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कृषि वैज्ञानिक मृगेंद्र सिंह से जानिए कैसे करे रबी की खेती

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने बताया किस तरह रबी सीजन में किसान फायदे की खेती कर सकते हैं.

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Published : Nov 14, 2019, 10:24 PM IST

कृषि वैज्ञानिक मृगेंद्र सिंह से जानिए कैसे करे रबी की खेती

शहडोल। खरीफ की फसल अब धीरे- धीरे आखिरी चरण में है और रबी सीजन की खेती की तैयारी में किसान जुट चुके हैं. शहडोल में भी रवि सीजन की खेती का बड़ा रकबा है. यहां गेंहू के फसल की खेती तो प्रमुखता से की ही जाती है, इसके अलावा दलहनी की भी कई फसलों की खेती होती है. इस बार जिले के किसान कीनोव की खेती भी कर रहे हैं.

कृषि वैज्ञानिक मृगेंद्र सिंह से जानिए कैसे करे रबी की खेती

किसान रवि सीजन की खेती के लिये आखिर किस तरह की सावधानियां बरतें और किस तरह फसलों का चयन करें, जिससे बम्पर उत्पादन मिले, इसके लिए ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह से खास बातचीत की.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि रवि सीजन का रकबा इस साल बढ़ेगा, अभी हाल ही में कृषि उत्पादन आयुक्त की जो मीटिंग हुई थी, उसमें तकरीबन 84,600 हेक्टेयर का पूरे जिले का अनुमानित रकबा है.

मौका सही है फसलों की करें बुवाई

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल में किसान रवि सीजन की खेती शुरू कर चुके हैं. खेतों की जुताई चल रही है. कहीं जुताई पूरी हो गई है, तो बुवाई शुरू है. ये फसल की बुवाई के लिए सबसे बेहतर समय है, इसलिए जो भी किसान रवि सीजन में खेती करना चाहते हैं, तो वो शुरू कर सकते हैं.

गेंहू, चना, मसूर, रवी सीजन की फसलों की बुवाई के लिए सही समय है. इस साल लंबे समय तक बारिश हुई है, खेतों में नमी बनी हुई है. खाद बीज की भी कमी नहीं है.

ऐसे करें फसलों का चयन

रवि सीजन में अक्सर देखने को मिलता है कि किसान उहापोह मे रहते हैं, कि किन फसलों को लगाएं जिससे बम्पर उत्पादन मिल सके, कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह देते हैं कि, किसान फसलों का चयन अपने खेतों में सुविधा, संसाधन, पानी के हिसाब से करें.

अगर ज्यादा पानी की व्यवस्था है तो गेंहु की फसल ले सकते हैं. वहीं अगर कम पानी की व्यवस्था है, तो दलहनी की फसलों का चयन कर सकते हैं, जिसमें कई किस्मे हैं.

बीजोपचार जरूर करें

कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि कोई भी फसल लगाएं तो उसके बीज का बीजोपचार जरूर करें, क्योंकि बीज का बीजोपचार कर लेंगे तो आगे दिक्कत से बच सकते हैं. फसल में कोई रोग नहीं लगेगा, अगर फसल में बाद में रोग लगेंगे तो उन्हें हटाने में पैसा और श्रम दोनों ज्यादा लगता है. इसलिए बीज का बीजोपचार बहुत जरुरी है.

कीनोवा की खेती है खास

इस बार के रवि सीजन की फसल में कीनोवा भी इस आदिवासी अंचल में सुर्खियों में है, क्योंकि कीनोवा की फसल पिछले साल ट्रायल के तौर पर लगाया गया था. यहां की जमीन और जलवायु इस फसल के लिए ठीक हैं, ऐसे में कृषि वैज्ञानिक भी इस साल जिले में कीनोवा के खेती के रकबे को बढ़ा रहे हैं.

रवी सीजन में ये फसलें हैं किसानों की पसंद

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि, शहडोल में रवि सीजन में यहां की मिट्टी और जलवायु के हिसाब से किसानों की पहली पसंद गेंहू है और यहां सबसे ज्यादा रकबे में गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा 5 से 7 हजार हेक्टेयर में चना लगाया जाता है. कुछ जगहों पर किसान सरसों की भी खेती करते हैं.

शहडोल। खरीफ की फसल अब धीरे- धीरे आखिरी चरण में है और रबी सीजन की खेती की तैयारी में किसान जुट चुके हैं. शहडोल में भी रवि सीजन की खेती का बड़ा रकबा है. यहां गेंहू के फसल की खेती तो प्रमुखता से की ही जाती है, इसके अलावा दलहनी की भी कई फसलों की खेती होती है. इस बार जिले के किसान कीनोव की खेती भी कर रहे हैं.

कृषि वैज्ञानिक मृगेंद्र सिंह से जानिए कैसे करे रबी की खेती

किसान रवि सीजन की खेती के लिये आखिर किस तरह की सावधानियां बरतें और किस तरह फसलों का चयन करें, जिससे बम्पर उत्पादन मिले, इसके लिए ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह से खास बातचीत की.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि रवि सीजन का रकबा इस साल बढ़ेगा, अभी हाल ही में कृषि उत्पादन आयुक्त की जो मीटिंग हुई थी, उसमें तकरीबन 84,600 हेक्टेयर का पूरे जिले का अनुमानित रकबा है.

मौका सही है फसलों की करें बुवाई

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल में किसान रवि सीजन की खेती शुरू कर चुके हैं. खेतों की जुताई चल रही है. कहीं जुताई पूरी हो गई है, तो बुवाई शुरू है. ये फसल की बुवाई के लिए सबसे बेहतर समय है, इसलिए जो भी किसान रवि सीजन में खेती करना चाहते हैं, तो वो शुरू कर सकते हैं.

गेंहू, चना, मसूर, रवी सीजन की फसलों की बुवाई के लिए सही समय है. इस साल लंबे समय तक बारिश हुई है, खेतों में नमी बनी हुई है. खाद बीज की भी कमी नहीं है.

ऐसे करें फसलों का चयन

रवि सीजन में अक्सर देखने को मिलता है कि किसान उहापोह मे रहते हैं, कि किन फसलों को लगाएं जिससे बम्पर उत्पादन मिल सके, कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह देते हैं कि, किसान फसलों का चयन अपने खेतों में सुविधा, संसाधन, पानी के हिसाब से करें.

अगर ज्यादा पानी की व्यवस्था है तो गेंहु की फसल ले सकते हैं. वहीं अगर कम पानी की व्यवस्था है, तो दलहनी की फसलों का चयन कर सकते हैं, जिसमें कई किस्मे हैं.

बीजोपचार जरूर करें

कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि कोई भी फसल लगाएं तो उसके बीज का बीजोपचार जरूर करें, क्योंकि बीज का बीजोपचार कर लेंगे तो आगे दिक्कत से बच सकते हैं. फसल में कोई रोग नहीं लगेगा, अगर फसल में बाद में रोग लगेंगे तो उन्हें हटाने में पैसा और श्रम दोनों ज्यादा लगता है. इसलिए बीज का बीजोपचार बहुत जरुरी है.

कीनोवा की खेती है खास

इस बार के रवि सीजन की फसल में कीनोवा भी इस आदिवासी अंचल में सुर्खियों में है, क्योंकि कीनोवा की फसल पिछले साल ट्रायल के तौर पर लगाया गया था. यहां की जमीन और जलवायु इस फसल के लिए ठीक हैं, ऐसे में कृषि वैज्ञानिक भी इस साल जिले में कीनोवा के खेती के रकबे को बढ़ा रहे हैं.

रवी सीजन में ये फसलें हैं किसानों की पसंद

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि, शहडोल में रवि सीजन में यहां की मिट्टी और जलवायु के हिसाब से किसानों की पहली पसंद गेंहू है और यहां सबसे ज्यादा रकबे में गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा 5 से 7 हजार हेक्टेयर में चना लगाया जाता है. कुछ जगहों पर किसान सरसों की भी खेती करते हैं.

Intro:Note_ वर्जन वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह का है।

अगर आप रबी सीजन में खेती कर रहे हैं, तो ये है आपके काम की खबर

शहडोल- खरीफ की फसल अब धीरे धीरे आखिरी चरण में है और अब रबी सीजन की खेती की तैयारी में किसान जुट चुके हैं। शहडोल में भी रवि सीजन की खेती का बड़ा रकबा है। यहां गेंहू के फसल की खेती तो प्रमुखता से की ही जाती है इसके अलावा दलहनी की भी कई फ़सलें किसान लेते हैं इसके अलावा इस बार शहडोल जिले के किसान कीनोव की खेती भी कर रहे हैं। रवि सीजन कि खेती के लिये आखिर किस तरह की सावधानी बरतें किस तरह फसलों का चयन करें आखिर कैसे खेती करें जिससे बम्पर उत्पादन मिले इसके लिए हमने बात की कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह से।


Body:मौका सही है फसलों की करें बुवाई

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं रवि सीजन कि खेती जिले में किसान शुरू कर चुके हैं कहीं खेतों की जुताई चल रही है, कहीं जुताई पूरी हो गई है तो बुवाई शुरू है।

ये फसल की बुवाई के लिए सबसे बेहतर समय है इसलिए जो भी किसान रवि सीजन में खेती करना चाहते हैं तो वो शुरू कर सकते हैं। गेंहू, चना, मसूर, रवी सीजन की फसलों की बुवाई के लिए सही समय है।

इस साल लंबे समय तक बारिश हुई है,खेतों में नमी बनी हुई है, खाद बीज की भी कमी नहीं है।

ऐसे करें फसलों का चयन

रवि सीजन में अक्सर देखने को मिलता है कि किसान उहापोह मे रहते हैं कि किन फसलों को लगाएं जिससे बम्पर उत्पादन मिल सके, कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह देते हैं कि किसान फसलों का चयन अपने खेतों में सुविधा, संसाधन, पानी के हिसाब से फसलों का चयन करें।

अगर ज्यादा पानी की व्यवस्था है तो गेंहु की फसल ले सकते हैं अगर कम पानी की व्यवस्था है तो दलहनी की फसलों का चयन कर सकते हैं जिसमें कई वैरायटी हैं।

बीजोपचार जरूर करें

कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि कोई भी फसल लगाएं तो उसके बीज का बीजोपचार जरूर करें क्योंकि बीज का बीजो उपचार कर लेंगे तो आगे दिक्कत से बच सकते हैं क्योंकि बीजोपचार कर लेने से भविष्य में होने वाली दिक्कत से बच सकते हैं फसल में कोई रोग नहीं लगेगा, अगर फसल में बाद में रोग लगेंगे तो उन्हें हटाने में पैसा और श्रम दोनों ज्यादा लगता है। इसलिए बीज का बीजोपचार बहुत जरुरी है।

कीनोवा की खेती खास

इस बार के रवि सीजन की फसल में कीनोवा भी इस आदिवासी अंचल में सुर्खियों में है क्योंकि कीनोवा की फसल पिछले साल ट्रायल के तौर पर लगाया गया था जहां यहाँ की जमीन और जलवायु इस फसल के लिए ठीक है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिक भी इस साल जिले में कीनोवा के खेती के रकबे को बढ़ा रहे हैं। विस्तार दे रहे है ।

रवी सीजन में ये फसलें हैं ज्यादा किसानों की पसंद

कृषि वैज्ञनिक कहते हैं कि शहडोल जिले में रवि सीजन में यहां की मिट्टी और जलवायू के हिसाब से किसानों की पहली पसंद गेंहू है और यहां सबसे ज्यादा रकबे में खेती की जाती है। इसके अलावा 5 से 7 हज़ार हेक्टेयर में चना लगाया जाता है। हलांकि मसूर,भी लिया जाता है। कुछ जगहों पर किसान सरसों की भी खेती करते हैं।





Conclusion:कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि रवि सीजन का रकबा इस साल बढ़ेगा अभी हाल ही में जो कृषि उत्पादन आयुक्त की मीटिंग हुई थी, उसमें तकरीबन 84,600 हेक्टेयर का पूरे जिले का अनुमानित रकबा है।
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