शहडोल। 10 जनवरी मंगलवार के दिन संकटा गणेश चतुर्थी व्रत है. इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं और लड़कियां व्रत करती हैं. सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है. आखिर इस व्रत का क्या है महत्व, कब है शुभ मुहूर्त, इस व्रत में किसकी पूजा की जाती है(sankata ganesh chaturthi). व्रत को कैसे किया जाता है पूर्ण, और इस व्रत के क्या हैं फायदे, ये सारे सवालों के जवाब जानिए ज्योतिषाचार्य से.
सकट गणेश चतुर्थी व्रत कब: माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ और तिल चौथ भी कहा जाता है. इस बार यह शुभ तिथि 10 जनवरी दिन मंगलवार को है. सकट चौथ और तिल चौथ माघ मास में होने से इसे माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. अबकी बार सकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए इसे अंगारकी सकष्टी चतुर्थी भी कहा जा रहा है. ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, अन्य त्योहारों में तो वैसे उदया तिथि माना जाता है, लेकिन सकट चौथ का जो व्रत है उसमें चंद्रमा की पूजा होती है. जो सबला महिलाएं और लड़कियां हैं, उनको ये व्रत करना चाहिए.
ऐसे करें पूजा: जो महिलाएं या लड़कियां संकटा गणेश चतुर्थी का व्रत कर रही हैं, उनके लिए ज्योतिषाचार्य पूजा करने की विधि बताए हैं. उन्होंने कहा कि, सुबह स्नान करके शिव जी के पास जाकर पहले तो जल चढ़ाएं. दिनभर व्रत करें. सायं कालीन जैसे चंद्रोदय हो वैसे ही थाली में दूध रख लें, तीली का लड्डू रख लें, जल, फूल, और अगर सफेद फूल मिल जाए तो और बेहतर, पकवान रख लें, फल रख लें और घर के छत में या घर के सामने चटाई बिछाकर बैठ जाएं. जैसे ही चंद्रमा का उदय हो ठीक उसी समय अपनी पूजा की शुरुआत कर दें. चंद्रमा को देखते हुए पहले जल से तीन बार अर्घ्य दें, इसके बाद तीन बार दूध का अर्घ्य दें, वहां पर चंदन लगाएं, फूल चढ़ाएं, बेल पत्ती चढ़ाएं इसके बाद वहां तीली का पहाड़ बना कर, वहां चढ़ाएं. पहाड़ संभव नहीं है तो तीली के लड्डू, शकरकंद अन्य फल वहां पर चढ़ा करके इसके बाद भोग लगाएं और फिर चंद्रमा की आरती करें.
व्रत और पूजा का महत्व: ज्योतिषाचार्य बताते हैं, इस व्रत को पूर्ण करने और विधि विधान से पूजा करने से उस घर में शांति मिलती है. विशेष कर जिनके भाई हैं उनकी उम्र बढ़ती है. घर में शांति मिलती है और उन भाइयों पर किसी तरह का कोई संकट नहीं आता है(tilkut chauth 2023). दूसरा जो गणेश चतुर्थी का व्रत करती हैं, उनके सौभाग्य की भी रक्षा होती है. संतान की रक्षा होती है, संतान के जन्म लेने के 6 दिन के बाद जब छठी हो जाती है, ऐसे संतानों के लिए यह व्रत माताएं करती हैं. उससे उन बच्चों की आयु वृद्धि होती है, किसी तरह का आधि व्याधि रोग नहीं होता है.
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इस दिन तिल दान करने का महत्व: गणेश चतुर्थी के दिन बहुत से लोग गंगा जी में जाकर डुबकी लगाते हैं, गरीबों को तिल और चावल का दान करते हैं. अगर चावल न हो तो तिल दान अवश्य करना चाहिए, इससे जो यमराज के दूत होते हैं वो प्रसन्न होते हैं और उनके घर में कभी भी कोई घटना नहीं होती है. पूर्ण आयु के बाद जिनकी मृत्यु हो जाती है, ऐसे लोगों को यमराज के दूत सम्मान पूर्वक उसे ले जाते हैं(sakat chauth puja vidhi). प्रसन्नता के साथ यमराज के सामने उपस्थित करते हैं, इसलिए संकटा गणेश चतुर्थी व्रत विशेष महत्वपूर्ण है.
किसको करना चाहिए ये व्रत: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं, इस व्रत को सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं, या फिर वो लड़कियां जिसकी उम्र 11 साल से ज्यादा की हो गई है वो भी कर सकती हैं. भाई-बहन का ध्यान रखते हैं, बेटे माताओं का ध्यान रखते हैं और घर में शांति रहे इसलिए विशेषकर माताएं इस व्रत को करती हैं.
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: संकटा गणेश चतुर्थी व्रत के पूजा का एक निश्चित समय होता है. इस बार रात्रि में सायं कालीन 8:23 पर चंद्रमा उदय होगा और जैसे ही चंद्रमा उदय हो वैसे ही थाली में पूरा सामान सजाकर छत या घर के सामने उपस्थित होकर कई महिलाओं के साथ बैठकर चंद्रमा को देखते हुए विधिवत पूजन करें(sakat chauth shubh muhurat). हवन करें, और आरती करें, यह निश्चित समय है. शाम 8:23 बजे से लेकर के रात 9:00 बजे के बीच में ये पूजा करने का शुभ मुहूर्त है.