शहडोल। शहडोल जिला अस्पातल में सिलसिलेवार तरीके से हो रही बच्चों की मौत के मामले के बाद जहां हड़कंप मचा हुआ है. तो वहीं आज जिला कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह ने जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने एसएनसीयू पीआईसीयू के सभी वार्डों का निरीक्षण किया. इस मौके पर कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने कहा कि बच्चों की मौत की मुख्य वजह प्रीमेच्योर होना है. अगर कोई बच्चा ही 900 ग्राम और एक किलो 100 ग्राम का है. ऐसे बच्चों को डॉक्टर बचाने की पूरी कोशिश कर सकते है लेकिन बच्चा सरवाइव करेगा या नहीं ये कोई नहीं बता सकता है. इसके अलावा प्रीमेच्योर बच्चे की डेथ से केवल डेथ नंबर ही काउंट होगा. दूसरा कारण यह भी है कि शहडोल जिला अस्पताल चार जिलों के रेफेरल हॉस्पिटल के रूप में काम कर रहा है. जो उमरिया, अनूपपुर से बच्चे आए है वहां के जो अस्पताल में सुविधा है वहीं हमारे अस्पातल में है फिर भी डॉक्टर की टीम बच्चों को बचाने की कोशिश कर रही है. हमारे पास भी सीमित संसाधन है.
प्रीमेच्योर बच्चे की डेथ से डेथ नंबर ही काउंट होगा
कलेक्टर सत्येंद्र सिंह ने कहा कि शहडोल जिला अस्पताल भी उसी तरह से जिला अस्पताल है. जैसे अनुपपुर, उमरिया, डिंडोरी जिला अस्पताल हैं. हमारे पास जो संसाधन हैं और जो सेवाएं दे रहे हैं वो हम चार-चार जिलों के लिए सेवाएं दे रहे हैं. दूसरी बात ये है कि जो बच्चा प्रीमेच्योर बेबी है. अब एक बच्चा अभी मैन देखा है कि 900 ग्राम का बच्चा है. उस बच्चे के बचाने के लिए पूरी मेडिकल टीम लगी है. वेंटिलेटर से लेकर हर वो सुविधा दी जा रही है. लेकिन 900 ग्राम का बच्चा सरवाइव करेगा या नहीं करेगा यह अभी ना आप बता सकते हैं ना हम बता सकते हैं. डॉक्टर सभी कोशिश ही कर सकते हैं. अभी जो कल 600 ग्राम का बच्चा आया उसके डेथ की अगर हम नंबर काउंट करें तो डेथ नंबर काउंट करने से केवल हलचल पैदा होगी ना कि हकीकत खत्म हो जाएगी. हमारे पास जो बच्चा आया हुआ है, उसे बेहतर सुविधा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं. जो चीजें डॉक्टर बताते जाएंगे जिला प्रशासन उन्हें उपलब्ध कराएगा.
अस्पताल में डॉक्टरों की पूरी सुविधा
कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने आगे कहा कि शहडोल जिला अस्पताल में वेंटिलेटर की पर्याप्त सुविधा है. यहां जो पहले डॉक्टरों की कमी थी उसे भी पूरा किया गया है. यहां तक की डॉक्टर नामदेव को भी फिर से उनके रिटायरमेंट के बाद बुला लिया है. डॉक्टर मनीष सिंह की ड्यूटी लगाई गई है, डॉक्टर हथगेल ड्यूटी जॉइन कर चुके हैं. डॉक्टर राजेश तिवारी जो चाइल्ड स्पेशलिस्ट हैं वो जय सिंहनगर के बीएमओ हैं. उनको भी यहां बुला लिया गया है. तो अब उनको चार डॉक्टर की व्यवस्था कर दी गई है.
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पैसे की कोई कमी नहीं
कलेक्टर ने बताया कि शुक्रवार को लगभग 270 गांव में हमारी टीम गई है और वहां पर जितने भी नवजात बच्चे हैं. उनकी स्क्रीनिंग की गई है. इस दौरान 34 बच्चे मिले हैं. उन्हें हम एनआरसी में लाकर भर्ती करा रहे हैं. जिला अस्पताल के एनआरसी में 20 सीट है और 19 बच्चों से सीट फूल हैं. यहां कोई दिक्कत और कोई कमी नहीं है. डॉक्टर अपने स्तर से पूरा प्रयास कर रहे हैं.
अलग-अलग जिलों में काउंट होगी डेथ रेट
कलेक्टर सत्येंद्र सिंह ने कहा कि जिला अस्पताल में अगर अलग-अलग जिलों से बच्चे आएंगे तो उनकी डेथ होती भी उनके जिलों में काउंट होगी. अगर यहां चार जिलों के लोगों की मौत होती है तो उसको उसी हिसाब से काउंट करेंगे. अगर एक ही जिले में करेंगे तो यह गलत होगा.
आसपास के जिले के कलेक्टर, सीएमएचओ और सिविल सर्जन से की बात
केलक्टर ने कहा कि उन्होंने दोनों जिलों के सिविल सर्जन और सीएमएचओ से बात की है. हमने उनसे कहा है कि हमारी डिस्टिक हॉस्पिटल के भी एक सीमित संसाधन है. आवश्यकता है तो उस हिसाब से हैंडल करें. आप भी अपने लोगों का केयर करने की कोशिश करें. हम जिस हिसाब से बेहतर दे सकते हैं हम देंगे.