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अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का नहीं मिला मुआवजा, कांग्रेस ने केंद्र को ठहराया जिम्मेदार

अतिवृष्टि से किसानों की नष्ट हुई फसल का मुआवजा अभी तक नहीं मिला और न ही सर्वे हुआ. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किसानों के साथ मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपा.

किसानों की मदद क्यों नहीं कर पा रही सरकारें ?
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Published : Nov 20, 2019, 12:03 AM IST


शहडोल। जिले में बड़ी मात्रा में उड़द, तिल और सोयाबीन की खेती की जाती है, लेकिन अतिवृष्टि ने इन फसलों को बर्बाद कर दिया. मुआवजा मिलना तो दूर की बात अतिवृष्टि से बर्बाद हुई खरीफ की फसलों का अभी तक सर्वे भी नहीं किया गया. जबकि रवि सीजन की खेती शुरू हो चुकी है.

एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रही बीजेपी और कांग्रेस
अतिवृष्टि से बर्बाद हुई किसानों की फसल का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है, कांग्रेस इसके लिए केंद्र की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार बता रही है, तो वहीं बीजेपी प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर किसानों की उपेक्षा करने का आरोप लगा रही है. शहडोल जिले में किसानों के साथ मिलकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, साथ ही जल्द से जल्द किसानों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की है. कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि केंद्र ने मध्यप्रदेश के हिस्से का 22 हजार करोड़ रुपया काट लिया है, साथ ही उनका कहना है कि इसी वजह से प्रदेश सरकार किसानों को मुआवजा नहीं दे पा रही है.

अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का नहीं मिला मुआवजा


इस मामले पर कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष आज़ाद बहादुर सिंह ने कहा कि जिले में अतिवृष्टि हुई. जिसके चलते सोयाबीन, तिल और उड़द की फसल बर्बाद हुई है. जिसके आधार पर किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. लेकन केंद्र सरकार ने पैसा नहीं दिया, साथ ही उन्होंने ने सफाई देते हुए कहा कि सर्वे हो गया है. जिसके आधार पर मुआवजा भी तय हो गया है, ऐसे में यदि कहीं सर्वे नहीं हुआ तो संज्ञान में लेंगे.


शहडोल। जिले में बड़ी मात्रा में उड़द, तिल और सोयाबीन की खेती की जाती है, लेकिन अतिवृष्टि ने इन फसलों को बर्बाद कर दिया. मुआवजा मिलना तो दूर की बात अतिवृष्टि से बर्बाद हुई खरीफ की फसलों का अभी तक सर्वे भी नहीं किया गया. जबकि रवि सीजन की खेती शुरू हो चुकी है.

एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रही बीजेपी और कांग्रेस
अतिवृष्टि से बर्बाद हुई किसानों की फसल का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है, कांग्रेस इसके लिए केंद्र की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार बता रही है, तो वहीं बीजेपी प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर किसानों की उपेक्षा करने का आरोप लगा रही है. शहडोल जिले में किसानों के साथ मिलकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, साथ ही जल्द से जल्द किसानों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की है. कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि केंद्र ने मध्यप्रदेश के हिस्से का 22 हजार करोड़ रुपया काट लिया है, साथ ही उनका कहना है कि इसी वजह से प्रदेश सरकार किसानों को मुआवजा नहीं दे पा रही है.

अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का नहीं मिला मुआवजा


इस मामले पर कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष आज़ाद बहादुर सिंह ने कहा कि जिले में अतिवृष्टि हुई. जिसके चलते सोयाबीन, तिल और उड़द की फसल बर्बाद हुई है. जिसके आधार पर किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. लेकन केंद्र सरकार ने पैसा नहीं दिया, साथ ही उन्होंने ने सफाई देते हुए कहा कि सर्वे हो गया है. जिसके आधार पर मुआवजा भी तय हो गया है, ऐसे में यदि कहीं सर्वे नहीं हुआ तो संज्ञान में लेंगे.

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इस स्लग में शुरुआत में पहला वर्जन कांग्रेस जिलाध्यक्ष आज़ाद बहादुर का है, फिर किसानों का वर्जन है।



किसानों पर राजनीति कबतक, किसान कह रहे सर्वे नहीं हुआ, कांग्रेस कह रही सर्वे हुआ, किसानों की भी सुनो सरकार

शहडोल- सवाल बड़ा है क्या किसान राजनीति के लिये ही है, वोट के लिए ही है, पार्टी कोई भी हो किसानों की हितैषी हर कोई बनता है, लेकिन किसानों के लिए कोई कुछ करता नहीं है, शहडोल जिले में भी उड़द,तिल सोयाबीन की खेती कई गांवों में की जाती है, लेकिन अतिवृष्टि ने इन फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया, आज जिला कांग्रेस अध्यक्ष के लीडरशिप में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता, कुछ किसानों के साथ कलेक्टरेट पहुंचे और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जहां कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा की केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार का 22 हज़ार 46 करोड़ रुपये काट लिया, जिससे मध्यप्रदेश की सरकार किसानों को सही मुआवजा नहीं दे पा रही, लेकिन सवाल ये है कि जिले में अबतक खरीफ की फसलों के नुकसानी का सर्वे नहीं हुआ, रवि सीजन की खेती शुरू हो चुकी है, और मुआवजे की बात की जा रही ये कैसी राजनीति।


Body:कांग्रेस के कार्यकर्ता आज जिला कलेक्टरेट कार्यालय पहुंचे, जहां केंद्र सरकार, मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारे लगे और राष्ट्रपति के नाम कई मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपा गया।

कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष आज़ाद बहादुर सिंह ने कहा कि जिले में अतिवृष्टि हुई, सोयाबीन कि फसल बर्बाद हुई, तिल उड़द की फसल बर्बाद हुई, इस आधार पर किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए, कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार का बजट केंद्र सरकार ने काट दिया, 22 हजार 46 करोड़ रुपए का बजट काट दिया। जिलाध्यक्ष आज़ाद बहादुर ने कहा कि केंद्र सरकार बजट उपलब्ध कराए जिससे प्रदेश सरकार किसानों को अच्छे से राहत दे सके।

बड़ा सवाल

अबतक जिले में अतिवृष्टि से हुई फसलों के नुकसानी का सर्वे नहीं हुआ, रवि सीजन की खेती शुरू हो गई इस सवाल पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष आज़ाद बाहदुर ने कहा की सर्वे हो गया है उसके आधार पर मुआवजा भी तय हो गया है, अगर कहीं सर्वे नहीं हुआ तो संज्ञान में लेंगे।

किसान बोले सर्वे हुआ ही नहीं

लेकिन जब उन्हीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ ज्ञापन देने आए किसानों से जब हमने असली हकीकत जाना तो उनका साफ कहना था कि उनके यहां प्रशासन ने अबतक कोई सर्वे ही नहीं किया। तो नुकसान की भरपाई कैसे होगी, किसान मुआवजे के लिए परेशान हैं।








Conclusion:किसान पर कबतक होगी राजनीति

बड़ा सवाल यही है कि किसान आख़िर कबतक राजनीति का शिकार होता रहेगा, जिले में किसानों का कहना है कि अतिवृष्टि से किसानों के फसलों का जो नुकसान हुआ उसका सर्वे अबतक नहीं हुआ, मुआवजा की बात ही कहाँ, रवि सीजन की खेती शुरू हो गई।

वहीं दूसरी ओर जिला कांग्रेस केंद्र सरकार के बजट कटौती को लेकर ज्ञापन देने पहुंच गई, किसानों का मुआवजा प्रदेश सरकार सही तरीके से नहीं दे पा रही तो कांग्रेसी उस बजट कटौती को ही जिम्मेदार बता रहे लेकिन यहां जिले में किसानों के फसल नुकसानी का अबतक सर्वे भी नहीं हुआ, और मुआवजे की बात हो रही। ऐसे में सवाल बड़ा और गम्भीर है कि आखिर ये राजनीतिक पार्टियां किसानों के नाम पर कबतक राजनीति करती रहेंगी।
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