शहडोल। शहडोल जिले में पिछले कुछ महीनों से मौसम पल-पल बदल रहा है. रबी सीजन की फसल की खेती के शुरुआती समय से ही मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. कभी बारिश का मौसम हो जाता है तो कभी तेज ठंड पड़ने लग जाती है. ऐसे बदलते मौसम में गेंहू, चना, अरहर की फसल लगाने वाले किसानों को अपनी फसलों का खास ध्यान रखने की जरूरत है.
गेंहू की फसल वाले किसान रखें इन बातों का ख्याल
जिले में रबी सीजन की खेती में गेहूं की फसल सबसे ज्यादा रकबे में लगाई जाती है. अधिकतर किसान गेहूं की खेती करते हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि मौसम तो रबी सीजन के हिसाब से अभी ठीक है ना तो अभी किसी तरह के पाला पड़ने की संभावना है ना ही बहुत ज्यादा टेंपरेचर है. बीच में कुछ बादल थे जिसके चलते हल्की गर्मी महसूस हो रही थी. ऐसे में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि जो किसान गेहूं की बुवाई कर चुके हैं वह क्रान्तिक अवस्थाओं में सिंचाई जरूर करें. पांच पानी वाली फसल और तीन पानी वाली फसल, तो सबसे पहले जो क्रांतिक अवस्था आती है उसमें 21 दिन बाद फसल को पानी जरूर दें. अगर फसल ज्यादा दिन की हो गई है और उसमें खरपतवार है तो खरपतवार नाशी का उपयोग कर सकते हैं. इसमें चौड़ी पत्ती वाले और सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए अलग-अलग खरपतवार नाशी का इस्तेमाल करें. कृषि वैज्ञानिक आगे कहते हैं कि जब भी आप खरपतवारनाशी डालें, तो इस बात का जरूर ध्यान रखें की उसकी जितनी अनुशंसित मात्रा है, उतना ही डालें. खेत में नमी होनी चाहिए, किसान भाई गेहूं सिंचाई के बाद यूरिया डाल सकते हैं. यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करने के बाद खेत में नमी होने की स्थिति में बीडी साइड्स का उपयोग करें.
अरहर और चने की फसल वाले इन बातों का ख्याल
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह कहते हैं इस समय अरहर में फल और फूल आ रहा है, जिसमें ध्यान से देखें कि इल्लियां तो नहीं लग रही है. फसल में इंडक्साकार 170ml करीब 200 लीटर पानी में मिलाकर के छिड़काव करें. चने में इल्लियों का ज्यादा प्रकोप होने से पहले ही समय से खेत में टी आकार की कम से कम 10 खूटियां बनाकर के फसल के बीच में गड़ा दें, जो फसल से थोड़ी ऊंचा हो, जिससे इस टी आकार की खूटियां पक्षियों के बैठने के लिए मुफीद होती हैं. जिससे पक्षियों को बैठने के लिए जगह मिल जाती है तो इल्लियों को देखकर के खा जाएंगे, जिससे समय रहते इल्लियों के प्रकोप से बचाव हो जाएगा.
प्याज की खेती वाले इन बातों का ख्याल
जिन किसानों ने प्याज की खेती की है उन किसानों के लिए ये समय ट्रांसप्लांटिंग के लिए मुफीद है कि वह प्याज की नर्सरी उखाड़ करके उसका प्रत्यारोपण कार्य शुरू कर दें और जड़ का शोधन जरूर कर लें.
जायद की खेती वाले तैयारी शुरू कर दें
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह कहते हैं कि अब जनवरी का महीना चल रहा है, 14 जनवरी के बाद सूर्य मकर में आ जाते हैं. जो सब्जी वाले किसान हैं वह 14 जनवरी के बाद जायद की कुकुरबिटेशियस क्रॉप, जैसे लौकी, कद्दू, खीरा है, तो इनके लिए भी तैयारी शुरू कर सकते हैं. उसके लिए लो टनल पॉलीहाउस में पौधे तैयार कर लें. इनकी नर्सरी नहीं डाली जाती है ये बीज से सीधे तैयार कर सकते हैं. तो सबसे पहली फसल बाजार में आएगी तो उसमें किसान भाइयों को प्रीमियम प्राइस भी मिलता है.
सब्जी की खेती वाले किसान रहें सावधान
वर्तमान में मौसम के उतार-चढ़ाव को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक सब्जी की खेती कर रहे किसानों को सलाह देते हुए कहते हैं कि किसान सब्जी की खेती में प्रतिदिन खेत का निरीक्षण करते रहें और साथ में यह भी देखें कि उसमें किसी तरह के कीट व्याधि हो नहीं लग रहे हैं. मौसम में उतार-चढ़ाव आ रहा है तो इसमें बीमारियों का सबसे पहले प्रकोप सब्जी की खेती में दिखता है, तो सबसे पहले जैसे टमाटर, मिर्ची इसमें व्हाइट फ्लाई दिखते है. यदि पौधे में हाथ मारेंगे तो छोटे-छोटे आकार की मक्खियां दिखाई देती हैं जिन्हें व्हाइट फ्लाई कहते हैं. इसमें इमिडा क्लोप्रिड का छिड़काव करें 1ml पर लीटर के हिसाब से, साथ में यह भी देखते रहे कि कहीं बैगन, टमाटर और मिर्ची में कहीं उबठा रोग की समस्या तो नहीं आ रही. यदि कहीं पौधा सूखता हुआ दिखाई देता है तो उसको तुरंत उखाड़ कर फसल से अलग करें. साथ में उसमें सीओसी कॉपर ऑक्सिक्लोराइड करीब 3 ग्राम प्रति लीटर और एग्रो माइसिन पांच लीटर में एक ग्राम मिलाकर के स्प्रे करें. साथ में जड़ों में ड्रिचिंग कर दें तो इस रोग का भी निदान हो जाएगा.