Budh Purnima 2023: वैशाख पूर्णिमा का दिन बहुत विशेष माना जाता है और इस दिन स्नान करने दान करने का विशेष महत्व होता है. वैशाख पूर्णिमा कब है, उसका शुभ मुहूर्त क्या है, कब से कब स्नान करना चाहिए, अगर गंगाजी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो कैसे स्नान करें, जिससे उतना ही पुण्य लाभ मिले. आखिर वैशाख पूर्णिमा को क्या कुछ करना चाहिए, जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.
वैशाख पूर्णिमा कब है? ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "वैशाख पूर्णिमा 4 मई 2023 को रात्रि 11:29 से प्रारंभ हो रहा है, जो 5 मई को रात्रि में 11:20 तक रहेगा. हालांकि शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के समय जो तिथि होती है वो सर्वमान्य होती है, इसलिए वैशाख पूर्णिमा इस बार 5 मई 2023 को मनाया जाएगा."
बुद्ध पूर्णिमा इसलिए विशेष: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "बुद्ध पूर्णिमा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 24 अवतार होते हैं. 24 अवतार में से 9वें अवतार में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इस पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही शंकर जी और गणेश जी की भी विशेष पूजा की जाती है, जो लोग 1 महीने तक स्नान करते हैं वे 5 मई 2023 को अपने इस स्नान की समाप्ति करेंगे."
वैशाख पूर्णिमा पर स्नान का विशेष महत्व: बुद्ध और वैशाख पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का भी विशेष महत्व होता है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक "वैसे तो शास्त्रों में पुराणों में और पंचांग में लिखा हुआ है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन कोशिश करें कि गंगा जी में स्नान करें, अगर वहां स्नान करने की व्यवस्था नहीं बन पाती है तो बहते हुए जल में स्नान करें. अगर बहते जल में भी स्नान करने में असमर्थ हैं तो घर में एक बर्तन में पानी रख लें, उसमें गंगा जल डाल लें और सूर्य को प्रणाम कर और उसी जल से स्नान करें. ऐसा करने से मां गंगा विशेष फल प्रदान करती हैं.
इन खबरों पर भी एक नजर: |
वैशाख पूर्णिमा पर कब करें स्नान:
- बुद्ध और वैशाख पूर्णिमा पर स्नान ब्रह्म मुहूर्त का स्नान सबसे अच्छा माना गया है. कहा जाता है इस मुहूर्त में स्नान करने से आनंद की अनुभुति होती है, आप अनर्जी से भरे होते हैं और भगवान की विशेष कृपा आप पर बरसती है.
- सूर्योदय से लेकर के सुबह 7:00 बजे के बीच में स्नान करते हैं, उसे मनुष्य स्नान कहते हैं. ऐसा स्नान करने से आधा पुण्य लाभ होता है.
- जो लोग सुबह 8:00 बजे के बाद 10:00 बजे के बीच में स्नान करते हैं, वह राक्षस स्नान कहा जाता है. उनका किया हुआ दान धर्म यह सब नष्ट हो जाता है, इसलिए समय का ध्यान रखते हुए प्रातः कालीन सुबह 4:00 बजे से सूर्योदय के पहले स्नान करें और भगवान शिव और विष्णु जी का पूजन करें आरती करें तो पुण्य लाभ मिलता है.
वैशाख पूर्णिमा पर स्नान क्यों है जरूरी: बुद्ध और वैशाख पूर्णिमा पर स्नान करना इसलिए स्नान करना जरूरी होता है.जाने-अनजाने में जो प्रायश्चित हो जाता है, वह प्रायश्चित वहीं पर नष्ट हो जाता है और पुण्य लाभ मिलता है. कुछ लोग जो बुद्ध पूर्णिमा के दिन स्नान नहीं करते हैं, वह दूसरे जन्म में मलिक्ष होते हैं यानी की उनको राक्षस योनि मिलती है.
वैशाख पूर्णिमा में ऐसे करें तप: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि "वैशाख पूर्णिमा के दिन विशेष ध्यान रखते हुए बुद्ध पूर्णिमा के दिन स्नान करके भगवान शिव को स्नान कराएं, चंदन चढ़ाएं, फूल, बेलपत्ती चढ़ाएं या भगवान विष्णु की पूजन करके भगवान विष्णु को सुसज्जित करके बढ़िया सजा करके उनके सामने आरती करें, भोग लगाएं. पुराणों में यह भी लिखा है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन घट का दान करें, इसलिए घड़े में जल भरकर के उसमें थोड़ा शक्कर डालकर किसी भी गरीब को या किसी पंडित पुरोहितों को या किसी गुरुद्वारे में जाकर घट का दान करें तो और पुण्य मिलता है. घटदान को विशेषकर युवाओं को और वृद्धों जनों को करना बहुत जरूरी है, जिनकी उम्र 25 वर्ष से लेकर 65 वर्ष के बीच में है. इस उम्र के बीच वाले जो व्यक्ति स्नान नहीं करते हैं, वे पाप के भागीदार बनते हैं, इसलिए स्नान अवश्य करें."