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खाद भरपूर पर किसानों से दूर! यूरिया-डीएपी के लिए लग रही लंबी कतारें, जानें खाद की स्थिति - शहडोल में खाद की स्थिति

शहडोल सहकारी समितियों (Shahdol Cooperative Societies) के बाहर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें खाद के लिए लग रही हैं. आलम यह है कि खाद के लिए किसानों को दो-दो, तीन-तीन, दिन तक लाइन में लगना पड़ रहा है. तब कहीं जाकर उन्हें खाद मिल पा रहा है. आखिर खाद को लेकर जिले में किसानों को इतना संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है. देखिए ये रिपोर्ट.

Shahdol Cooperative Society
शहडोल सहकारी समिति
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Published : Nov 27, 2021, 8:42 AM IST

Updated : Nov 27, 2021, 9:04 AM IST

शहडोल। जिले में खरीफ सीजन के धान की फसल (paddy crop in shahdol) लगभग-लगभग अब समाप्ति की ओर है. किसानों के खेत खाली हो चुके हैं. किसान अब रबी सीजन की खेती की तैयारी में जुट चुके हैं, जिसके लिए खाद-बीज के जुगाड़ में लग चुके हैं. इन दिनों शहडोल सहकारी समितियों (Shahdol Cooperative Societies) के बाहर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें खाद के लिए लग रही हैं. आलम यह है कि खाद के लिए किसानों को दो-दो, तीन-तीन, दिन तक लाइन में लगना पड़ रहा है. तब कहीं जाकर उन्हें खाद मिल पा रहा है. आखिर खाद को लेकर जिले में किसानों को इतना संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है. देखिए ये रिपोर्ट.

शहडोल में किसान परेशान

खाद के लिये किसानों का संघर्ष
सहकारी समितियों के बाहर किसान लंबी लाइनों में लगे हुए हैं. यहां कई ऐसे किसान भी हैं जो 2-2 दिन से खाद के लिए आ रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है. हर दिन कुछ न कुछ नई मुसीबत सामने आ रही है. किसान परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर वह खाद के लिए इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे और हर दिन लाइन में लगे रहेंगे तो खेतों पर काम कौन करेगा. यह हाल जिले एक सहकारी समिति का नहीं है, बल्कि हर सहकारी समिति में इन दिनों किसानों की लंबी लाइनें लग रही हैं.

कभी सर्वर तो कभी कोई और समस्या
किसानों से जब पूछा गया कि जब खाद की उपलब्धता है खाद की कमी नहीं है तो फिर खाद क्यों नहीं मिल पा रहा. इसको लेकर किसानों ने कहा कि सबकी अलग-अलग समस्याएं हैं. कभी सर्वर नहीं चलता तो कभी लंबी लाइन हो जाती है. समय निकल जाता है, जिसके चलते खाद नहीं मिल पा रहा है. फिर जब दूसरे दिन पहुंचते हैं तो फिर लंबी लाइन लगी मिलती है.

जिले में खाद की स्थिति
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया ने बताया कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है. हर जगह पर्याप्त मात्रा में खाद (types of fertilizers in shahdol) उपलब्ध है. 985 मीट्रिक टन यूरिया जिले में अभी मौजूद है. इसके अलावा 280 मीट्रिक टन डीएपी और करीब 112 मीट्रिक टन एनपीके है. साथ ही सुपर और पोटाश भी है. कुल मिलाकर खाद को लेकर किसी तरह की दिक्कत नहीं है. अभी पर्याप्त मात्रा में किसानों के लिए हर सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध है.

इसलिये लग रहीं लंबी लाइनें
खद के लिए लग रहीं लंबी लाइनों को लेकर आरपी झारिया ने कहा कि इस बार पीओएस मशीन के माध्यम से खाद दिया जा रहा है. मतलब किसान को अंगूठा लगाना पड़ता है उसके बाद खाद मिलता है जिसके चलते कभी तकनीकी समस्या तो कभी कोई और समस्या आ जाती है. इस वजह से कहीं-कहीं किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं. इन सब के बीच कोशिश की जा रही है कि समय से किसानों को खाद उपलब्ध कराया जाए.

MP Fertilizer Crisis: खाद न मिलने से नाराज किसानों का फूटा गुस्सा, चक्काजाम कर सड़कों पर किया प्रदर्शन

रबी सीजन में बोई जाने वाली फसलें
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि रबी सीजन में जिले में मुख्य रूप से गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा चना, मटर, मसूर की भी खेती होती है. शहडोल में पिछली बार 73 हज़ार हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती की गई थी. मौजूदा साल 77 हजार हेक्टेयर में गेहूं का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. पिछले साल 7 हजार हेक्टेयर में चने की फसल का रकबा था, इस साल साढ़े सात हजार हेक्टेयर तक इसे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

शहडोल। जिले में खरीफ सीजन के धान की फसल (paddy crop in shahdol) लगभग-लगभग अब समाप्ति की ओर है. किसानों के खेत खाली हो चुके हैं. किसान अब रबी सीजन की खेती की तैयारी में जुट चुके हैं, जिसके लिए खाद-बीज के जुगाड़ में लग चुके हैं. इन दिनों शहडोल सहकारी समितियों (Shahdol Cooperative Societies) के बाहर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें खाद के लिए लग रही हैं. आलम यह है कि खाद के लिए किसानों को दो-दो, तीन-तीन, दिन तक लाइन में लगना पड़ रहा है. तब कहीं जाकर उन्हें खाद मिल पा रहा है. आखिर खाद को लेकर जिले में किसानों को इतना संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है. देखिए ये रिपोर्ट.

शहडोल में किसान परेशान

खाद के लिये किसानों का संघर्ष
सहकारी समितियों के बाहर किसान लंबी लाइनों में लगे हुए हैं. यहां कई ऐसे किसान भी हैं जो 2-2 दिन से खाद के लिए आ रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है. हर दिन कुछ न कुछ नई मुसीबत सामने आ रही है. किसान परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर वह खाद के लिए इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे और हर दिन लाइन में लगे रहेंगे तो खेतों पर काम कौन करेगा. यह हाल जिले एक सहकारी समिति का नहीं है, बल्कि हर सहकारी समिति में इन दिनों किसानों की लंबी लाइनें लग रही हैं.

कभी सर्वर तो कभी कोई और समस्या
किसानों से जब पूछा गया कि जब खाद की उपलब्धता है खाद की कमी नहीं है तो फिर खाद क्यों नहीं मिल पा रहा. इसको लेकर किसानों ने कहा कि सबकी अलग-अलग समस्याएं हैं. कभी सर्वर नहीं चलता तो कभी लंबी लाइन हो जाती है. समय निकल जाता है, जिसके चलते खाद नहीं मिल पा रहा है. फिर जब दूसरे दिन पहुंचते हैं तो फिर लंबी लाइन लगी मिलती है.

जिले में खाद की स्थिति
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया ने बताया कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है. हर जगह पर्याप्त मात्रा में खाद (types of fertilizers in shahdol) उपलब्ध है. 985 मीट्रिक टन यूरिया जिले में अभी मौजूद है. इसके अलावा 280 मीट्रिक टन डीएपी और करीब 112 मीट्रिक टन एनपीके है. साथ ही सुपर और पोटाश भी है. कुल मिलाकर खाद को लेकर किसी तरह की दिक्कत नहीं है. अभी पर्याप्त मात्रा में किसानों के लिए हर सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध है.

इसलिये लग रहीं लंबी लाइनें
खद के लिए लग रहीं लंबी लाइनों को लेकर आरपी झारिया ने कहा कि इस बार पीओएस मशीन के माध्यम से खाद दिया जा रहा है. मतलब किसान को अंगूठा लगाना पड़ता है उसके बाद खाद मिलता है जिसके चलते कभी तकनीकी समस्या तो कभी कोई और समस्या आ जाती है. इस वजह से कहीं-कहीं किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं. इन सब के बीच कोशिश की जा रही है कि समय से किसानों को खाद उपलब्ध कराया जाए.

MP Fertilizer Crisis: खाद न मिलने से नाराज किसानों का फूटा गुस्सा, चक्काजाम कर सड़कों पर किया प्रदर्शन

रबी सीजन में बोई जाने वाली फसलें
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि रबी सीजन में जिले में मुख्य रूप से गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा चना, मटर, मसूर की भी खेती होती है. शहडोल में पिछली बार 73 हज़ार हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती की गई थी. मौजूदा साल 77 हजार हेक्टेयर में गेहूं का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. पिछले साल 7 हजार हेक्टेयर में चने की फसल का रकबा था, इस साल साढ़े सात हजार हेक्टेयर तक इसे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

Last Updated : Nov 27, 2021, 9:04 AM IST
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