शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य है. यहां आज भी ऐसे कई इलाके हैं जो विकास की बाट जोह रहे हैं. संभागीय मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर शहडोल जिले के अंतिम छोर में छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगा है झींकबिजुरी गांव. यहां स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण तो सरकार ने करा दिया लेकिन यहां एक भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है. झींकबिजुरी के आसपास कई गांव हैं. छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है तो वहां से भी कुछ लोग आ जाते हैं. इतना बड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बाद भी यहां इलाज भगवान भरोसे है.
पुलिस भी परेशान : झींकबिजुरी स्वास्थ्य केंद्र में आलम यह है कि डॉक्टर नहीं होने की वजह से यहां अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड ही लोगों का इलाज कर रहे. अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से आम आदमी तो परेशान हैं ही. पुलिस विभाग की भी परेशानी बढ़ी हुई है, क्योंकि एमएलसी कराने के लिए या तो जैतपुर या फिर बुढार जाना पड़ता है. इस मामले में शहडोल के स्वास्थ्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमएचओ डॉ.आरएस पांडे का कहना है कि डॉक्टर की व्यवस्था की गई है. जैतपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 2-2 दिन की ड्यूटी लगाई गई है. हम राज्य स्तर से भी संपर्क कर रहे हैं, पत्र पहले भी लिखा है.
ये खबरें भी पढ़ें... |
ग्रामीणों ने विधायक को रोका था : सवाल यह है कि जहां सरकार अस्पताल बना देती है. इतने साजोसामान अस्पताल में उपलब्ध कराए जाते हैं, उसके बाद क्या ऐसे अस्पताल में एक डॉक्टर की भी पदस्थापना नहीं की जा सकती. जहां कई डॉक्टरों की पदस्थापना होनी चाहिए, वहां एक भी डॉक्टर नहीं है. गौरतलब है कि यह वही झींकबिजुरी गांव है, जहां अभी एक-दो दिन पहले ही सड़क व स्वास्थ सुविधा को लेकर ग्रामीणों ने विधायक के काफिले को रोक दिया था. विधायक को वहां से वापस लौटना पड़ा था. विधायक विकास पर्व में शामिल होने के लिए जा रही थीं.