कालसर्प दोष। कभी-कभी जीवन में कुछ भी सही नहीं होता है, कितनी भी मेहनत करो सफलता नहीं मिलती है. अथक मेहनत करने के बाद ही कोई कार्य सफल हो पाता है. मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं. कुल मिलाकर सब कुछ नजदीक आकर भी छूट जाता है. अगर जीवन में ऐसा कुछ होता है, ऐसे में ज्योतिष शास्त्र की मानें. सबकुछ सही नहीं चल रहा है तो एक बार कुंडली भी दिखा लेनी चाहिए, क्योंकि इससे पता चल पाता है कि कहीं आपकी कुंडली में कालसर्प दोष तो नहीं है.
क्या होता है कालसर्प दोष: कालसर्प दोष के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, कुंडली में 12 घर, 9 ग्रह होते हैं और जब राहु-केतु के बीच में सभी ग्रह फंस जाते हैं तो लगातार 5 घर खाली हो जाते हैं. राहु सर्प का मुंह होता है, केतु सर्प की पूछ होती है, इधर सर्प मुंह से फुफकार मारता है और सभी ग्रहों को ग्रस देता है. जब ग्रसता है तो उसी संधि काल को कालसर्प दोष कहा जाता है.
Mahashivratri 2023: MP में हैं उत्तर के सोमनाथ, मुगलकाल में हुए हमले, जानिए रोचक कथा
कुंडली में कालसर्प दोष होने से बढ़ जाती है परेशानी: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, कालसर्प दोष से सभी कार्य रुक जाते हैं. वह आदमी अथक प्रयास करता है. प्रयास करते-करते जब थक हार जाता है, तब कहीं जाकर उसका कोई काम बनता है. घर में मांगलिक कार्यक्रम में बाधा आती है, बरक्कत रुकी रहती है, आए दिन कलह होता है. नौकरी, व्यवसाय में आए दिन अड़ंगे आते हैं. पूरे करियर में उसके राहु-केतु के कारण समस्या बनी रहती है.
8 प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष: काल सर्प दोष जो बनता है वह 8 प्रकार का होता है. अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकी कालसर्प दोष, शंखपाल कालसर्प दोष, पद्म कालसर्प दोष, महापद्म कालसर्प दोष, तक्षक कालसर्प दोष, कर्कोटक कालसर्प दोष, ये आठ प्रकार के कालसर्प दोष होते हैं.
खतरनाक होता है तक्षक कालसर्प दोष: तक्षक कालसर्प दोष बहुत खतरनाक होता है. जिसके ऊपर तक्षक कालसर्प दोष का प्रभाव पड़ता है उसी की अल्प मृत्यु होती है या किसी जंगल में बाघ द्वारा खाया जाता है. या फिर सर्प के काटने से उसकी मृत्यु हो जाती है. पानी में डूबने से भी उसकी मृत्यु हो सकती है, अथवा पेड़ों से गिरने की वजह से भी अचानक मृत्यु हो जाती है. ये सब तक्षक कालसर्प दोष का प्रभाव रहता है. शेष जो सात हैं उसमें रुकावट आती है, यानी जन्म से लेकर 5 साल तक वह स्वतंत्र होता है. 5 साल से जितनी उम्र होती है, इतने दिन तक कालसर्प दोष का प्रभाव रहता है.
कालसर्प दोष का ऐसे करें उपाय: जो कालसर्प दोष से प्रभावित हैं, शास्त्रों के अनुसार इसका निवारण भी लिखा है. जहां दो नदियों का संगम हो वहां पीपल का वृक्ष हो और बालू भी काफी मात्रा में हो. 2 ही स्थान में इसकी पूजा होती है. एक नासिक में पूजा होती है, दूसरा दो नदियों के संगम में पूजा होती है. पूजन का विधान है कि, वह व्यक्ति बिना खाए पिए नदी किनारे पहुंचे, सफेद कपड़ा पहने पूजन की सामग्री साथ रखे. जहां पूजा करें वहां काला कपड़ा दो नाग को पहनाएं. इसके बाद जो कपड़ा पहना है वह सब वहां बहा दें. इसके बाद उसको भोजन कराएं. भोजन कराने के बाद वह अपने घर आता है, उस दिन 24 घंटे दूध से बनी चीज की मनाही होती है. ऐसा करने से कालसर्प दोष का निवारण भी होता है.
सभी प्रकार के कालसर्प दोष के अलग उपाय: कालसर्प दोष जिनके ऊपर रहता है अलग-अलग तरह से उसके उपाय भी किए जाते हैं. जिनके ऊपर आंशिक कालसर्प दोष रहता है उसके पांच घर लगातार खाली नहीं है, 3 घर ही खाली है, या 4 घर खाली हैं. शास्त्रों में लिखा है की शिव जी के ऊपर आटे का सांप बनाकर चढ़ा दें और बेलपत्र चढ़ा दें. अगर मध्यम कालसर्प दोष हो तो तांबे का सर्प बनाकर शिवजी के ऊपर चढ़ा दें और जिनके ऊपर तक्षक कालसर्प दोष है तो उनके ऊपर चांदी, सोना या तांबे के दो सर्प नाग नागिन बना करके और मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसमें लपेटे विधिवत पूजन करें और उसको बहते हुए अलग-अलग नदियों में बहाया जाता है, जिससे दोनों सर्पों का मिलन ना हो ऐसा करने से दोष दूर होता है.
कुंडली में कालसर्प दोष के बारे में ऐसे जानें: किसी कुंडली को जब देखा जाता है कि राहु और केतु के बीच में सभी ग्रह फंसे हुए हैं, 12 घर में 5 घर खाली होते हैं. उन 12 घर के बीच में एक तरफ राहु और केतु बैठा है. एक तरफ खाली है तो वहां प्रबल कालसर्प दोष बन जाता है, जिनका 4 घर खाली है तो मध्यम दोष बनता है. जिनका 3 घर खाली है, राहु-केतु के बीच में फंसे हैं, लेकिन एक दो ग्रह बाहर आ गए हैं तो अल्प कालसर्प दोष बनता है. जो पंचाग देखते ही प्रमाणित हो जाता है.