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जैविक खेती ने बदला आदिवासी किसानों का जीवन, अच्छी सेहत के साथ हो रही बंपर कमाई

वर्तमान दौर में खेती में रासायनिक खाद का उपयोग आम बात हो गई है. लेकिन आज के दौर में भी कई आदिवासी गांव ऐसे है जो सिर्फ जैविक खेती ही करते है. यह आदिवासी जैविक खेती करके अच्छा खासा मुनाफा भी कमाते है. जैविक खेती करने से इनके उत्पादन को अच्छा भाव भी मिलता है और इस फसल के लिए किसानों को माल बेचने के लिए मंडी तक भी नहीं जाना पड़ता, लोग घर से ही सारा माल ले जाते है.

Profit is organic farming
फायदे का सौदा है जैविक खेती
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Published : Jul 22, 2021, 9:27 PM IST

शहडोल। बदलते दौर में जहां ज्यादा फसल उत्पादन के लिए किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने से झिझक नहीं करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस दौर में भी कुछ आदिवासी गांव ऐसे हैं, जहां आज भी किसान रासायनिक खाद से दूरी बनाकर रखे हैं. घर में ही जैविक खाद बनाकर खेती करते हैं और बंपर उत्पादन भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं इस दौर में जैविक खेती करने से उन किसानों की फसलों की डिमांड भी बहुत ज्यादा रहती है. इन किसानों को महंगाई के दौर में खेती में लागत भी कम लगती है. किसान बताते है कि जैविक खेती किसानों के लिए बहुत ही फायदे का सौदा है, सभी किसान इसको इम्प्लीमेंटेशन कर ले तो किसानी भी लाभ का धंधा बन जाएगी.

फायदे का सौदा है जैविक खेती

जैविक खाद इन किसानों के लिए बना वरदान

श्यामडीह कला गांव के रहने वाले आदिवासी किसान राजू सिंह मार्को अपनी छोटी सी जमीन पर हर सीजन की खेती करते हैं. धान भी लगाते हैं, गेहूं भी लगाते हैं, समय-समय पर दलहन और तिलहन की खेती भी करते हैं, साथ में सब्जियां भी उगाते हैं. राजू सिंह मार्को बताते हैं कि उन्होंने अब तक रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया हैं, घर में ही गोबर गैस बना रखा है. जिससे गैस का उत्पादन भी होता है. गोबर गैस से निकले हुए खाद का इस्तेमाल जैविक खाद के तौर पर करते हैं.

वर्मी कंपोस्ट खाद भी तैयार करके है किसान

राजू सिंह मार्को बताते हैं कि साल में वह तीन से चार बार वर्मी कंपोस्ट खाद (Vermi Compost Manure) भी बनाते हैं. उसके लिए बकायदा उन्होंने 2 टेंक बना रखे हैं, जिसमें वह वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करते हैं. जो उनके खेतों के लिए पर्याप्त हो जाता है. राजू सिंह मार्को कहते हैं कि जैविक खेती की वजह से उनकी फसलों की अच्छी खासी डिमांड भी रहती है. जो लोग जानते हैं, वह घर से ही सब्जियां ले जाते हैं.

Farmer prepared organic fertilizer
किसान ने तैयार की जैविक खाद

मिसाल: शराब कारोबार छोड़ किसान बनी महिला, काले गेहूं की जैविक खेती से चमकाई किस्मत

मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है

किसान बताते हैं कि वे अपने आसपास की चीजों से ही जैविक खाद बना लेते हैं. जिससे लागत भी कम लगती है, उनके खेतों की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है. किसान कहते हैं कि इन दिनों रासायनिक खाद के रेट बहुत ज्यादा है. उन्हें खरीदों फिर खेतों में डालो, उससे उनकी खेती की लागत भी बढ़ जाती है, जिससे उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पाता. जबकि इस दौर में जैविक खेती की डिमांड है. अगर आप जैविक खेती करते हैं तो आप की फसलों को गुणवत्ता युक्त माना जाता है.

आज के समय में बड़े काम की है जैविक खाद

पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव बताते हैं कि इस क्षेत्र के आसपास के करीब 10 आदिवासी बाहुल्य गांव के किसान जो जैविक खेती करते हैं. जैविक खादों का इस्तेमाल करते हैं. कृषि विभाग कई वर्षों से ये प्रयास किए जा रहे हैं कि आम किसान वर्मी कम्पोस्ट और बायो गैस के माध्यम से तैयार खाद खेतों में उपयोग करें. जैविक खाद का महत्व आज के जमाने में बहुत है. जैविक खाद जहां एक ओर उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखती हैं, तो वहीं दूसरी ओर उत्पादन भी ज्यादा देती हैं.

farmer preparing organic fertilizer
जैविक खाद तैयार करता किसान

ऑर्गेनिक के नाम पर गोलमाल ! क्या असली, क्या नकली

वर्मी कम्पोस्ट खाद ऐसे करें तैयार

अखिलेश नामदेव बताते हैं कि वर्मी कम्पोस्ट बनाने में न ज्यादा लागत लगती है और न बहुत ज्यादा समय लगता है. इसके लिए किसानों को टंकी बनाने के लिए दो हजार रुपए की लागत आती है. इसके बाद किसान आसपास का कचरा, गोबर को 10 से 15 दिन, पहले बाहर रखते हैं और फिर टंकी में थोड़ी सी मिट्टी मिलाकर डाल देते है. फिर उसमें केचुआ छोड़ देते हैं, जब केचुआ छोड़ते हैं तो शुरुआती समय में खाद बनने में जरूर गति धीमी होती है, क्योंकि केंचुए की संख्या कम होती है. लेकिन जैसे-जैसे केंचुए की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे खाद बनने की गति तेज होती जाती है.

जबलपुर की 'मिल्क वुमन' : जैविक खेती से कर रही लाखों की कमाई

इस टंकी में बीच बीच में पानी भी देते रहना पड़ता है. जिससे उसमें नमी बनी रहे. उसमें छाया की व्यवस्था भी कर देते हैं, क्योंकि केचुआ ज्यादा धूप सहन नहीं कर पाता है. इस तरह से साल में 4 से 5 बार खाद निकाली जा सकती है.

Organic manure ready for sprinkling in fields
खेतों में छिड़कने के लिए जैविक खाद तैयार

क्या रासायनिक खाद का काट है जैविक खाद?

पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव कहते हैं कि आज के दौर में रासायनिक खाद का इस्तेमाल बढ़ा है. इसलिए जैविक खाद किसानों के लिए वरदान है. कृषि विस्तार अधिकारी कहते हैं कि किसानों के लिए जैविक खाद से बेहतर तो कुछ है ही नहीं. इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तो सुधरती ही है. पर्यावरण को भी संरक्षित करती है. इससे जो उत्पाद मिलता है, वो बहुत गुणवत्ता पूर्ण होता हूं. इससे रासायनिक खाद की तुलना तो की ही नहीं जा सकती.

शहडोल। बदलते दौर में जहां ज्यादा फसल उत्पादन के लिए किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने से झिझक नहीं करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस दौर में भी कुछ आदिवासी गांव ऐसे हैं, जहां आज भी किसान रासायनिक खाद से दूरी बनाकर रखे हैं. घर में ही जैविक खाद बनाकर खेती करते हैं और बंपर उत्पादन भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं इस दौर में जैविक खेती करने से उन किसानों की फसलों की डिमांड भी बहुत ज्यादा रहती है. इन किसानों को महंगाई के दौर में खेती में लागत भी कम लगती है. किसान बताते है कि जैविक खेती किसानों के लिए बहुत ही फायदे का सौदा है, सभी किसान इसको इम्प्लीमेंटेशन कर ले तो किसानी भी लाभ का धंधा बन जाएगी.

फायदे का सौदा है जैविक खेती

जैविक खाद इन किसानों के लिए बना वरदान

श्यामडीह कला गांव के रहने वाले आदिवासी किसान राजू सिंह मार्को अपनी छोटी सी जमीन पर हर सीजन की खेती करते हैं. धान भी लगाते हैं, गेहूं भी लगाते हैं, समय-समय पर दलहन और तिलहन की खेती भी करते हैं, साथ में सब्जियां भी उगाते हैं. राजू सिंह मार्को बताते हैं कि उन्होंने अब तक रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया हैं, घर में ही गोबर गैस बना रखा है. जिससे गैस का उत्पादन भी होता है. गोबर गैस से निकले हुए खाद का इस्तेमाल जैविक खाद के तौर पर करते हैं.

वर्मी कंपोस्ट खाद भी तैयार करके है किसान

राजू सिंह मार्को बताते हैं कि साल में वह तीन से चार बार वर्मी कंपोस्ट खाद (Vermi Compost Manure) भी बनाते हैं. उसके लिए बकायदा उन्होंने 2 टेंक बना रखे हैं, जिसमें वह वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करते हैं. जो उनके खेतों के लिए पर्याप्त हो जाता है. राजू सिंह मार्को कहते हैं कि जैविक खेती की वजह से उनकी फसलों की अच्छी खासी डिमांड भी रहती है. जो लोग जानते हैं, वह घर से ही सब्जियां ले जाते हैं.

Farmer prepared organic fertilizer
किसान ने तैयार की जैविक खाद

मिसाल: शराब कारोबार छोड़ किसान बनी महिला, काले गेहूं की जैविक खेती से चमकाई किस्मत

मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है

किसान बताते हैं कि वे अपने आसपास की चीजों से ही जैविक खाद बना लेते हैं. जिससे लागत भी कम लगती है, उनके खेतों की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है. किसान कहते हैं कि इन दिनों रासायनिक खाद के रेट बहुत ज्यादा है. उन्हें खरीदों फिर खेतों में डालो, उससे उनकी खेती की लागत भी बढ़ जाती है, जिससे उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पाता. जबकि इस दौर में जैविक खेती की डिमांड है. अगर आप जैविक खेती करते हैं तो आप की फसलों को गुणवत्ता युक्त माना जाता है.

आज के समय में बड़े काम की है जैविक खाद

पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव बताते हैं कि इस क्षेत्र के आसपास के करीब 10 आदिवासी बाहुल्य गांव के किसान जो जैविक खेती करते हैं. जैविक खादों का इस्तेमाल करते हैं. कृषि विभाग कई वर्षों से ये प्रयास किए जा रहे हैं कि आम किसान वर्मी कम्पोस्ट और बायो गैस के माध्यम से तैयार खाद खेतों में उपयोग करें. जैविक खाद का महत्व आज के जमाने में बहुत है. जैविक खाद जहां एक ओर उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखती हैं, तो वहीं दूसरी ओर उत्पादन भी ज्यादा देती हैं.

farmer preparing organic fertilizer
जैविक खाद तैयार करता किसान

ऑर्गेनिक के नाम पर गोलमाल ! क्या असली, क्या नकली

वर्मी कम्पोस्ट खाद ऐसे करें तैयार

अखिलेश नामदेव बताते हैं कि वर्मी कम्पोस्ट बनाने में न ज्यादा लागत लगती है और न बहुत ज्यादा समय लगता है. इसके लिए किसानों को टंकी बनाने के लिए दो हजार रुपए की लागत आती है. इसके बाद किसान आसपास का कचरा, गोबर को 10 से 15 दिन, पहले बाहर रखते हैं और फिर टंकी में थोड़ी सी मिट्टी मिलाकर डाल देते है. फिर उसमें केचुआ छोड़ देते हैं, जब केचुआ छोड़ते हैं तो शुरुआती समय में खाद बनने में जरूर गति धीमी होती है, क्योंकि केंचुए की संख्या कम होती है. लेकिन जैसे-जैसे केंचुए की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे खाद बनने की गति तेज होती जाती है.

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इस टंकी में बीच बीच में पानी भी देते रहना पड़ता है. जिससे उसमें नमी बनी रहे. उसमें छाया की व्यवस्था भी कर देते हैं, क्योंकि केचुआ ज्यादा धूप सहन नहीं कर पाता है. इस तरह से साल में 4 से 5 बार खाद निकाली जा सकती है.

Organic manure ready for sprinkling in fields
खेतों में छिड़कने के लिए जैविक खाद तैयार

क्या रासायनिक खाद का काट है जैविक खाद?

पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव कहते हैं कि आज के दौर में रासायनिक खाद का इस्तेमाल बढ़ा है. इसलिए जैविक खाद किसानों के लिए वरदान है. कृषि विस्तार अधिकारी कहते हैं कि किसानों के लिए जैविक खाद से बेहतर तो कुछ है ही नहीं. इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तो सुधरती ही है. पर्यावरण को भी संरक्षित करती है. इससे जो उत्पाद मिलता है, वो बहुत गुणवत्ता पूर्ण होता हूं. इससे रासायनिक खाद की तुलना तो की ही नहीं जा सकती.

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