शहडोल। समय के साथ अब घर-घर में बांस से बनी चीजों की जगह प्लास्टिक और स्टील ने ले ली है. बांस से बने पंखे, सामान रखने के टोकरे और न जाने कितनी ही वस्तुएं हर घर में नजर आती थी, लेकिन धीरे-धीरे ये चीजें गायब होती जा रही हैं और प्लास्टिक के बने सामान नजर आ रहे हैं. इसके चलते बांस का पुश्तैनी काम करने वाले कलाकार और दुकानदार आजीविका चलाने के संकट से जूझ रहे हैं.
बांस से बनी वस्तुओं की घटी डिमांड
पहले के समय में बांस से बनी अधिकतर वस्तुओं का इस्तेमाल होता था. कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो आज भी बहुत नहीं पर थोड़ी बहुत बांस से बनी वस्तुएं मिल जाएंगी. घरों में आपको बांस के बने पंखे मिल जाएंगे जो आग जलाने के लिए हवा देने का काम तो करते ही हैं साथ ही बिजली चली जाए तो गर्मी से निजात दिलाने में भी काम आते हैं.
बांस से बने टोकनी पहले तो घर-घर मिल जाया करते थे, लेकिन अब कहीं-कहीं मुश्किल से ही मिलते हैं. इसके अलावा शादी ब्याह में बांस से बनी कुछ वस्तुओं की तो बहुत जरूरत होती है और शादी-ब्याह के सीजन में इसकी खूब डिमांड भी रहती है. स्थानीय भाषा में बघेलखंड में इसे छिटवा, दऊरी, झांपी भी कहते हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे बांस से बनी वस्तुएं आती हैं जो पहले आम आदमी के जीवन यापन में इस्तेमाल होती थीं, लेकिन बदलते वक्त ने सब कुछ बदल दिया और इनकी जगह पर अब टीन, स्टील और प्लास्टिक ने ले लिया है.
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अब तो आलम यह है कि नए जमाने के लोग धीरे-धीरे इन्हें भूलते भी जा रहे हैं अगर उनसे बांस से बनी इन वस्तुओं के बारे में पूछ दिया जाए तो शायद उनको वह भी पता नहीं रहेगा क्योंकि बदलते वक्त ने बहुत कुछ बदल दिया है जिस गति से चीजें बदल रही हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि आने वाले वक्त में बांस की यह कलाकारी फिल्में और सोशल मीडिया की वायरल वीडियोज में ही रह जाएंगी.
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कोरोनाकाल ने तोड़ दी कमर
बांस से अलग-अलग तरह की वस्तुएं बनाने का पुश्तैनी काम वंशकार समाज पहले से ही करता आ रहा है और आज भी पुराने लोग बांस से अलग-अलग तरह के बर्तन बनाते मिल जाते हैं, लेकिन नई पीढ़ी में वो चीजें अब देखने को बहुत कम ही मिल रही है. पहले ही बांस से बनी वस्तुओं की डिमांड प्लास्टिक, टीन, स्टील ने कम कर दिया था और अब रही सही कसर कोरोनाकाल ने पूरी कर दी, क्योंकि पिछले साल से कोरोना की वजह से सीजन के समय ही लॉकडाउन लग जा रहा, जिसके चलते शादी ब्याह में रोक लग जा रही और मांगलिक कार्य करने से लोग पीछे भी हट रहे है, जिसके चलते बांस से बनी इन वस्तुओं की डिमांड भी घट गई है.
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रोजी-रोटी चलाना हुआ मुश्किल
हमने बंशकार समाज के कई ऐसे लोगों से बात की जो पुश्तैनी तौर पर बांस से अलग-अलग तरह के बर्तन बनाते आ रहे हैं और उसका व्यापार करके अपना जीवन चला रहे हैं, उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल ने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. पहले ही बांस से बनी वस्तुओं की डिमांड बाजार में कम हो गई है और अब पिछले साल से कोरोनाकाल ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है.