शहडोल। जिला आदिवासी जिला है, और यहां के नए एसपी अवधेश कुमार गोस्वामी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की, इस दौरान जहां उन्होंने नशा, साइबर क्राइम, मानव तस्करी जैसे गंभीर अफराधों पर खुलकर बात की तो वहीं इन्हें लेकर अब आगे जिले की पुलिस की क्या स्ट्रेटजी रहने वाली है, इस बारे में भी अहम जानकारी दी.
एसपी अवधेश कुमार गोस्वामी से खास बातचीत सवाल- शहडोल जिला आदिवासी जिला है, और यहां अलग तरह की चुनौतियां रहती हैं, इसे लेकर आपका क्या प्लान है ? जवाब- शहडोल आदिवासी जिला है, काफी दूर-दूर तक फैला हुआ है, जिला मुख्यालय से काफी दूर-दूर गांव और थाने हैं, और ऐसे में मेरा प्रयास यही रहेगा कि एक ऐसी व्यवस्था एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाए जिससे कि लोगों की समस्याओं का उनके थाने पर ही उचित समाधान हो जाए. संवेदना के साथ में, पुलिस स्टाफ उनकी समस्याओं को सुने और कानून के दायरे में जो मदद हो सकती है वह हेल्प मौके पर उनको मिले, इसके बाद भी अगर कोई मुख्यालय तक आता है तो यह सुनिश्चित किया जाए उसकी समस्या का तत्काल निराकरण किया जाए. सवाल- क्या नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान आगे भी इसी तरह से जारी रहेगा ?जवाब- 100 फीसदी जारी रहेगी अभी कार्रवाइयां काफी अच्छी हुई हैं, कल इस संबंध में एक बैठक भी रखी गई और सभी थाना प्रभारियों को सभी क्षेत्र में बिल्कुल स्पष्ट निर्देश हैं, कि चाहे कोरेक्स हो या नशीली टेबलेट हो गांजा हो, अवैध शराब हो किसी तरह का भी नशा हो इसकी बिक्री बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और उनके विरुद्ध बहुत कठोर कार्रवाई की जाएगी. न केवल उन धाराओं के तहत बल्कि आवश्यक समझा गया तो उनके विरुद्ध रासुका की, और जिला बदर की कार्रवाई भी की जाएगी जो बार-बार इस अपराध में संलग्न रहते हैं.सवाल- मानव तस्करी को लेकर क्या रुख रहेगा ? जवाब- मैं जब आया तो क्राइम का यहां पैटर्न देखा तो नाबालिग बच्चियां जो काफी संख्या में घर से चली जाती हैं और उसमें 363 के अपराध पंजीबद्ध होते हैं और पुलिस प्रयास करके कुछ बच्चों को बरामद कर पाती है. और कुछ नहीं हो पाते हैं, इन अपराधों में ह्यूमन ट्रैफकिंग का जो एंगल है, वह तो नहीं है उस बारे में मेरा विशेष रुप से ध्यान है, और मैं इसमें कोशिश यह करूंगा कि अभी मुझे यहां आए बहुत कम समय हुआ है, जितनी जल्दी से जल्दी मैं इन सारे प्रकरणों की एक बार मैं फिर से समीक्षा करना चाहूंगा, जो कि लंबित हैं, जिनमें लड़कियां नहीं मिली हैं कि क्या ऐसा कोई ह्यूमन ट्रैफिकिंग का गिरोह या कोई इस तरह का ऑर्गनाइजेशन तो इसमें संलग्न नहीं है. मुझे लगता है कि दोनों पक्ष पर हमें काम करना होगा. इन्वेस्टिगेशन के साथ-साथ लोगों में परिवारों में क्योंकि अशिक्षा दूर-दूर के ग्रामों में है ही, तो उनको भी इस बारे में जागरुक करने का भी एक कार्यक्रम चलाया जाएगा.सवाल- आदिवासी जिले में क्या साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती है ?जवाब- साइबर क्राइम के बारे में अभी जैसा मैंने बताया कि वही चीज जरूरी है कि कोविड के चलते आप सब जानते हैं कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और अन्य ऑनलाइन ट्रांजेक्शन एप बहुत ज्यादा चलन में आ गई हैं, पहले इनका उपयोग कुछ चुनिंदा लोग करते थे, लेकिन अब आम लोग करने लगे हैं, तो इस तरह से अपराधों में भी इसी तरह की बढ़ोतरी भी हुई है. इसमें दोनों तरह से काम करना होगा, लोगों को अवेयर भी करना होगा, बैंक वालों के साथ मिलकर हम इस तरह का कार्यक्रम चलाएंगे जिससे कि लोग सावधानियां रखें और वो ठगी के शिकार न हो जाएं.