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भीषण गर्मी के कारण लोग पड़ रहे बीमार, बेड की कमी के चलते जमीन पर इलाज कराने को मजबूर

जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण बेड की कमी हो रही है. आलम ये है कि 300 बेड के अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं है और लोग जमीन पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर हैं.

जमीन पर इलाज कराने को मजबूर मरीज
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Published : May 14, 2019, 12:39 PM IST

शहडोल। चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी से लोग हलाकान हो रहे हैं. लोग लगातार बीमार पड़ रहे हैं. वहीं जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण बेड की कमी हो रही है. आलम ये है कि 300 बेड के अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं है और लोग जमीन पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर हैं.

जमीन पर इलाज कराने को मजबूर मरीज

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉक्टर उमेश नामदेव ने बताया कि इस मौसम में बॉडी से लिक्विड का लॉस होना आम बात है. उन्होंने कहा कि लोग डिहाइड्रेशन और उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल 300 बेड का ही है, लेकिन किसी मरीज को मना नहीं कर सकते हैं, लिहाजा कभी फ्लोर बेड लगाने पड़ जाते हैं, तो कभी एक बेड पर दो-दो लोगों को भी रखना पड़ता है.

डॉक्टर उमेश नामदेव ने मरीजों को गर्मी से बचने की हिदायत देते हुए कहा कि इस मौसम में सूती के कपड़े ही पहनें और खान-पान पर ध्यान दें. वहीं मौसमी फल और फलों के जूस लें. चाय, कॉफी, कोल्डड्रिंक से बचकर रहें.

शहडोल। चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी से लोग हलाकान हो रहे हैं. लोग लगातार बीमार पड़ रहे हैं. वहीं जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण बेड की कमी हो रही है. आलम ये है कि 300 बेड के अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं है और लोग जमीन पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर हैं.

जमीन पर इलाज कराने को मजबूर मरीज

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉक्टर उमेश नामदेव ने बताया कि इस मौसम में बॉडी से लिक्विड का लॉस होना आम बात है. उन्होंने कहा कि लोग डिहाइड्रेशन और उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल 300 बेड का ही है, लेकिन किसी मरीज को मना नहीं कर सकते हैं, लिहाजा कभी फ्लोर बेड लगाने पड़ जाते हैं, तो कभी एक बेड पर दो-दो लोगों को भी रखना पड़ता है.

डॉक्टर उमेश नामदेव ने मरीजों को गर्मी से बचने की हिदायत देते हुए कहा कि इस मौसम में सूती के कपड़े ही पहनें और खान-पान पर ध्यान दें. वहीं मौसमी फल और फलों के जूस लें. चाय, कॉफी, कोल्डड्रिंक से बचकर रहें.

Intro:Note_ एक बाईट है जो जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉक्टर उमेश नामदेव की है। और बाकी दो मरीजों के परिजनों की बाईट है। जैसा कि डेस्क से मांगा गया था।


बढ़ते तापमान ने बढ़ाई मरीजों की संख्या, जिला चिकित्सालय में लगने लगी मरीजों की भीड़, बेड पड़ रहे कम, जानिए कैसे बढ़ती गर्मी से करें बचाव ?

शहडोल- शहडोल में इन दिनो गजब की गर्मी पड़ रही है, और इस बढ़ते तापमान की वजह से मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। इसका असर जिला चिकित्सालय में देखने को मिल सकता है, मरीजों की लंबी लाइन लगी हुई है, 300 बिस्तर वाले इस अस्पताल में हर दिन करीब हज़ारो मरीज़ आ रहे हैं जिनमें से अधिकतर ऐसे मरीज़ पहुंच रहे हैं जो इस गरमी की वजह से ही बीमार हैं। आलम ये है की जिला चिकित्सालय में एक भी बेड खाली नहीं है लोग जमीन में लेटकर इलाज कराने को मजबूर हैं।


Body:गर्मी का कहर अस्पताल में भीड़

बदलते मौसम के साथ है गर्मी अब अपने पूरे शबाब पर है, मौसम ने इस कदर करवट बदली है कि लोगों की सेहत ने भी अब अपनी करवट बदल ली है इसका एक नज़ारा जिला चिकित्सालय में भी देखने को मिल रहा है। बढ़ते तापमान के साथ ही इलाज के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचने वाले मरीज़ों की संख्या भी बढ़ी है, इन दिनों जिला चिकित्सालय में पर्ची कटवाने वाली खिड़की और दवा वितरण वाली विंडो पर लंबी लाइन देखने को मिल जाएगी। अस्पताल 300 बिस्तर वाला है लेकिन मरीज़ उससे ज्यादा हैं। आलम ये है कि मरीज़ों को इलाज के लिए जमीन पर ही लेटना पड़ रहा है, क्या करें मजबूरी है।

मरीजों की संख्या बढ़ी है

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉक्टर उमेश नामदेव बताते हैं कि इस समय गर्मी के मौसम में ओपीडी अटेंडेंस और इंडोर अटेंडेंस में इजाफा हुआ है, ये प्राकृतिक है गर्मी बढ़ती है तो ज्यादा पसीना निकलता है और पसीने में न केवल पानी का लॉस होता है, सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, बाइकार्बोनेट, लिक्विड का लॉस तो हो ही रहा है। हॉस्पिटल 300 बेड्स का है हम किसी को मना नहीं कर सकते तो ऐसे हालातों में कभी कभी फ्लोर के बेड्स भी लगाने पड़ जाते हैं। अगर सम्भव होता है तो एक बिस्तर पर दो दो बच्चे भी रख लेते हैं, फ्लोर्स भी लगाना पड़ता है।

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन बताते हैं कि इन दिनों मरीज़ों की संख्या में इजाफा हुआ है एक दिन में 600 से लेकर 1200 तक मरीज पहुंच जाते हैं इनमें से 15 से 20प्रतिशत मरीजों को एडमिट भी करना पड़ जाता है।

डॉक्टर उमेश नामदेव कहते हैं कि इस मौसम में स्वाभाविक सी बात है बॉडी से लिक्विड का लॉस होता है, हल्का डीहाइड्रेशन हो जाता है गर्मी का मौसम है कभी कभी उल्टी दस्त भी हो जाता है।


Conclusion:इस गर्मी में बचाव के तरीके

डॉक्टर उमेश नामदेव कहते हैं की कोशिश करें कि इस गर्मी से बचें, धूप में ज्यादा न निकलना पड़े, लेकिन पूरी तरह से बंद भी नहीं कर सकते इसलिए हल्के सूती कपड़े पहनकर शरीर को कवर करके ही धूप में निकले। ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें, आम पना, साफ पानी, फ्रूट्स नारियल पानी, घर के पानी में थोड़ा जलजीरा मिला लें, ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ इस्तेमाल करें जिससे हमारे बॉडी में तरल पदार्थ की कमी न होने पाए।
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