बालाघाट। महाकौशल क्षेत्र के बालाघाट जिले की कटंगी एक ऐसी विधानसभा सीट है. जहां पर कांग्रेस का दबदबा है. इस सीट पर अक्सर ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलता है. कटंगी विधानसभा सीट मध्यप्रदेश की एक ऐसी विधानसभा सीट है. जो महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है. इस विधानसभा सीट पर बसपा मुकाबले को जरूर त्रिकोणीय बना देती है, लेकिन आज भी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, जो बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है. यहां से बसपा ने उदय सिंह पंचेश्वर, भारतीय जनता पार्टी ने गौरव सिंह पारधी, कांग्रेस ने बोध सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.
वर्तमान में कांग्रेस काबिज: बालाघाट जिले के कटंगी विधानसभा सीट पर वर्तमान में अभी कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस के तामलाल रघुजी सहारे यहां से विधायक हैं, हालांकि इस बार इन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया है, इन्होंने इस बार चुनाव न लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी थी. तामलाल सहारे तीन बार इस विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं और 1998 में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सरकार में चिकित्सा मंत्री भी रह चुके हैं. तामलाल सहारे 1993, 1998 और साल 2018 में कांग्रेस से जीतकर विधायक बने हैं.
कटंगी से इस बार कौन आमने-सामने?: कटंगी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने गौरव पारधी को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से बोध सिंह भगत को टिकट दिया है. तामलाल सहारे के बाद इस विधानसभा सीट से कांग्रेस को जीत दिलाने की जिम्मेदारी अब इन्हीं पर है.
क्या कहते हैं आंकड़े ?: साल 2018 के चुनाव में कटंगी विधानसभा सीट से कांग्रेस की ओर से तामलाल सहारे जहां प्रत्याशी थे, तो वहीं भाजपा की ओर से केडी देशमुख मैदान पर थे. यहां पर बसपा ने भी मुकाबला को त्रिकोणीय बनाया था. हालांकि कांग्रेस ने साल 2018 में इस सीट पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस के तामलाल सहारे ने बीजेपी के केडी देशमुख को 11,750 वोट के अंतर से हरा दिया था.
साल 2013 के चुनाव की बात करें तो साल 2013 के चुनाव में कटंगी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के केडी देशमुख ने जीत हासिल की थी. इस सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर नहीं थी, बल्कि बहुजन समाजवादी पार्टी के उदय सिंह दूसरे नंबर पर थे और बीजेपी ने इस चुनाव में 1,950 वोट से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर पर थी, मतलब इस चुनाव में भी मुकाबला त्रिकोणीय था.
2008 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो कटंगी विधानसभा सीट से कांग्रेस के विशेश्वर भगत ने जीत हासिल की थी, इन्होंने भाजपा के केडी देशमुख को हराया था, 2,411 वोट के अंतर से कांग्रेस ने यह जीत हासिल की थी.
वहीं साल 2003 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें, तो कटंगी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी और केडी देशमुख ने इस सीट से जीत हासिल की थी. इन्होंने कांग्रेस के तामलाल रघुजी सहारे को 4,527 वोट के अंतर से हराया था.
जातीय समीकरण: महाकौशल क्षेत्र के बालाघाट जिले के कटंगी विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें, तो ये इलाका महाराष्ट्र राज्य से लगा हुआ इलाका है. यहां पर पवार समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है. कांग्रेस के वर्तमान विधायक तामलाल सहारे पवार समाज से ही आते हैं, इसके अलावा आदिवासी मतदाताओं की भी संख्या यहां अच्छी खासी है. महार, मरार, गोवारी, ढीमर कहार, कलार समाज के वोटर्स की भी इस विधानसभा सीट पर बहुलता है.
कांग्रेस यहां सबसे ज्यादा बार जीती: वैसे कटंगी विधानसभा सीट पर अगर इतिहास पर नजर डाला जाए तो इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस भले ही सबसे ज्यादा बार विधायक बनाने में कामयाब रही है, लेकिन 2003 के आंकड़ों से नजर डालें तो 2003 में जहां बीजेपी ने जीत हासिल की थी. 2008 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. 2013 में एक बार फिर भाजपा ने जीत हासिल की थी और 2018 में एक बार फिर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. अगर इन चार चुनाव के आंकड़ों को देखें और उसके समीकरण को देखें तो इस बार जीत की बारी बीजेपी की आती है, लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कटंगी की जनता किसे चुनकर लाती है, क्योंकि उनके वर्तमान विधायक भी इस बार मैदान पर नहीं है, कांग्रेस ने जहां बोध सिंह भगत को टिकट दिया है, तो वहीं इस बार केडी देशमुख की जगह बीजेपी ने भी नए चेहरे को मैदान पर उतारा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कटंगी की जंग में माजी कौन मारता है.