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आज धूमधाम से मनाई जा रही है आंवला नवमी, जानें इसका महत्व, पूजन विधि और कथा

आज इच्छा नवमी है और आज का दिन बहुत खास होता है, क्योंकि आज के दिन महिलाएं अपने परिवार के साथ आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करती हैं, जो काफी फलदायी होता है.

आज मनाई जाएगी आंवला नवमी
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Published : Nov 5, 2019, 8:45 AM IST

Updated : Nov 5, 2019, 12:50 PM IST

शहडोल। अक्षय नवमी या आंवला नवमी कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है. इसे इच्छा नवमी भी कहा जाता है. आज के दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति और उनकी सलामती के लिए पूजा करती हैं. पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि आज के दिन आंवले के पेड़ के नीचे पूजा करके भोजन करने का रिवाज है.

इस दिन का महत्व

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक अक्षय नवमी के शुभ मुहूर्त में पूजा करने और आंवले के पेड़ के नीचे परिवार के साथ भोजन करने से संतान की प्राप्ति होती है, वहीं जिनकी पहले से संतान हैं, वे दीर्घायु होंगे. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही आंवला नवमी की पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है, यश बढ़ता है और काया निरोगी होती है.

इच्छा नवमी पूजा करने की विधि

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि 5 नवंबर को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच पूजा का शुभ मुहूर्त है. महिलाएं स्नान कर आंवले के पेड़ के नीचे पहुंचें. पहले पेड़ को स्नान कराएं, चंदन, फूल, माला चढ़ाएं और फिर वहीं पर अपने परिवार के साथ भोजन करें. ऐसा करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है और सुख-समृद्धि मिलती है.

आज धूमधाम से मनाई जा रही है आंवला नवमी

अक्षय या आंवला नवमी की कथा

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि काशी में एक ब्राह्मण हुआ करते थे. उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसके चलते वो किसी पुरोहित के पास गए. ब्राह्मण ने पुरोहित से पूछा कि उनकी कोई संतान क्यों नहीं है और संतान प्राप्ति के लिए उन्हें क्या करना चाहिए. पुरोहित ने कहा कि आप किसी बालक की हत्या कर दीजिए, तो आपको संतान की प्राप्ति हो जाएगी. जब ब्राह्मण पुरोहित की कही बात घर में अपनी पत्नी को बताता है, तो पत्नी तो इस बात के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन ब्राह्मण इस बात के लिए तैयार नहीं होता है.

एक दिन ब्राह्मण की पत्नी को मौका मिला, तो उसने किसी के पुत्र का वध कर दिया और ये बात अपने पति को बताई. ब्राह्मण तुरंत ही एक ऋषि के पास गया और उन्हें पूरी बात बताई. ऋषि बोले जाओ तुम्हे संतान की प्राप्ति हो जाएगी. जैसे ही ब्राह्मण घर पहुंचा, तो देखा कि पत्नी को कोढ़ हो गया था, क्योंकि पत्नी ने किसी ब्राह्मण के बालक की हत्या कर दी थी. ब्राह्मण पत्नी को लेकर ऋषि के पास पहुंचा, तब ऋषि ने कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन वे आंवला नवमी का व्रत करें, आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूरी श्रद्धा के साथ पूजन करें और भोजन करें, ऐसा करने से पत्नी का कोढ़ शांत होगा और उसे संतान की प्राप्ति होगी.

लक्ष्मी जी ने की थी पूजा

आंवला नवमी के बारे में कहा जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर देवी लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे शिवजी और विष्णुजी की पूजा की थी, तभी से इस तिथि पर आंवले के पूजन की परंपरा शुरू हुई है.

अक्षय नवमी के अवसर पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी यहां आकर निवास करते हैं. आज के दिन स्नान, पूजन, तर्पण और अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है.

वहीं चरक संहिता में बताया गया है कि अक्षय नवमी को महर्षि च्यवन ने आंवला खाया था, जिसके बाद उन्हें फिर से यौवन प्राप्त हो गया था.

शहडोल। अक्षय नवमी या आंवला नवमी कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है. इसे इच्छा नवमी भी कहा जाता है. आज के दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति और उनकी सलामती के लिए पूजा करती हैं. पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि आज के दिन आंवले के पेड़ के नीचे पूजा करके भोजन करने का रिवाज है.

इस दिन का महत्व

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक अक्षय नवमी के शुभ मुहूर्त में पूजा करने और आंवले के पेड़ के नीचे परिवार के साथ भोजन करने से संतान की प्राप्ति होती है, वहीं जिनकी पहले से संतान हैं, वे दीर्घायु होंगे. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही आंवला नवमी की पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है, यश बढ़ता है और काया निरोगी होती है.

इच्छा नवमी पूजा करने की विधि

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि 5 नवंबर को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच पूजा का शुभ मुहूर्त है. महिलाएं स्नान कर आंवले के पेड़ के नीचे पहुंचें. पहले पेड़ को स्नान कराएं, चंदन, फूल, माला चढ़ाएं और फिर वहीं पर अपने परिवार के साथ भोजन करें. ऐसा करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है और सुख-समृद्धि मिलती है.

आज धूमधाम से मनाई जा रही है आंवला नवमी

अक्षय या आंवला नवमी की कथा

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि काशी में एक ब्राह्मण हुआ करते थे. उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसके चलते वो किसी पुरोहित के पास गए. ब्राह्मण ने पुरोहित से पूछा कि उनकी कोई संतान क्यों नहीं है और संतान प्राप्ति के लिए उन्हें क्या करना चाहिए. पुरोहित ने कहा कि आप किसी बालक की हत्या कर दीजिए, तो आपको संतान की प्राप्ति हो जाएगी. जब ब्राह्मण पुरोहित की कही बात घर में अपनी पत्नी को बताता है, तो पत्नी तो इस बात के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन ब्राह्मण इस बात के लिए तैयार नहीं होता है.

एक दिन ब्राह्मण की पत्नी को मौका मिला, तो उसने किसी के पुत्र का वध कर दिया और ये बात अपने पति को बताई. ब्राह्मण तुरंत ही एक ऋषि के पास गया और उन्हें पूरी बात बताई. ऋषि बोले जाओ तुम्हे संतान की प्राप्ति हो जाएगी. जैसे ही ब्राह्मण घर पहुंचा, तो देखा कि पत्नी को कोढ़ हो गया था, क्योंकि पत्नी ने किसी ब्राह्मण के बालक की हत्या कर दी थी. ब्राह्मण पत्नी को लेकर ऋषि के पास पहुंचा, तब ऋषि ने कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन वे आंवला नवमी का व्रत करें, आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूरी श्रद्धा के साथ पूजन करें और भोजन करें, ऐसा करने से पत्नी का कोढ़ शांत होगा और उसे संतान की प्राप्ति होगी.

लक्ष्मी जी ने की थी पूजा

आंवला नवमी के बारे में कहा जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर देवी लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे शिवजी और विष्णुजी की पूजा की थी, तभी से इस तिथि पर आंवले के पूजन की परंपरा शुरू हुई है.

अक्षय नवमी के अवसर पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी यहां आकर निवास करते हैं. आज के दिन स्नान, पूजन, तर्पण और अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है.

वहीं चरक संहिता में बताया गया है कि अक्षय नवमी को महर्षि च्यवन ने आंवला खाया था, जिसके बाद उन्हें फिर से यौवन प्राप्त हो गया था.

Intro:Note_ वर्जन पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री का है।

आज है इच्छा नवमीं, इस मुहूर्त में आंवले के पेड़ के नीचे करें भोजन, होगा फलदायी

शहडोल- आज इच्छा नवमीं हैं और आज का दिन बहुत खास होता है क्योंकि आज के दिन महिलाएं अपने परिवार के साथ आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करती हैं, जिसके बहुत फायदे हैं जानिए पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से आखिर इस दिन ऐसा क्या है कि आंवले के पेड़ के नीचे पूजा करके भोजन करने का रिवाज है ऐसा करने से किस तरह की मनोकामनाएं लोगों की पूर्ण होती हैं, इसका शुभ मुहूर्त कब है और इसके पीछे की क्या कथा है।


Body:पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इच्छा नवमीं कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं को मनाया जाता है, और इसके पीछे भी एक बड़ी कथा है।

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की काशी में एक ब्राम्हण हुआ करते थे, और ब्राम्हण के कोई संतान नहीं थी, जिसके चलते वो किसी पुरोहित के पास गए और पूछे की हमारे पास कोई संतान नहीं है हमें क्या करना चाहिए, तो पुरोहित ने कहा आप किसी बालक की हत्या कर दीजिए, तो आपको संतान की प्राप्ति हो जाएगी। इस बात को ब्राम्हण अपने घर में अपनी पत्नी को बताता है तो पत्नी तो इस बात के लिए तैयार हो जाती है लेकिन ब्राम्हण इस बात के लिए तैयार नहीं रहता है। एक दिन ब्राम्हण की पत्नी को मौका मिला तो उन्होंने किसी के पुत्र का वध कर दिया, और ये बात ब्राम्हण को बताये, ब्राम्हण तुरन्त ही एक ऋषि के पास गया, जहां ऋषि बोले जाओ तुम्हे संतान की प्राप्ति हो जायेगी।

और जैसे ही ब्राम्हण घर पहुंचा तो देखा कि पत्नी को कोढ़ हो गया था, क्योंकि पत्नी ने किसी ब्राम्हण के बालक की हत्या। कर दी थी।

जब पत्नी को कोढ़ हो गया तो फिर तुरन्त ही ब्राम्हण पत्नी को लेकर ऋषि के पास पहुँचा तो ऋषि बोले कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं के दिन अगर ये व्रत करें, और आंवले के पेड़ के नीचे जाकर, बड़ी शृद्धा के साथ पूजन करें भोजन करें तो उसका कोढ़ शांत होगा और उसे संतान की प्राप्ति होगी।

इच्छा नवमीं में खास, शुभ मुहूर्त, ऐसे करें पूजा

इस बार इच्छा नवमीं के लिए शुभ मुहूर्त पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच है,इस बीच महिलाएं स्नान कर लें, आंवला के पेड़ के नीचे पहुंचे, पहले स्न्नान कराएं, चंदन चढ़ाएं, फूल चढ़ाएं, माला चढ़ाएं, और फिर वहीं पर भोजन करें, अपने परिवार के साथ भोजन करें। तो इच्छाओं की पूर्ति होती है। सुख समृद्धि मिलती है।


Conclusion:इन फलों की होती है प्राप्ति

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक इच्छा नवमीं के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने और आंवले के पेड़ के नीचे परिवार के साथ भोजन करने से जिनके संतान नहीं है उन्हें संतान की प्राप्ति होती है जिनके संतान हैं उनके संतान की आयु बढ़ती है सुख समृद्धि मिलती है यश बढ़ता है, निरोगी होता है।
Last Updated : Nov 5, 2019, 12:50 PM IST
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