ETV Bharat / state

अद्भुत है कलचुरि काल का विराटेश्वर शिव मंदिर, एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों के एक साथ होते हैं दर्शन - शहडोल न्यूज

कलचुरि कालीन शिव मंदिर लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है. कलचुरि कालीन इस विराट शिव मंदिर को देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे. शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ एक साथ ही मिल जाता है. इतना ही नहीं यह शिव मंदिर पुरातात्विक धरोहर है. यह मंदिर आखिर इतना खास क्यों है. जानिए इस खास रिपोर्ट में.

Virateshwar Shiva Temple of Kalachuri Period
कलचुरि काल का विराटेश्वर शिव मंदिर
author img

By

Published : Dec 23, 2021, 7:30 PM IST

शहडोल। कलचुरि कालीन विराट शिव मंदिर (shiv temple of kalchuri era in shahdol) अपने आप में ही अनूठा है. कलचुरि कालीन इस विराट शिव मंदिर को देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे. शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ एक साथ ही मिल जाता है. इतना ही नहीं यह शिव मंदिर पुरातात्विक धरोहर है. यह मंदिर आखिर इतना खास क्यों है. जानिए इस खास रिपोर्ट में.

shivling in shahdol temple
मंदिर में स्थापित शिवलिंग

यहां स्थित है विराट शिव मंदिर
पुरातात्विक धरोहर विराट शिव मंदिर अद्भुत है. यह मंदिर (shiv temple of kalchuri era location in shahdol) अपने आप में ही अनूठा है या यूं कहें कि जिले की पहचान है. जिला मुख्यालय में स्थित यह विराट मंदिर मुख्य मार्ग से लगा हुआ है. जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह मंदिर अपनी भव्यता, सुंदरता और पुरातात्विक महत्व के चलते दूर से ही लोगों को अपनी और आकर्षित करता है.

art on temple in shahdol
मंदिर पर बनीं कलाकृित

कलचुरि कालीन है ये शिव मंदिर
पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि शहडोल संभाग का या कहिए विंध्य क्षेत्र का यह अति विशिष्ट शिव मंदिर है. यह विराटेश्वर शिव मंदिर (virateshwar shiv mandir shahdol) के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी नरेश युवराज देव प्रथम ने 10वीं-11वीं सदी में कराया गया था.जहां बहुत छोटी सी शिवलिंग स्थापित है. रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि ये पूर्वाभिमुख मंदिर शिव को समर्पित है. इसके गर्भ गृह में शिवलिंग जलहरी प्रतिस्थापित है. इसके गर्भ गृह में जो द्वार शाखाएं हैं, वह देवी-देवता युक्त हैं.

Virateshwar Shiv Mandir Shahdol
विराटेश्व शिव मंदिर शहडोल

इसके मध्य में नटेश, शिव बाईं, गणेश दाईं और सरस्वती का अंकन है. इन्हें देखने वाले देखते ही भाव विभोर हो जाते हैं. इसके अलावा देवी देवताओं की भी अंदर अन्य प्रतिमाएं रखी हैं. मंदिर के बाह्य भाग या जंघा भाग में जो प्रतिमाएं हैं, वह तीन क्रम पर हैं. इसमें शिव के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं लगी हैं. इसके अलावा उनके परिवार की भी प्रतिमाएं हैं, जिनमें गणेश, कार्तिकेय, गौरी, उमा माहेश्वर, गौरी शंकर आदि हैं.

shiv mandir
विराटेश्वर शिव मंदिर की अद्भुत दिवारें

खजुराहो की यादें हो जाती हैं ताजा
इस मंदिर में ब्रह्मा-विष्णु-महेश त्रिदेव का भी अंकन है. इसमें देवी गौरी के या नवदुर्गाओं के भी कुछ स्वरूपों को अंकित किया गया है. मंदिर में अलग-अलग तरह की अप्सराओं का भी शिल्पन किया गया है. पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं कि मंदिर की बनावट ऐसी हैं कि खजुराहो की यादें ताजा हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि खजुराहो में चंदेल शासकों ने खजुराहो के मंदिर बनवाए थे. महाकौशल या विंध्य क्षेत्र में कलिचुरी नरेशों ने ये मंदिर बनवाए थे. इनका निर्माण 9 वीं सदी से लेकर 12 वीं सदी के बीच किया गया है.

Virat Shiva temple
मंदिर पर होती है आलीशान लाइटिंग

एक गांव ऐसा भी जहां घर-घर में है चंदन के पेड़, जानें क्या है वजह

पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि विराट मंदिर में स्थित ये शिवलिंग अति विशिष्ट है. शिवलिंग ब्रह्मांड स्वरूप में है. जिस स्वरुप में ब्रह्मांड था या अभी भी है, जिसमें विभिन्न प्रकार के ग्रहों सौर मंडलों निहारिकाओं प्रतिरूपण हुआ है, जो पूरे ब्रह्मांड में छाई हुई हैं. इसी एक शिव हिरण्यगर्भ स्वरूप का जो शिवलिंग है, यह इसका प्रतीक है. यह जो पूरे ब्रह्मांड का एक प्रतीक स्वरूप में शिवलिंग यहां पर अंकित है.

शहडोल। कलचुरि कालीन विराट शिव मंदिर (shiv temple of kalchuri era in shahdol) अपने आप में ही अनूठा है. कलचुरि कालीन इस विराट शिव मंदिर को देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे. शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ एक साथ ही मिल जाता है. इतना ही नहीं यह शिव मंदिर पुरातात्विक धरोहर है. यह मंदिर आखिर इतना खास क्यों है. जानिए इस खास रिपोर्ट में.

shivling in shahdol temple
मंदिर में स्थापित शिवलिंग

यहां स्थित है विराट शिव मंदिर
पुरातात्विक धरोहर विराट शिव मंदिर अद्भुत है. यह मंदिर (shiv temple of kalchuri era location in shahdol) अपने आप में ही अनूठा है या यूं कहें कि जिले की पहचान है. जिला मुख्यालय में स्थित यह विराट मंदिर मुख्य मार्ग से लगा हुआ है. जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह मंदिर अपनी भव्यता, सुंदरता और पुरातात्विक महत्व के चलते दूर से ही लोगों को अपनी और आकर्षित करता है.

art on temple in shahdol
मंदिर पर बनीं कलाकृित

कलचुरि कालीन है ये शिव मंदिर
पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि शहडोल संभाग का या कहिए विंध्य क्षेत्र का यह अति विशिष्ट शिव मंदिर है. यह विराटेश्वर शिव मंदिर (virateshwar shiv mandir shahdol) के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी नरेश युवराज देव प्रथम ने 10वीं-11वीं सदी में कराया गया था.जहां बहुत छोटी सी शिवलिंग स्थापित है. रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि ये पूर्वाभिमुख मंदिर शिव को समर्पित है. इसके गर्भ गृह में शिवलिंग जलहरी प्रतिस्थापित है. इसके गर्भ गृह में जो द्वार शाखाएं हैं, वह देवी-देवता युक्त हैं.

Virateshwar Shiv Mandir Shahdol
विराटेश्व शिव मंदिर शहडोल

इसके मध्य में नटेश, शिव बाईं, गणेश दाईं और सरस्वती का अंकन है. इन्हें देखने वाले देखते ही भाव विभोर हो जाते हैं. इसके अलावा देवी देवताओं की भी अंदर अन्य प्रतिमाएं रखी हैं. मंदिर के बाह्य भाग या जंघा भाग में जो प्रतिमाएं हैं, वह तीन क्रम पर हैं. इसमें शिव के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं लगी हैं. इसके अलावा उनके परिवार की भी प्रतिमाएं हैं, जिनमें गणेश, कार्तिकेय, गौरी, उमा माहेश्वर, गौरी शंकर आदि हैं.

shiv mandir
विराटेश्वर शिव मंदिर की अद्भुत दिवारें

खजुराहो की यादें हो जाती हैं ताजा
इस मंदिर में ब्रह्मा-विष्णु-महेश त्रिदेव का भी अंकन है. इसमें देवी गौरी के या नवदुर्गाओं के भी कुछ स्वरूपों को अंकित किया गया है. मंदिर में अलग-अलग तरह की अप्सराओं का भी शिल्पन किया गया है. पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं कि मंदिर की बनावट ऐसी हैं कि खजुराहो की यादें ताजा हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि खजुराहो में चंदेल शासकों ने खजुराहो के मंदिर बनवाए थे. महाकौशल या विंध्य क्षेत्र में कलिचुरी नरेशों ने ये मंदिर बनवाए थे. इनका निर्माण 9 वीं सदी से लेकर 12 वीं सदी के बीच किया गया है.

Virat Shiva temple
मंदिर पर होती है आलीशान लाइटिंग

एक गांव ऐसा भी जहां घर-घर में है चंदन के पेड़, जानें क्या है वजह

पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि विराट मंदिर में स्थित ये शिवलिंग अति विशिष्ट है. शिवलिंग ब्रह्मांड स्वरूप में है. जिस स्वरुप में ब्रह्मांड था या अभी भी है, जिसमें विभिन्न प्रकार के ग्रहों सौर मंडलों निहारिकाओं प्रतिरूपण हुआ है, जो पूरे ब्रह्मांड में छाई हुई हैं. इसी एक शिव हिरण्यगर्भ स्वरूप का जो शिवलिंग है, यह इसका प्रतीक है. यह जो पूरे ब्रह्मांड का एक प्रतीक स्वरूप में शिवलिंग यहां पर अंकित है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.