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कोरोना काल में बढ़ा आयुर्वेद का क्रेज, अब हर तरह के मर्ज के लिए लोग अपना रहे आयुर्वेदिक दवाएं - Corona period

कोरोना काल में लोग आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ लौट रहे हैं. अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए एलोपैथिक दवाओं का सहारा ना लेकर पुरानी पद्धति और आयुर्वेद को अपना रहे हैं.

ayurveda demands increased in corona
कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की डिमांड बढ़ी
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Published : Oct 3, 2020, 9:44 PM IST

शहडोल। कोरोना संक्रमण की जंग के लिए चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विद्वानों ने सबसे पहली आवश्यकता मजबूत इम्यून सिस्टम को बताया है. यही वजह है कि मार्च से अब तक लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग-व्यायाम का सहारा लिया. बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों व दवाओं की भी मदद ली. इन सब में सबसे खास बात यह रही की आयुर्वेद को लोगों ने प्राथमिकता दी.

कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की डिमांड बढ़ी

आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ी

अपने आस-पास मुफ्त में आसानी से मिल जाने वाली नीम गिलोय, तुलसी आदि चमत्कारी औषधियों को लोग अक्सर इग्नोर कर देते थे. वहीं आज उन्हीं औषधियों को या तो पैसे देकर खरीद रहे हैं या फिर उसकी खोज में कई किलोमीटर तक चले जा रहे हैं. सामान्य दिनों की तुलना में कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की खरीदारी में कई फीसद बढ़ गई है.

इन वजहों से बढ़ा रुझान

कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने के पीछे कई कारण हैं. एक तो ये कि कोरोना से बचाव के लिए कोई दवा तक नहीं आई है, इससे बचाव के लिए कोई टीका भी उपलब्ध नहीं है. दूसरा ये है कि अस्पतलों में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए लोग सामान्य बीमारी में यहां जाने से कतरा रहे हैं. लिहाजा लोगों ने आयुर्वेद का सहारा लिया है.

कुल मिलाकर कोरोना के कहर के बीच आयुर्वेदिक दवाओं की बढ़ती मांग के कारण अब एलोपैथी दवाएं मरीजों की पहली पसंद नहीं रहीं. जहां तक खरीदी की सवाल है तो एलोपैथी आज भी सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा है, लेकिन कोरोना महामारी से बचने के घरेलु इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है.

शहडोल। कोरोना संक्रमण की जंग के लिए चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विद्वानों ने सबसे पहली आवश्यकता मजबूत इम्यून सिस्टम को बताया है. यही वजह है कि मार्च से अब तक लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग-व्यायाम का सहारा लिया. बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों व दवाओं की भी मदद ली. इन सब में सबसे खास बात यह रही की आयुर्वेद को लोगों ने प्राथमिकता दी.

कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की डिमांड बढ़ी

आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ी

अपने आस-पास मुफ्त में आसानी से मिल जाने वाली नीम गिलोय, तुलसी आदि चमत्कारी औषधियों को लोग अक्सर इग्नोर कर देते थे. वहीं आज उन्हीं औषधियों को या तो पैसे देकर खरीद रहे हैं या फिर उसकी खोज में कई किलोमीटर तक चले जा रहे हैं. सामान्य दिनों की तुलना में कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की खरीदारी में कई फीसद बढ़ गई है.

इन वजहों से बढ़ा रुझान

कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने के पीछे कई कारण हैं. एक तो ये कि कोरोना से बचाव के लिए कोई दवा तक नहीं आई है, इससे बचाव के लिए कोई टीका भी उपलब्ध नहीं है. दूसरा ये है कि अस्पतलों में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए लोग सामान्य बीमारी में यहां जाने से कतरा रहे हैं. लिहाजा लोगों ने आयुर्वेद का सहारा लिया है.

कुल मिलाकर कोरोना के कहर के बीच आयुर्वेदिक दवाओं की बढ़ती मांग के कारण अब एलोपैथी दवाएं मरीजों की पहली पसंद नहीं रहीं. जहां तक खरीदी की सवाल है तो एलोपैथी आज भी सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा है, लेकिन कोरोना महामारी से बचने के घरेलु इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है.

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