. हालांकि, नर्मदा परिक्रमा को काफी कठिन माना जाता है. कहा ये भी जाता है कि नर्मदा परिक्रमा कर लेने से व्यक्ति को जीवन के कई सारे ज्ञान एक साथ हो जाते हैं.''

नर्मदा परिक्रमा कब की जाती है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा परिक्रमा हर माह की नर्मदा पंचक्रोशी तिथि से शुरू की जाती है. पंचक्रोशी यात्रा की तिथि कैलेंडर में दी गई होती है यह यात्रा मध्य प्रदेश के अमरकंटक, ओंकारेश्वर और उज्जैन से प्रारंभ होती है और वहीं पर समाप्त भी होती है. कई लोग शुभ दिन और विशेष मुहूर्त से नर्मदा की परिक्रमा करते हैं, कई लोग नर्मदा की परिक्रमा यात्रा साल में कभी भी भी शुरू कर देते हैं.

Narmada river bhedaghat
नर्मदा नदी का विश्व प्रसिद्ध वॉटरफॉल धुआंधार (भेड़ाघाट) (MPT)

हिंदू धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, '' हिंदू धर्म में परिक्रमा का बहुत महत्व होता है चाहे फिर वो मंदिर की परिक्रमा हो, देवी देवताओं की हो या फिर नदी की परिक्रमा. कहा जाता है कि नर्मदा परिक्रमा एक ऐसी धार्मिक यात्रा है जिसे पूरा करना यानी जीवन का सबसे बड़ा कार्य पूरा कर लेना है.''

कोई अकेला, कोई पैदल, कोई मंडली में

ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि नर्मदा परिक्रमा कई तरह से लोग करते हैं. कुछ लोग पैदल चलकर करते हैं तो कुछ लोग बीच-बीच में वाहनों का सहारा भी लेते हैं. 2600 किलोमीटर की इस यात्रा को पैदल चलने पर औसतन 3 साल 3 महीने 13 दिन में पूरा किया जा सकता है. ज्यादातर लोग मंडली बनाकर नर्मदा परिक्रमा पूरी करते हैं.

नर्मदा परिक्रमा करते समय इन बातों का रखें ख्याल

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक, '' नर्मदा परिक्रमा करते समय कुछ बातों का ख्याल रखना होता है. जैसे,

  • जब भी नर्मदा परिक्रमा शुरू करें तो नर्मदा जी में हर दिन स्नान करें.
  • अगर पानी पीना भी चाहते हैं तो नर्मदा जल का ही प्रयोग करें, श्रद्धा पूर्वक रास्ते में कोई भोजन करा दे तो ग्रहण कर लें.
  • यात्रा के दौरान किसी से वाद विवाद ना करें, किसी की निंदा-चुगली ना करें, वाणी पर संयम बनाए रखें और सच बोलें.
  • नर्मदा परिक्रमा के दौरान नर्मदा की भक्ति में लीन रहें और आगे बढ़ते जाएं.
  • नर्मदा परिक्रमा के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखें कि कहीं भी नर्मदा नदी को पार ना करें. जहां नर्मदा जी में टापू हो गए हैं, वहां भी ना जाएं.
  • नर्मदा में जाकर मिलने वाली सहायक नदियों को जरूरत पड़ने पर पार कर सकते हैं. ऐसा केवल एक बार ही करें, चातुर्मास में परिक्रमा ना करें.
  • नर्मदा परिक्रमा के दौरान कोशिश करें कि बाल ना कटवाएं और ब्रह्मचर्य का पूरा पालन करें.

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शहडोल (अखिलेश शुक्ला) : नर्मदा नदी का उद्गम स्थल भले ही अमरकंटक हो पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था. यह दुनिया की एकमात्र ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है. आज नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर जानें भगवान शिव की पुत्री कही जाने वाली नर्मदा नदी के जन्म और इसकी परिक्रमा से जुड़े रोचक तथ्य.

उल्टी बहती है नर्मदा नदी

शहडोल संभाग के अनुपपुर जिले में नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है. जहां नर्मदा जयंती बड़े भव्य तरीके से हर वर्ष मनाई जाती है. इस वर्ष भी इसका आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जा रहा है. अमरकंटक से अवतरित हुई नर्मदा बाकी नदियों के ठीक विपरीत पश्चिम दिशा की ओर उल्टी बहती है और विपरीत दिशा में बहने वाली देश की सबसे बड़ी नदी है.

narmada river bhedaghat
भेड़ाघाट में संगमरमरीय वादियों के बीच से बहती नर्मदा (MPT)

क्यों कहते हैं नर्मदा को जीवनदायिनी?

प्राचीनकाल से नर्मदा नदी को 'रेवा' के नाम से भी जाना जाता है. जिन-जिन क्षेत्रों से यह नदी गुजरती रही है, वहां मानव जीवन का अस्तित्व बचा रहा है. वर्तमान में यह नदी मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों की भी प्यास बुझाती है. यही कारण है कि इसे जीवन दायिनी भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश से निकलने वाली नर्मदा पश्चिम दिशा में बहते हुए खंभात की खाड़ी में जाकर गिरती है.

Narmada origin place amarkantak
नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक (Etv Bharat)

नर्मदा नदी का जन्म कैसे हुआ?

नर्मदा नदी के जन्म को लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, '' पुराणों में ऐसा वर्णन है और ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव एक समय मैकल पर्वत पर तपस्या कर रहे थे. तपस्या के दौरान उनके पसीने की जो बूंद धरती पर गिरी थी, उसी से नर्मदा का जन्म हुआ था, और इसलिए नर्मदा को भगवान भोलेनाथ की पुत्री भी कहा जाता है. अमरकंटक में जिस जगह से नर्मदा निकली हुई है, वहां एक कुंड बना हुआ है. कुंड के बाद से ही नर्मदा इतना विशाल रूप धारण कर लेती है, जिसे देखर यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता है.''

Narmada parikrama importance hindu dharm
हिंदू धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व (Etv Bharat)

नर्मदा की परिक्रमा क्यों की जाती है?

इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं, '' नर्मदा दुनिया की इकलौती ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है. अभी तक आपने देवी-देवताओं और मंदिरों की परिक्रमा करते हुए सुना होगा लेकिन मां नर्मदा की परिक्रमा अद्भुत है. मान्यता है कि नर्मदा जी को दाहिनी ओर रखते हुए उनकी परिक्रमा की शुरुआत की जाती है और जो भी व्यक्ति मां नर्मदा की परिक्रमा कर लेता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. काफी संख्या में हर वर्ष लोग मां नर्मदा की परिक्रमा करते आपको मिल जाएंगे.''

Narmada river facts ancient name history hindi
तीर्थ यात्राओं से कई गुना ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में (Etv Bharat)

तीर्थ यात्राओं से कई गुना ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, '' नर्मदा परिक्रमा का काफी धार्मिक महत्व है. इसमें लोगों की बड़ी आस्था रहती है और एक तीर्थ यात्रा में जितना पुण्य मिलता है उससे कहीं ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में मिलता है. पुराणों में इसका वर्णन भी मिलता है, और उसमें ऐसा कहा गया है कि एक बार नर्मदा यात्रा कर लेने से जिंदगी बदल जाती है, व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. हालांकि, नर्मदा परिक्रमा को काफी कठिन माना जाता है. कहा ये भी जाता है कि नर्मदा परिक्रमा कर लेने से व्यक्ति को जीवन के कई सारे ज्ञान एक साथ हो जाते हैं.''

नर्मदा परिक्रमा कब की जाती है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा परिक्रमा हर माह की नर्मदा पंचक्रोशी तिथि से शुरू की जाती है. पंचक्रोशी यात्रा की तिथि कैलेंडर में दी गई होती है यह यात्रा मध्य प्रदेश के अमरकंटक, ओंकारेश्वर और उज्जैन से प्रारंभ होती है और वहीं पर समाप्त भी होती है. कई लोग शुभ दिन और विशेष मुहूर्त से नर्मदा की परिक्रमा करते हैं, कई लोग नर्मदा की परिक्रमा यात्रा साल में कभी भी भी शुरू कर देते हैं.

Narmada river bhedaghat
नर्मदा नदी का विश्व प्रसिद्ध वॉटरफॉल धुआंधार (भेड़ाघाट) (MPT)

हिंदू धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, '' हिंदू धर्म में परिक्रमा का बहुत महत्व होता है चाहे फिर वो मंदिर की परिक्रमा हो, देवी देवताओं की हो या फिर नदी की परिक्रमा. कहा जाता है कि नर्मदा परिक्रमा एक ऐसी धार्मिक यात्रा है जिसे पूरा करना यानी जीवन का सबसे बड़ा कार्य पूरा कर लेना है.''

कोई अकेला, कोई पैदल, कोई मंडली में

ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि नर्मदा परिक्रमा कई तरह से लोग करते हैं. कुछ लोग पैदल चलकर करते हैं तो कुछ लोग बीच-बीच में वाहनों का सहारा भी लेते हैं. 2600 किलोमीटर की इस यात्रा को पैदल चलने पर औसतन 3 साल 3 महीने 13 दिन में पूरा किया जा सकता है. ज्यादातर लोग मंडली बनाकर नर्मदा परिक्रमा पूरी करते हैं.

नर्मदा परिक्रमा करते समय इन बातों का रखें ख्याल

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक, '' नर्मदा परिक्रमा करते समय कुछ बातों का ख्याल रखना होता है. जैसे,

  • जब भी नर्मदा परिक्रमा शुरू करें तो नर्मदा जी में हर दिन स्नान करें.
  • अगर पानी पीना भी चाहते हैं तो नर्मदा जल का ही प्रयोग करें, श्रद्धा पूर्वक रास्ते में कोई भोजन करा दे तो ग्रहण कर लें.
  • यात्रा के दौरान किसी से वाद विवाद ना करें, किसी की निंदा-चुगली ना करें, वाणी पर संयम बनाए रखें और सच बोलें.
  • नर्मदा परिक्रमा के दौरान नर्मदा की भक्ति में लीन रहें और आगे बढ़ते जाएं.
  • नर्मदा परिक्रमा के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखें कि कहीं भी नर्मदा नदी को पार ना करें. जहां नर्मदा जी में टापू हो गए हैं, वहां भी ना जाएं.
  • नर्मदा में जाकर मिलने वाली सहायक नदियों को जरूरत पड़ने पर पार कर सकते हैं. ऐसा केवल एक बार ही करें, चातुर्मास में परिक्रमा ना करें.
  • नर्मदा परिक्रमा के दौरान कोशिश करें कि बाल ना कटवाएं और ब्रह्मचर्य का पूरा पालन करें.

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Last Updated : Feb 4, 2025, 12:46 PM IST
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