पितृ पक्ष 2023। 29 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और पितृ पक्ष में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, वो कौन-कौन से काम करने चाहिए कौन से काम नहीं करने चाहिए, जिससे हमारे पूर्वज नाराज ना हों, बल्कि प्रसन्न रहें और हमें यश प्रदान करें. जानिए ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से कि पितृ पक्ष में क्या करें, क्या न करें..
ये तीन तर्पण जरूर करें: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "पितृ पक्ष 29 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है, इस दौरान 16 श्राद्ध होते हैं. 16 श्राद्धों के अंदर जिनके पूर्वज नहीं रह गए हैं या जिनकी पितृ मिलोनी हो गई है, वो पूर्वज वहां से अपने घर की राह देखते रहते हैं और आशा करते हैं कि हमारे जो स्वजन हैं हमको अवश्य बुलाएंगे. तो जिनके पूर्वज नहीं रह गए हैं, ये शास्त्र संवत भी है कि पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का आवाहन करें. घर के सामने बिठाएं और उनको पितृ तर्पण, देव तर्पण, और ऋषि तर्पण यह तीनों तर्पण आवश्यक रूप से करें.
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पितृ पक्ष में इन बातों का रखें ख्याल
- ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, विशेष ध्यान रखें कि इन 16 दिनों में जिनके घर में पितृों का निवास हो जाता है, उस घर में भूलकर भी शाम का भोजन जो बचता है वह रसोई घर में ना रखें. रसोई को शाम को साफ करके ही बाहर निकलें.
- जो भोजन बनता है, सबसे पहले भोजन गाय को अवश्य खिलाएं.
- देहरी के पास जहां पितृ बैठते हैं, वहां उड़द का दाल, तिल और चावल अवश्य डालें.
- अगर कहीं से मिल जाए तो कद्दू का फूल या फिर पीला फूल उसे देहरी के सामने अवश्य डालें.
- प्रातः कालीन उठकर एक गिलास में पानी लेकर उसमें दातून डालकर रख दें, क्योंकि वहां पूर्वजों को दातुन कराना भी आवश्यक होता है, वहां पर अवश्य रखें.
- जितने दिन श्राद्ध के हैं जो भी पितृ तर्पण करते हैं, वो 16 दिन तक बिना सिले हुए कपड़े धारण करें, जैसे परदनी है, अंगोछी है या ऊपर का ओढ़ने वाला है या लूंगी है, ऐसे कपड़े धारण करें.
- जो पितृ तर्पण करते हैं, पितृ तर्पण और देव पूजा एक साथ नहीं होती है, यह विशेष रूप से ध्यान रखें कि जो पितृ तर्पण करते हैं वो देव पूजा ना करें. क्योंकि पितृ भी देवता हैं और उनकी पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा भी उसमें समाहित हो जाती है.
- पितृ पक्ष के दौरान दाढ़ी, बाल ना कटवाएं, इन 16 दिनों के दौरान दाढ़ी बाल ना बनाएं.
- इसके अलावा इन दिनों साबुन का इस्तेमाल न करें.
- अगर कोई भिक्षुक आपके यहां इस अवधि में भिक्षा मांगने आता है तो कोई भी आए, थोड़ा भी दें, लेकिन भिक्षा जरूर दें. उसे ऐसे ही वापस ना लौटाएं, ये जो दिया जाता है यह सब पितरों के खाते में जमा होता है और इससे पितृ लोग बहुत प्रसन्न होते हैं..