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महंगी नहीं 10% सस्ती हो सकती है बिजली, MPEB के रिटायर्ड इंजीनियर ने सुझाया तरीका - MP ELECTRICITY RATES REDUCTION

एमपीईबी द्वार बिजली दर बढ़ाए जाने के प्रपोजल पर रिटायर्ड इंजीनियर ने उठाई आपत्ति, कहा- महंगी नहीं, सस्ती की जा सकती है बिजली.

MP ELECTRICITY RATES REDUCTION APPEAL
13 फरवरी को होगी याचिका पर सुनवाई (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 24, 2025, 7:25 PM IST

जबलपुर (विश्वजीत सिंह) : मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी और बिजली सप्लाई करने वाली दूसरी कंपनियां बिजली के दामों में 7.52% की बढ़ोत्तरी करना चाहती हैं. इसके लिए इन कंपनियों ने नियामक आयोग के सामने प्रस्ताव रखा है. लेकिन बिजली मामलों के जानकार और बिजली कंपनी के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि बिजली विभाग रेट बढ़ाने के बजाए रेट को 10 प्रतिशत तक कम कर सकता है. उन्होंने रेट बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए नियामक आयोग के सामने अपना एक प्रस्ताव भी रखा है, कि कैसे बिजली बिल की दरें कम की जा सकती हैं.

बिजली की दरें बढ़ाने के पीछे ये तर्क

बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाने के पीछे तर्क देते हुए कहा है कि बिजली खरीदी, उत्पादन और वितरण में घाटा हो रहा है. इसलिए कंपनियां बिजली के दाम बढ़ाना चाहती हैं. हालांकि, इस साल के आंकड़ों में बिजली कंपनी ने जो हिसाब दिया है, उसके अनुसार ना तो बिजली कंपनी को फायदा है और ना ही नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद बिजली कंपनियां बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी करना चाहती हैं. इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि बीते 2 सालों से बिजली के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं.

जानकारी देते एमपीईबी के रिटायर्ड इंजीनियर (Etv Bharat)

बिजली विभाग के प्रपोजल पर आपत्ति

बिजली मामलों के जानकारी और बिजली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने नियामक आयोग के सामने बिजली कंपनी के बिजली के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करवाई है और इस आपत्ति में 32 बिंदु उठाए हैं. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा, '' मैंने और मेरे साथी राजेश चौधरी द्वारा नियामक आयोग के सामने आपत्ति दर्ज कराई गई है, जिसमें बिजली कंपनी द्वारा अनाप-शनाप बिजली की खरीदी, स्मार्ट मीटर के नाम पर 754 करोड़ की मांग, अनावश्यक बैंकिग जैसे अनेक बिंदुओं पर आयोग का ध्यान आकर्षित किया है और आयोग से मांग की है कि हमें प्रत्यक्ष सुनवाई को मौका दिया जाए, जिससे प्रदेश के उपभोक्ताओं का अहित न हो.''

MPEB RATES 2025
बिजली विभाग के प्रपोजल पर आपत्ति (Etv Bharat)

महंगी दर पर क्यों खरीद रहे बिजली?

रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आगे कहा, '' पावर मैनेजमेंट कंपनी 'टोरेंट पावर' नाम की एक कंपनी से 8 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदना चाहती है. इसके अलावा कई दूसरी कंपनियां हैं, जिनसे महंगी दरों पर बिजली खरीदी के लिए प्रस्ताव बनाए गए हैं. जब मध्य प्रदेश के पास पर्याप्त बिजली है, तो महंगे दामों पर निजी कंपनियों से बिजली क्यों खरीदी जा रही है?''

'जनता से अतिरिक्त खर्च की वसूली गलत'

रिटायर्ड इंजीनियर ने आगे कहा, '' मध्य प्रदेश के पास सरप्लस बिजली है, जिसे प्रदेश कुछ दूसरे राज्यों को भी बेचता है. बिजली बेचने में भी खर्च आता है जबकि इसका मुनाफा जनता के पास नहीं पहुंचता. लेकिन इसपर खर्च की गई राशि जनता से वसूली जाती है. यह पूरी तरह से गलत है.''

MPEB POWER MANAGEMENT COMPANY
नए वित्तीय वर्ष में लागू होगा नया टैरिफ (Etv Bharat)

'फिजूल खर्ची बंद करने की जरूरत'

याचिका में रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आपत्ति उठाते हुए यह भी कहा कि मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रस्ताव में अनावश्यक बैंकिंग के खर्च भी जोड़े गए हैं. यदि इन फिजूल खर्चियों को कम कर दिया जाए, तो बिजली के दाम बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इसके विपरीत इन्हें 10% तक कम किया जा सकता है.''

13 फरवरी को होगी याचिका पर सुनवाई

पावर मैनेजमेंट कंपनी जब भी बिजली के दाम बढ़ाना चाहती है, तो उसे नियामक आयोग के सामने एक याचिका पेश करनी पड़ती है. इस याचिका पर आम जनता अपनी आपत्तियां दर्ज करवा सकती है लेकिन सामान्य तौर पर ज्यादा लोग सामने नहीं आते. कुछ सामाजिक संगठन और राजेंद्र अग्रवाल जैसे जागरुक लोग ही इस मामले में जनता के प्रतिनिधि होते हैं. गौरतलब है कि आगामी 13 फरवरी को जबलपुर में रिटायर्ड इंजीनियर द्वारा दायर की गई आपत्तियों पर खुली बहस भी होगी. 24 जनवरी आपत्ति दर्ज करने की अंतिम तिथि थी.

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बिजली की दरें बढ़ाने के पीछे ये तर्क

बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाने के पीछे तर्क देते हुए कहा है कि बिजली खरीदी, उत्पादन और वितरण में घाटा हो रहा है. इसलिए कंपनियां बिजली के दाम बढ़ाना चाहती हैं. हालांकि, इस साल के आंकड़ों में बिजली कंपनी ने जो हिसाब दिया है, उसके अनुसार ना तो बिजली कंपनी को फायदा है और ना ही नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद बिजली कंपनियां बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी करना चाहती हैं. इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि बीते 2 सालों से बिजली के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं.

जानकारी देते एमपीईबी के रिटायर्ड इंजीनियर (Etv Bharat)

बिजली विभाग के प्रपोजल पर आपत्ति

बिजली मामलों के जानकारी और बिजली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने नियामक आयोग के सामने बिजली कंपनी के बिजली के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करवाई है और इस आपत्ति में 32 बिंदु उठाए हैं. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा, '' मैंने और मेरे साथी राजेश चौधरी द्वारा नियामक आयोग के सामने आपत्ति दर्ज कराई गई है, जिसमें बिजली कंपनी द्वारा अनाप-शनाप बिजली की खरीदी, स्मार्ट मीटर के नाम पर 754 करोड़ की मांग, अनावश्यक बैंकिग जैसे अनेक बिंदुओं पर आयोग का ध्यान आकर्षित किया है और आयोग से मांग की है कि हमें प्रत्यक्ष सुनवाई को मौका दिया जाए, जिससे प्रदेश के उपभोक्ताओं का अहित न हो.''

MPEB RATES 2025
बिजली विभाग के प्रपोजल पर आपत्ति (Etv Bharat)

महंगी दर पर क्यों खरीद रहे बिजली?

रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आगे कहा, '' पावर मैनेजमेंट कंपनी 'टोरेंट पावर' नाम की एक कंपनी से 8 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदना चाहती है. इसके अलावा कई दूसरी कंपनियां हैं, जिनसे महंगी दरों पर बिजली खरीदी के लिए प्रस्ताव बनाए गए हैं. जब मध्य प्रदेश के पास पर्याप्त बिजली है, तो महंगे दामों पर निजी कंपनियों से बिजली क्यों खरीदी जा रही है?''

'जनता से अतिरिक्त खर्च की वसूली गलत'

रिटायर्ड इंजीनियर ने आगे कहा, '' मध्य प्रदेश के पास सरप्लस बिजली है, जिसे प्रदेश कुछ दूसरे राज्यों को भी बेचता है. बिजली बेचने में भी खर्च आता है जबकि इसका मुनाफा जनता के पास नहीं पहुंचता. लेकिन इसपर खर्च की गई राशि जनता से वसूली जाती है. यह पूरी तरह से गलत है.''

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'फिजूल खर्ची बंद करने की जरूरत'

याचिका में रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आपत्ति उठाते हुए यह भी कहा कि मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रस्ताव में अनावश्यक बैंकिंग के खर्च भी जोड़े गए हैं. यदि इन फिजूल खर्चियों को कम कर दिया जाए, तो बिजली के दाम बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इसके विपरीत इन्हें 10% तक कम किया जा सकता है.''

13 फरवरी को होगी याचिका पर सुनवाई

पावर मैनेजमेंट कंपनी जब भी बिजली के दाम बढ़ाना चाहती है, तो उसे नियामक आयोग के सामने एक याचिका पेश करनी पड़ती है. इस याचिका पर आम जनता अपनी आपत्तियां दर्ज करवा सकती है लेकिन सामान्य तौर पर ज्यादा लोग सामने नहीं आते. कुछ सामाजिक संगठन और राजेंद्र अग्रवाल जैसे जागरुक लोग ही इस मामले में जनता के प्रतिनिधि होते हैं. गौरतलब है कि आगामी 13 फरवरी को जबलपुर में रिटायर्ड इंजीनियर द्वारा दायर की गई आपत्तियों पर खुली बहस भी होगी. 24 जनवरी आपत्ति दर्ज करने की अंतिम तिथि थी.

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