शहडोल। ये एक आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन अब यहां के किसान भी नई-नई तकनीक के साथ खेती में भी नए प्रयोग कर रहे हैं. साथ ही डिजिटल जमाने का भी पूरा फायदा उठा रहे हैं, जो लोगों के लिए उत्सुकता का बड़ा केंद्र बन रहा है. कुछ किसान ऐसे फसलों की खेती कर रहे हैं, जो लोगों को हैरान कर रहा है. ऐसा ही काम शहडोल के एक किसान ने किया है. इन्होंने सेब फल की खेती की शुरुआत कुछ साल पहले की थी, जिसमें अब फल आ गए हैं. इस फल को देख लोग हैरान हैं.
सेब के पेड़ में आए फल: शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर करकटी गांव है. यहां के रहने वाले किसान राम सजीवन कचेर अपने प्रायोगिक खेती के लिए जाने जाते हैं. कभी स्ट्रॉबेरी की फसल लगाकर सुर्खियों में आ जाते हैं, तो कभी सेब फल के पेड़ लगाकर सुर्खियों में आ जाते हैं. राम सजीवन कचेर ने डेढ़ साल पहले जो सेब का पौधा लगाया था वो पेड़ बन अब फल भी देने लगा है. 41 से 42 डिग्री तापमान में सेब के पेड़ों में लटकते फल को देखकर हर कोई हैरान है. खुद राम सजीवन कचेर भी अपने इस सेब फल की खेती को लेकर काफी उत्साहित हैं. वहीं दूसरे किसान भी इसे देखने के लिए पहुंचे रहे हैं कि आखिर ये कैसे संभव हो सकता है.
यूट्यूब से देखकर की शुरुआत: करकटी के किसान राम सजीवन पटेल बताते हैं कि "उन्होंने अपने खेतों में लगाने के लिए सेब के पौधे दिसंबर 2021 में मंगवाए थे." इसकी खेती की शुरुआत के बारे में वो बताते हैं कि "मैंने यूट्यूब में देखा की हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में कांगड़ा एक गांव है. वहां के पीसी बुनकर का वीडियो यूट्यूब में डला था, उसे देख मुझे सेब के पेड़ लगाने के लिए बड़ी उत्सुकता हुई और वहीं से नंबर लेकर मैंने उन्हें फोन लगाया. उन्होंने पहले वीडियो कॉल के माध्यम से ही अपना सेब का बगीचा दिखाया जो मुझे बहुत बेहतर लगा. इसके बाद जहां मुझे लगाना था वीडियो कॉल में ही मैंने भी उन्हें अपना स्थान दिखाया, उन्हें वह स्थान पसंद आया और उन्होंने कहा कि यहां पर सेब की खेती हो जाएगी, एरिया ठीक है."
ऐसे मंगवाए पौधे: किसान राम सजीवन ने आगे बताया कि "पीसी बुनकर से ही मैंने बात करके अपने खेतों में लगाने के लिए 45 पौधे मंगवाये थे. उनमें से 5 से 10 पौधे तो नहीं लग पाए, लेकिन बाकी लग गए हैं. अभी यह पौधे डेढ़ साल के हो गए हैं और इसमें अब फल भी आ गए हैं. फल आने के बाद मैंने उनसे बात की, इस दौरान उन्होंने बताया कि एक पेड़ पर 8 से 10 फल से ज्यादा मत होने देना, क्योंकि अभी पौधे छोटे हैं. फल ज्यादा आए थे, लेकिन मैंने तोड़ दिए. अभी फल की साइज अच्छी है आगे देखते हैं क्या रिस्पांस मिलता है. डेढ़ साल से लगातार जो वो सलाह देते हैं वहीं मैं करता हूं."
सफल रहा तो एक एकड़ में लगाने की प्लानिंग: किसान रामसजीवन कचेर बताते हैं कि "अगर सेब फल का बढ़िया रिस्पांस रहता है तो फिर आगे का प्लान इसे और आगे तक बढ़ाने का है. अभी मैंने इसे प्रायोगिक तौर पर कुछ जगह में ही कम मात्रा में पेड़ लगाए हैं. अगर मेरे खेत में यह सक्सेज हुआ तो मेरा प्लान है कि इसे मैं लगभग एक एकड़ में लगाऊंगा. सेब के पौधे लगाने के लिए सही समय दिसंबर, जनवरी महीना है. ठंड के मौसम में इसको लगाया जाता है. ठंडी में इसे ट्रांसप्लांट किया जाता है. मैंने जो सेब फल लगाए हैं वो डोसन गोल्डन और अन्ना वैरायटी का है."
41 से 42 के तापमान में सेब फल कैसे संभव: सेब के पेड़ में जो फल आते हैं उसके लिए ठंडी का मौसम मुफीद माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि टेंपरेचर जहां डाउन होता है वहां पर सेब फल अच्छे लगते हैं. लेकिन शहडोल जिले में 41 से 42 का तापमान इन दिनों चल रहा है और फिर भी जिस तरह से पेड़ों पर सेब के फल लगे हुए हैं वह लोगों को हैरान कर रहा है. इसके बारे में जब हमने किसान राम सजीवन कचेर से बात की तो उन्होंने बताया कि "जैसा कि यूट्यूब में उन्हें बताया गया कि इसे इजराइली टेक्नोलॉजी से ऐसा किया गया है. यह 45 डिग्री से 48 डिग्री तापमान तक झेल सकता है. इसके बाद मैंने इसे ट्रायल किया और अब ये सक्सेस हो गया है.
यूट्यूब का बेहतर उपयोग: गौरतलब है कि जिस तरह का डिजिटल जमाना चल रहा है किसान भी अब उसका भरपूर फायदा उठाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. उसका इस्तेमाल करते हुए नए-नए तकनीक भी सीख रहे हैं. नए तरीके से फसल भी लगा रहे हैं और नए लोगों से संपर्क बना रहे हैं. इसका फायदा भी इन किसानों को मिलता दिख रहा है. राम सजीवन कचेर के सेब की खेती इन्हीं में से कुछ एक है. उन्होंने यूट्यूब का बहुत ही बेहतर उपयोग किया है.