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जानिए क्यों भोलेनाथ के ऊपर रखा जाता है बूंद-बूंद टपकने वाला जल का कलश, क्या है और लाभ - Significance of Lord Shiva jalabhishek

Significance of Lord Shiva Jalabhishek: आखिर भगवान भोलेनाथ के ऊपर क्यों गिराई जाती है बूंद-बूंद जलधारा और क्या होते हैं इसके लाभ, आइए जानते हैं सब कुछ ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से-

Secrets of Shivling religious reasons of drops falling on shivling
भोलेनाथ के ऊपर क्यों गिराई जाती है जलधारा
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Published : May 1, 2023, 1:31 PM IST

क्यों शिवलिंग के ऊपर रखा जाता है जल का कलश

Secrets of Shivling: भगवान भोलेनाथ के भक्तों की कमी नहीं है. अक्सर शिवालयों में यह देखा भी जाता है, जहां भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए उनके भक्त तरह-तरह के जतन करते रहते हैं. किसी भी शिवालय में जाएंगे तो गर्मी के समय में आपको यह दृश्य अक्सर ही देखने को मिल जाएगा कि भगवान भोलेनाथ के ऊपर एक घड़ा रखा जाता है और उस घड़े से बूंद-बूंद पानी गिरता रहता है या यूं कहें कि एक जल की धारा लगाई जाती है जो सतत उन पर पड़ती रहती है. आखिर गर्मी के समय में ऐसा क्यों किया जाता है, क्या है इसके पीछे का रहस्य, क्या होते हैं इसके फायदे, कब से कब तक करना चाहिए और क्या है इसका विधान.. जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से-

गर्मी के समय में ऐसे करें भोलेनाथ को खुश: अगर आप शिव भक्त है और भगवान भोलेनाथ को खुश करना चाहते हैं तो गर्मी के समय में ऐसा करके आप भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "गर्मी के समय में यह विधान है कि अक्षय तृतीया के दिन से और भीमसेनी एकादशी तक शिव जी के ऊपर एक घड़ा स्थापित करके बूंद-बूंद पानी गिराया जाता है. एक जलधारा लगाई जाती है, उसे वसोधारा भी कहते हैं. इसका बहुत ज्यादा महत्व है और इसके काफी फायदे भी हैं, ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और इसीलिए गर्मी के समय में हर शिवालयों में यह दृश्य देखने को भी मिल जाता है."

क्यों किया जाता है ऐसा, क्या होता है फायदा? भगवान भोलेनाथ के ऊपर घड़ा स्थापित करके दिनभर बूंद-बूंद पानी गिराया जाता है या वसोधारा लगाई जाती है, इसके पीछे का रहस्य बताते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "शास्त्रों में विशेषकर शिव पुराण में ये वर्णन है कि जो व्यक्ति शिवजी के ऊपर घड़े में जल भरकर के शिव जी के ऊपर वसोधारा लगाते हैं. शिव जी के ऊपर बूंद-बूंद पानी की धार लगाते हैं, उसके घर में खूब सुख समृद्धि मिलती है. शास्त्रों में वर्णन है कि जब समुद्र मंथन हुआ था, उस समय 14 रत्नों में से एक विष भी निकला था, उस विश को शिवजी पान कर गए थे और विष का प्रभाव गर्मी में बहुत ज्यादा होता है, इसका प्रभाव मस्तिष्क में भी रहता है. शिवजी के ऊपर गर्मी का काफी प्रभाव होने के कारण शिवजी काफी क्रोधित भी हो जाते हैं, जिसे हलाहल के रूप में कहा जाता है, इसलिए क्रोध की शांति हो मन मस्तिष्क और शरीर उनका ठंडा हो, इसलिए ऐसा किया जाता है. जो व्यक्ति घड़े का दान करते हैं, जो घड़े में छेद करके जल भर के शिव जी के ऊपर उसे स्थापित करते हैं और बूंद-बूंद करके जलधार लगाते हैं, उनके ऊपर विशेष शिव जी की कृपा होती है. शिव जी प्रसन्न होते हैं और उनके पूरे परिवार की रक्षा होती है, उनके सारे बिगड़े कार्य बनते हैं."

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ऐसा न करने पर होता है ये नुकसान: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "जो लोग गर्मी के समय में अक्षय तृतीय से भीमसेनी एकादशी के बीच में शिव जी के ऊपर घड़ा रखकर बूंद-बूंद जल की धार लगाते हैं, उन्हें पुण्य लाभ तो मिलता ही है लेकिन जो ऐसा नहीं करते हैं उनके घर पर शिवजी की दृष्टि नहीं पड़ती है. उनके कार्य नहीं बनते हैं और मन अशांत रहता है."

घड़े के दान का भी है विधान: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "जो शिवजी के ऊपर घड़ा स्थापित नहीं कर पाते हैं, जलधारा या वसोधारा नहीं लगा पाते हैं, वह लोग गर्मी के समय में घड़े का दान करके भी पुण्य कमा सकते हैं. इसके लिए गरीबों को पुरोहितों को पंडितों को पुजारियों को घड़े का दान करें, पहले घड़ा धो लें. उसमें जल भरें, उसमें सत्तू, शक्कर छोटा सा सफेद कपड़ा रख कर दान करें. यह भी शास्त्रों में वर्णित है कि जो प्याऊ लगाते हैं, गरीबों को प्यासे को पानी पिलाते हैं, शिवजी की कृपा उनपर बनी रहती है और उन्हें हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर का पुण्य लाभ मिलता है, इसलिए बूंद-बूंद जल गिराने का विधान है, या फिर घड़ा दान या प्याऊ लगाने का विधान है, इसका विशेष महत्व है."

ऐसे करें शिव के ऊपर घट स्थापित: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शिव जी के ऊपर घड़ा स्थापित करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन एक नया घड़ा लेकर करके शुद्ध जल से धो करके उस घड़े में आठ रूद्र यानि हल्दी, चावल और सिंदूर से टीका करें. कपड़ा से छानकर उसमें जल भरें, मंत्र उच्चारण करते हुए शिव जी के ऊपर कोई तिपाई बना कर के वहां खड़ा रख दें, जिससे एक धार लगे और बूंद-बूंद कर जल भगवान भोलेनाथ के ऊपर गिरता रहे. यह कार्य प्रातः 7:00 बजे से लेकर के 9:00 बजे के बीच में होता है, जल सुबह में एक ही बार घड़े में भरा जाता है.

क्यों शिवलिंग के ऊपर रखा जाता है जल का कलश

Secrets of Shivling: भगवान भोलेनाथ के भक्तों की कमी नहीं है. अक्सर शिवालयों में यह देखा भी जाता है, जहां भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए उनके भक्त तरह-तरह के जतन करते रहते हैं. किसी भी शिवालय में जाएंगे तो गर्मी के समय में आपको यह दृश्य अक्सर ही देखने को मिल जाएगा कि भगवान भोलेनाथ के ऊपर एक घड़ा रखा जाता है और उस घड़े से बूंद-बूंद पानी गिरता रहता है या यूं कहें कि एक जल की धारा लगाई जाती है जो सतत उन पर पड़ती रहती है. आखिर गर्मी के समय में ऐसा क्यों किया जाता है, क्या है इसके पीछे का रहस्य, क्या होते हैं इसके फायदे, कब से कब तक करना चाहिए और क्या है इसका विधान.. जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से-

गर्मी के समय में ऐसे करें भोलेनाथ को खुश: अगर आप शिव भक्त है और भगवान भोलेनाथ को खुश करना चाहते हैं तो गर्मी के समय में ऐसा करके आप भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "गर्मी के समय में यह विधान है कि अक्षय तृतीया के दिन से और भीमसेनी एकादशी तक शिव जी के ऊपर एक घड़ा स्थापित करके बूंद-बूंद पानी गिराया जाता है. एक जलधारा लगाई जाती है, उसे वसोधारा भी कहते हैं. इसका बहुत ज्यादा महत्व है और इसके काफी फायदे भी हैं, ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और इसीलिए गर्मी के समय में हर शिवालयों में यह दृश्य देखने को भी मिल जाता है."

क्यों किया जाता है ऐसा, क्या होता है फायदा? भगवान भोलेनाथ के ऊपर घड़ा स्थापित करके दिनभर बूंद-बूंद पानी गिराया जाता है या वसोधारा लगाई जाती है, इसके पीछे का रहस्य बताते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "शास्त्रों में विशेषकर शिव पुराण में ये वर्णन है कि जो व्यक्ति शिवजी के ऊपर घड़े में जल भरकर के शिव जी के ऊपर वसोधारा लगाते हैं. शिव जी के ऊपर बूंद-बूंद पानी की धार लगाते हैं, उसके घर में खूब सुख समृद्धि मिलती है. शास्त्रों में वर्णन है कि जब समुद्र मंथन हुआ था, उस समय 14 रत्नों में से एक विष भी निकला था, उस विश को शिवजी पान कर गए थे और विष का प्रभाव गर्मी में बहुत ज्यादा होता है, इसका प्रभाव मस्तिष्क में भी रहता है. शिवजी के ऊपर गर्मी का काफी प्रभाव होने के कारण शिवजी काफी क्रोधित भी हो जाते हैं, जिसे हलाहल के रूप में कहा जाता है, इसलिए क्रोध की शांति हो मन मस्तिष्क और शरीर उनका ठंडा हो, इसलिए ऐसा किया जाता है. जो व्यक्ति घड़े का दान करते हैं, जो घड़े में छेद करके जल भर के शिव जी के ऊपर उसे स्थापित करते हैं और बूंद-बूंद करके जलधार लगाते हैं, उनके ऊपर विशेष शिव जी की कृपा होती है. शिव जी प्रसन्न होते हैं और उनके पूरे परिवार की रक्षा होती है, उनके सारे बिगड़े कार्य बनते हैं."

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ऐसा न करने पर होता है ये नुकसान: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "जो लोग गर्मी के समय में अक्षय तृतीय से भीमसेनी एकादशी के बीच में शिव जी के ऊपर घड़ा रखकर बूंद-बूंद जल की धार लगाते हैं, उन्हें पुण्य लाभ तो मिलता ही है लेकिन जो ऐसा नहीं करते हैं उनके घर पर शिवजी की दृष्टि नहीं पड़ती है. उनके कार्य नहीं बनते हैं और मन अशांत रहता है."

घड़े के दान का भी है विधान: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "जो शिवजी के ऊपर घड़ा स्थापित नहीं कर पाते हैं, जलधारा या वसोधारा नहीं लगा पाते हैं, वह लोग गर्मी के समय में घड़े का दान करके भी पुण्य कमा सकते हैं. इसके लिए गरीबों को पुरोहितों को पंडितों को पुजारियों को घड़े का दान करें, पहले घड़ा धो लें. उसमें जल भरें, उसमें सत्तू, शक्कर छोटा सा सफेद कपड़ा रख कर दान करें. यह भी शास्त्रों में वर्णित है कि जो प्याऊ लगाते हैं, गरीबों को प्यासे को पानी पिलाते हैं, शिवजी की कृपा उनपर बनी रहती है और उन्हें हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर का पुण्य लाभ मिलता है, इसलिए बूंद-बूंद जल गिराने का विधान है, या फिर घड़ा दान या प्याऊ लगाने का विधान है, इसका विशेष महत्व है."

ऐसे करें शिव के ऊपर घट स्थापित: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शिव जी के ऊपर घड़ा स्थापित करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन एक नया घड़ा लेकर करके शुद्ध जल से धो करके उस घड़े में आठ रूद्र यानि हल्दी, चावल और सिंदूर से टीका करें. कपड़ा से छानकर उसमें जल भरें, मंत्र उच्चारण करते हुए शिव जी के ऊपर कोई तिपाई बना कर के वहां खड़ा रख दें, जिससे एक धार लगे और बूंद-बूंद कर जल भगवान भोलेनाथ के ऊपर गिरता रहे. यह कार्य प्रातः 7:00 बजे से लेकर के 9:00 बजे के बीच में होता है, जल सुबह में एक ही बार घड़े में भरा जाता है.

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