शहडोल। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है. आज हम आपको एक ऐसे ही नागद्वार के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अद्भुत, अलौकिक है. आज भी यहां नागदेवता के दर्शन होते हैं. ये अद्भुत रहस्यमयी जगह शहडोल और उमरिया जिले के बॉर्डर में स्थित मां बूढ़ी देवी धाम परिसर में मौजूद है. जहां आज भी बूढ़ी माता मंदिर परिसर के अंदर एक सांप रहता है. यह मंदिर काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी है. यहां पर नाग देवता कभी रात में निकला करते और सुबह अंदर चले जाते, दर्शन अक्सर होते रहते हैं और नागपंचमी के दिन तो इस नागद्वार की पूजा के लिऐ काफी संख्या में लोग आते हैं, इस द्वार का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि, पूजा करने वाले पुजारी भी नाग देवता का दर्शन कर चुके हैं. नाग पंचमी के दिन तो इस नागद्वार की विशेष पूजा होती है और इस नागद्वार में दूध रखा जाता है जो भी भक्त आता है, इस नागद्वार की पूजा जरूर करता है.
यहां होता है नागदेवता का वास
पुजारी नर्मदा प्रसाद बताते है कि, ये बहुत ही प्राचीन गुफा है, ये नागदेवता का पुराना स्थान है. यहां पर निकल कर वो बैठते थे, लोगों को दर्शन देते थे, सभी भक्त आकर दर्शन करते थे और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती थीं. आज भी यहां पर पूजा की जाती है, नागपंचमी के दिन तो काफी भीड़ लगती है.
रहस्यमयी है ये नागद्वार
ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, इस नागद्वार के बारे में जो जनश्रुति है, यहां पर राजा विराट रहते थे, जो हर बार नागपंचमी के दिन पूजा किया करते थे, लोग तो ऐसा भी कहते हैं की, वहां पर नागदेवता रहते थे, एक छोटी सी गुफा है जहां बिल में सर्प रहते हैं, जो कभी-कभी दर्शन भी देते हैं. इस जगह को लेकर कहा ये भी जाता है कि, अगर वहां पर दूध चढ़ा दिया जाए तो सर्पों से रक्षा होती है.