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लॉकडाउन में नहीं मिल रहा काम, तेंदूपत्ता बना ग्रामीण मजदूरों का सहारा - Tendupatta suppor laborer

कोरोना काल में चारों तरफ कमाई के साधन बंद हो जाने के बाद ग्रामीण मजदूरों के लिए अब तेंदूपत्ता पेट का सहारा बन के उभर रहा है. पढ़िए पूरी खबर..

Tendupatta suppor laborer
तेंदूपत्ता बन रहा ग्रामीण मजदूरों का सहारा
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Published : May 12, 2020, 11:54 PM IST

शहडोल। देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है, लॉकडाउन भी चल रहा है, ऐसे में उन ग्रामीण मजदूरों के लिए संकट खड़ा हो रहा है, जो हर दिन कमाते थे और खाते थे. तेंदू पत्ता तोड़ने वाले मजदूर भी उनमें शामिल हैं, जिन्हें सीजन में इससे कुछ उम्मीद रहती है. तेंदू पत्ता की तुड़ाई शुरू हो चुकी है, ज्यादातर ग्रामीण मज़दूर इन दिनों तेंदू पत्ता की तुड़ाई करते मिल जायेंगे. इस कोरोना संकट के दौर में तेंदुपत्ता ग्रामीणों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है. जब ईटीव्ही भारत जंगलों में पहुंचा तो तेंदू पत्ता तोड़ने वाले ग्रामीणों ने अपना दर्द जाहिर किया.

तेंदूपत्ता बन रहा ग्रामीण मजदूरों का सहारा
ग्रामीणों ने बताया कि तड़के सुबह ही बासी (रात में बना खाना) लेकर घरों से जंगल की ओर निकल जाते हैं. जंगल से कब घर लौटते हैं इसका ठिकाना नहीं. लॉकडाउन की वजह से चारों ओर काम बंद हैं. ऐसे में तेंदुपत्ता की तुड़ाई ग्रामीण मजदूरों के लिए बड़ा सहारा बन रही है. इस बार पहले से ज्यादा लोग इस काम में लगे हैं.
Tendupatta is becoming the support of rural laborers
बासी लेकर निकल जाते हैं भोर में

तेंदुपत्ता ही एक सहारा है
अपने सर पर पत्तों की तुड़ाई कर घर की ओर जाते हुए कुछ महिलाओं ने अपने मन की बात बताई. एक बुजुर्ग ग्रामीण महिला ने बताया कि वो अपने साथियों के साथ सुबह-सुबह ही निकल जाती हैं, रास्ते में खाने के लिए खाना लेकर भी चलती है. क्योंकि पता नहीं घर लौटने में कितनी देर लग जाये. एक अन्य ग्रामीण महिला कहती हैं कि सब काम बंद है तो कम से कम तेंदुपत्ता ही एक सहारा है, काफी समय हो गया सब काम बंद हैं. हम रोज कमाने खाने वाले हैं. अब तो खाने का संकट भी हो रहा है. ऐसे में कम से कम तेंदूपत्ता तोड़ लेंगे तो इसी से कुछ मिल जाएगा.

Tendupatta is becoming the support of rural laborers
लॉकडाउन में नहीं मिल रहा काम

लॉकडाउन ने तोड़ा कमाई का तार

लॉकडाउन में टूटी कमाई के तार से परेशान एक ग्रामीण ने बताया कि क्या करें काम करते थे, लेकिन वो तो बन्द है. अब तक जो कमा के रखा था वो खा गए. अब खाने का संकट हो जाएगा, इसलिए कम से कम तेंदुपत्ता ही तोड़ रहे हैं, जिससे भूंखों न मरें.

गौरतलब है कि तेंदुपत्ता अब ऐसे ग्रामीण मजदूरों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है, जो हर दिन कमाने खाने वाले थे और जिन्हें लॉक डाउन के इस दौर में काम नहीं मिल रहा था. इन दिनों अब अधिकतर ग्रामीणों को तेंदुपत्ता की तुड़ाई की तरफ रुख कर रहे हैं.

शहडोल। देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है, लॉकडाउन भी चल रहा है, ऐसे में उन ग्रामीण मजदूरों के लिए संकट खड़ा हो रहा है, जो हर दिन कमाते थे और खाते थे. तेंदू पत्ता तोड़ने वाले मजदूर भी उनमें शामिल हैं, जिन्हें सीजन में इससे कुछ उम्मीद रहती है. तेंदू पत्ता की तुड़ाई शुरू हो चुकी है, ज्यादातर ग्रामीण मज़दूर इन दिनों तेंदू पत्ता की तुड़ाई करते मिल जायेंगे. इस कोरोना संकट के दौर में तेंदुपत्ता ग्रामीणों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है. जब ईटीव्ही भारत जंगलों में पहुंचा तो तेंदू पत्ता तोड़ने वाले ग्रामीणों ने अपना दर्द जाहिर किया.

तेंदूपत्ता बन रहा ग्रामीण मजदूरों का सहारा
ग्रामीणों ने बताया कि तड़के सुबह ही बासी (रात में बना खाना) लेकर घरों से जंगल की ओर निकल जाते हैं. जंगल से कब घर लौटते हैं इसका ठिकाना नहीं. लॉकडाउन की वजह से चारों ओर काम बंद हैं. ऐसे में तेंदुपत्ता की तुड़ाई ग्रामीण मजदूरों के लिए बड़ा सहारा बन रही है. इस बार पहले से ज्यादा लोग इस काम में लगे हैं.
Tendupatta is becoming the support of rural laborers
बासी लेकर निकल जाते हैं भोर में

तेंदुपत्ता ही एक सहारा है
अपने सर पर पत्तों की तुड़ाई कर घर की ओर जाते हुए कुछ महिलाओं ने अपने मन की बात बताई. एक बुजुर्ग ग्रामीण महिला ने बताया कि वो अपने साथियों के साथ सुबह-सुबह ही निकल जाती हैं, रास्ते में खाने के लिए खाना लेकर भी चलती है. क्योंकि पता नहीं घर लौटने में कितनी देर लग जाये. एक अन्य ग्रामीण महिला कहती हैं कि सब काम बंद है तो कम से कम तेंदुपत्ता ही एक सहारा है, काफी समय हो गया सब काम बंद हैं. हम रोज कमाने खाने वाले हैं. अब तो खाने का संकट भी हो रहा है. ऐसे में कम से कम तेंदूपत्ता तोड़ लेंगे तो इसी से कुछ मिल जाएगा.

Tendupatta is becoming the support of rural laborers
लॉकडाउन में नहीं मिल रहा काम

लॉकडाउन ने तोड़ा कमाई का तार

लॉकडाउन में टूटी कमाई के तार से परेशान एक ग्रामीण ने बताया कि क्या करें काम करते थे, लेकिन वो तो बन्द है. अब तक जो कमा के रखा था वो खा गए. अब खाने का संकट हो जाएगा, इसलिए कम से कम तेंदुपत्ता ही तोड़ रहे हैं, जिससे भूंखों न मरें.

गौरतलब है कि तेंदुपत्ता अब ऐसे ग्रामीण मजदूरों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है, जो हर दिन कमाने खाने वाले थे और जिन्हें लॉक डाउन के इस दौर में काम नहीं मिल रहा था. इन दिनों अब अधिकतर ग्रामीणों को तेंदुपत्ता की तुड़ाई की तरफ रुख कर रहे हैं.

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